ग्वालियर में हरिकथा और मीलाद के साथ शुरू हुआ शास्त्रीय संगीत का सबसे बड़ा महाकुंभ, शाम को होगा तानसेन अलंकरण समारोह

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Pratibha Rana
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ग्वालियर में हरिकथा और मीलाद के साथ शुरू हुआ शास्त्रीय संगीत का सबसे बड़ा महाकुंभ, शाम को होगा तानसेन अलंकरण समारोह

देव श्रीमाली, GWALIOR. शास्त्रीय संगीत का सबसे बड़ा तानसेन समारोह आज (19 दिसंबर) से शुरू हो गया है।  ग्वालियर की फिजा पांच दिनों तक सुर, ताल व राग की बारिश में सराबोर रहेगी। भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश का सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव एवं विश्व संगीत समागम “राष्ट्रीय तानसेन समारोह” संगीत की नगरी ग्वालियर में 19 दिसंबर से शुरू होकर 23 दिसंबर तक आयोजित हो रहा है। विश्व संगीत समागम तानसेन समारोह में देश और दुनिया के ब्रम्हनाद के शीर्षस्थ साधक हजीरा स्थित तानसेन समाधि परिसर में चैन्नाकेशव मंदिर बेलूर की थीम पर बने भव्य एवं आकर्षक मंच पर बैठकर संगीत सम्राट तानसेन को स्वरांजलि अर्पित करेंगे। शाम को तानसेन समारोह के शुभारंभ कार्यक्रम में देश के मूर्धन्य बांसुरी वादक पं.नित्यानंद हल्दीपुर मुंबई को 2021 के तानसेन अलंकरण से विभूषित किया जाएगा। इस अवसर पर मुंबई की सामवेद सोसायटी फॉर परफार्मिंग आर्ट संस्था को 2021 के राजा मानसिंह तोमर सम्मान से अलंकृत किया जायेगा। 



हरिकथा और मीलाद के साथ शुरू हुआ समारोह



भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठापूर्ण महोत्सव "तानसेन समारोह'' की  सोमवार (19 दिसंबर) की सुबह पारंपरिक ढंग से शुरुआत हुई। यहां हजीरा स्थित तानसेन समाधि स्थल पर शहनाई वादन, हरिकथा, मिलाद, चादरपोशी और कव्वाली गायन हुआ। सुर सम्राट तानसेन की स्मृति में आयोजित होने वाले तानसेन समारोह का इस साल 98वां वर्ष है। 



भाई चारे का संदेश देने दोनों धर्म पद्धति से की इबादत



सोमवार ( 19 दिसंबर) की सुबह बेला में तानसेन समाधि स्थल पर परंपरागत ढंग से उस्ताद मजीद खां एवं साथियों ने रागमय शहनाई वादन किया। इसके बाद ढोलीबुआ महाराज नाथपंथी संत सच्चिदानंद नाथ ने संगीतमय आध्यात्मिक प्रवचन देते हुए ईश्वर और मनुष्य के रिश्तों को उजागर किया। उनके प्रवचन का सार था कि परहित से बढ़कर कोई धर्म नहीं। अल्लाह और ईश्वर, राम और रहीम, कृष्ण और करीम, खुदा और देव सब एक हैं। हर मनुष्य में ईश्वर विद्यमान है। हम सब ईश्वर की सन्तान है और ईश्वर के अंश भी हैं। सभी मतों का एक ही है संदेश है कि पापसभी नेकी के मार्ग पर चलें। ढोली बुआ महाराज द्वारा राग बैरागी में कबीर रचित भजन प्रस्तुत किया। भजन के बोल थे संतन के संग दाग न लागे । उन्होंने प्रिय भजन रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम का गायन भी किया। 



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मीलाद और चादरपोशी भी हुई



ढोलीबुआ महाराज की हरिकथा के बाद मुस्लिम समुदाय से मौलाना इकबाल लश्कर कादिरी ने इस्लामी कायदे के अनुसार मिलाद शरीफ की तकरीर सुनाई। उन्होंने कहा सबसे बड़ी भक्ति मोहब्बत है। उनके द्वारा प्रस्तुत कलाम के बोल थे  "तू ही जलवानुमा है मैं नहीं हूं"। अंत में हजरत मौहम्मद गौस व तानसेन की मजार पर राज्य सरकार की ओर से सैयद जियाउल हसन सज्जादा नसीन जी द्वारा परंपरागत ढंग से चादरपोशी की गई। इससे पहले जनाब फरीद खानूनी, जनाब भोलू झनकार,जनाब लतीफ खां, जनाब अल्लाह रक्खा  एवं उनके साथी कब्बाली गाते हुए चादर लेकर पहुंचे। कव्वाली के बोल थे खास दरबार-ए-मौहम्मद से ये आई चादर। 



ये रहे उपस्थित



तानसेन समाधि पर परंपरागत ढंग से आयोजित हुए इस कार्यक्रम में अपर कलेक्टर एच बी शर्मा, एसडीएम प्रदीप सिंह तोमर,विनोद सिंह , सीएसपी रवि भदौरिया, तहसीलदार शारदा पाठक व शुभ्रता त्रिपाठी और बाल खांडे व दिनेश पाठक सहितअन्य कलारसिक, उस्ताद अलाउद्दीन खां कला एवं संगीत अकादमी के अधिकारी,गणमान्य नागरिक व मीडिया प्रतिनिधिगण उपस्थित थे। 



शाम को होगा अलंकरण समारोह



तानसेन समारोह का औपचारिक शुभारंभ एवं तानसेन अलंकरण समारोह सायंकाल हजीरा स्थित तानसेन समाधि परिसर में चैन्नाकेशव मंदिर बेलूर की थीम पर बने भव्य एवं आकर्षक मंच पर होगा। इसी मंच पर बैठकर देश और दुनियां के ब्रम्हनाद के शीर्षस्थ साधक सुर सम्राट तानसेन को स्वरांजलि अर्पित करेंगे। इस मौके पर संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर मूर्धन्य बांसुरी वादक पंडित नित्यानंद हल्दीपुरी को इस साल के तानसेन अलंकरण से विभूषित करेंगे इसके बाद इनकी प्रस्तुति भी होगी। इस समारोह में मुंबई की संस्था सामवेद सोसायटी फॉर परफार्मिंग आर्ट को राजा मानसिंह तोमर सम्मान से विभूषित किया जाएगा।



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कुल 10 संगीत सभायें होंगीं 



इस बार के विश्व संगीत समागम तानसेन समारोह में कुल 10 संगीत सभाएं होंगी। पहली सभा 19 दिसंबर की शाम को होगी। इसके बाद हर दिन सुबह एवं सायंकालीन सभाएं होंगी। समारोह के तहत 22 दिसंबर को समानांतर सभा बटेश्वर में भी होगी, जो शास्त्रीय संगीत की रहेगी।  23 दिसंबर को सुबह कालीन सभा तानसेन की जन्मस्थली बेहट में और शाम की अर्थात इस साल के समारोह की अंतिम संगीत सभा गूजरी महल के परिसर में सजेगी। अंतिम सभा महिला कलाकारों पर केंद्रित रहेगी। सुबह सभा हर दिन 10 बजे और सांध्यकालीन सभा सायंकाल 6 बजे शुरू होंगीं। 



पहली एवं सायंकालीन सभा 19 दिसंबर - तानसेन समाधि स्थल 



सभा का शुभारंभ पारंपरिक रूप से शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगा। इस सभा में तानसेन सम्मान से विभूषित कलाकार पं.नित्यानंद हल्दीपुर मुंबई बांसरी वादन प्रस्तुत करेंगे। इस सभा में ख्यातिनाम गायक जनाब वासिफुद्दीन डागर दिल्ली का ध्रुपद गायन और देश की सुविख्यात शास्त्रीय गायिका विदुषी अश्विनी भिड़े देशपांडे पुणे का गायन होगा। 



सुबह सभा 20 दिसंबर - तानसेन समाधि स्थल 



इस सभा का शुभारंभ ध्रुपद केन्द्र भोपाल और शंकर गंधर्व संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगा। सभा में विश्व संगीत के तहत चिली देश के टॉमस कैरास्को गुबनैंटिस, मोआ निकोलस एडमंड्स ग्वेरा एवं अल्फ्रेडो तोस्टो की प्रस्तुति होगी। इसके बाद दीपिका भिड़े भागवत मुंबई का गायन, डालचंद शर्मा दिल्ली का पखावज वादन, फड़के देशपाण्डे पुणे का गायन और ब्रजभूषण गोस्वामी दिल्ली के ध्रुपद गायन की प्रस्तुति देंगे। 



 सायंकालीन सभा 20 दिसंबर - तानसेन समाधि स्थल 



इस सभा का आरंभ भारतीय संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगा। इस सभा में पं. व्यंकटेश कुमार धारवाड़ का गायन, पं. विश्व मोहन भट्ट एवं सलिल भट्ट जयपुर का मोहनवीणा वादन,धानी गुंदेचा भोपाल का ध्रुपद गायन, विश्व संगीत के तहत इजराइल के अवि अदिर एवं एलेक्स ओस्टापेंको की प्रस्तुति एवं सुषमा वाजपेयी कानपुर का गायन होगा। 



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सुबह सभा 21 दिसंबर - तानसेन समाधि स्थल 



इस सभा के आरंभ में तानसेन संगीत महाविद्यालय ग्वालियर की ध्रुपद प्रस्तुति होगी। इस सभा में विश्व संगीत के तहत जिम्बाब्वे के ब्लेसिंग चिमंगा के बैंड की प्रस्तुति होगी। इसके बाद पं. सुखदेव चतुर्वेदी मुम्बई का ध्रुपद गायन, अभिषेक बोरकर पुणे का सरोद वादन, आनंद भाटे पुणे का गायन एवं प्रवीण शेवलीकर भोपाल वायोलिन वादन की प्रस्तुति देंगे। 



सायंकालीन सभा 21 दिसंबर - तानसेन समाधि स्थल 



इस सभा की शुरूआत ध्रुपद केन्द्र ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगी। इसके बाद विदुषी परवीन सुल्ताना मुम्बई का गायन, श्री संतोष संत इंदौर का बांसुरी वादन, पं. दिनेश शुक्ला इंदौर का तबला वादन, राजेश सेंध मुंबई का ध्रुपद गायन एवं राम उमड़ेकर ग्वालियर का सितार वादन होगा। 



सुबह सभा 22 दिसंबर - तानसेन समाधि स्थल 



सभा की शुरूआत पारंपरिक रूप से सारदा नाद मंदिर ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगी। इस सभा में विश्व संगीत के तहत यूएसए के विलियम रीस हॉफमैन प्रस्तुति देंगे। इसके बाद विनोद मिश्रा सतना का गायन,बृजभूषण गोस्वामी दिल्ली का ध्रुपद गायन, उमेश कंपूवाले ग्वालियर का गायन एवं हर्ष नारायण मुंबई का सारंगी वादन होगा। 



संगीत सभा बटेश्वर 22 दिसंबर सुबह



विवेक नवले इंदौर का तबला वादन, साधना गोरे ग्वालियर का गायन व प्रभात कुमार दिल्ली का सरोद वादन होगा। 

 

 



सायंकालीन सभा 22 दिसंबर - तानसेन समाधि स्थल 



इस सभा का शुभारंभ राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय के ध्रुपद गायन से होगा। इस सभा में विश्व संगीत के तहत अर्जेंटीना के देसमाद्रे ऑर्केस्ट्रा की प्रस्तुति होगी। इसके पश्चात सुश्री अनुजा झोकरकर पुणे का गायन, शशांक सुब्रमण्यम चैन्नई का बांसुरी वादन, पं.जयतीर्थ मेवुण्डी धारवाड़ का गायन और पं.संजू सहाय लंदन (वाराणसी) का तबला वादन होगा। 



सुबह सभा 23 दिसंबर – बेहट 



सभा के प्रारंभ में ध्रुपद केन्द्र बेहट का ध्रुपद गायन होगा। इसके बाद हरविंदर सिंह चंडीगढ का गायन, विनय बिन्दे एवं प्रणय पराड़कर ग्वालियर की तबला जुगलबंदी और आदित्य शर्मा ग्वालियर की ध्रुपद गायन प्रस्तुति होगी। 



अंतिम संगीत सभा (सायंकाल) – 23 दिसंबर, गूजरी महल 



सभा की शुरूआत साधना संगीत महाविद्यालय ग्वालियर के ध्रुपद गायन से होगी। इसके पश्चात शिल्पा मसूरकर इंदौर का गायन,अनुप्रिया देवताले इंदौर का वायोलिन वादन और रीता देव दिल्ली का गायन होगा। 



राग सुमन माला का होगा लोकार्पण 



पण्डित बालाभाऊ उमडे़कर “कुण्डल गुरू” कृत राग सुमनमाला भाग प्रथम व द्वितीय का लोकार्पण भी तानसेन समारोह के शुभारंभ अवसर पर किया जायेगा। 



वादी - संवादी 



समारोह के अंतर्गत राजा मान सिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय में दो दिन 20 एवं 21 दिसंबर को वादी संवादी कार्यक्रम होगा। वादी संवादी के तहत 20 दिसंबर को अपरान्ह 3 बजे पं. किरण देशपाण्डे भोपाल द्वारा साहित्य और संगीत सर्जना-सोदाहरण व्याख्यान दिया जायेगा। इसी तरह 21 दिसंबर को अपरान्ह 3 बजे सुश्री शाश्वती मंडल दिल्ली द्वारा रियाज एवं मंच प्रदर्शन-सोदाहरण व्याख्यान देंगीं। 



रागमाला प्रदर्शनी व रंग संभावना 



तानसेन समारोह स्थल पर 20 से 23 दिसंबर तक संगीत सभाओं के समय गीत गोविंद पर एकाग्र रागमाला प्रदर्शनी लगी रहेगी। उधर पड़ाव स्थित कला वीथिका में भी इन्हीं तिथियों में ललित कला प्रदर्शनी “रंग संभावना” का आयोजन किया जाएगा। यह प्रदर्शनी कला प्रेमियों को अपनी कला के साक्षात्कार करने का माध्यम बनेगी।

 


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