Sidhi. सोन घड़ियाल अभ्यारण्य में घड़ियलों की वंश वृद्धि के लिए मुरैना से लाया गया नर घड़ियाल सीधी के जोगदहा घाट से बिहार पहुंच गया है। नर घडिय़ाल बिहार पहुंच गया किंतु विभागीय अधिकारियों को भनक तक नहीं लगने पाई। नर घड़ियाल पर निगरानी के लिए विशेष डिवाइस लगाई गई थी किंतु इसके बाद भी अधिकारियों को खबर नहीं हुई। ज्ञात हो कि सोन घड़ियाल अभ्यारण्य में मादा घड़ियाल तो थे किंतु नर घड़ियाल नहीं था, जिस कारण वंशबृद्धि नहीं हो रही थी। इसीलिए मुरैना से नर घड़ियाल को लाया गया था जिस कारण यहां मादा घड़ियालों ने सैकड़ा भर के करीब बच्चों को जन्म दिया था। नर घडिय़ाल की गतिविधियों पर नजर रखने विशेष डिवाइस लगाई गई थी पर विशेष निगरानी का कोई असर नही पड़ा है।
बेतिया की गंडक नदी में छोड़ा जाएगा
नर घडिय़ाल सीधी के जोगदहा घाट से बिहार पहुंच गया है। बताया गया है कि घड़ियाल को सात दिनों की मशक्कत के बाद पकड़कर बेतिया भेज दिया गया जहां से गंडक नदी में इसे छोड़ा जायेगा। डीएफओ मनीष कुमार वर्मा ने बताया कि रेस्क्यू किया गया घड़ियाल नर है और उसकी लंबाई 17 फुट है इसको सुरक्षित बेतिया तक ले जाने के लिए एक दिशा-निर्देश तैयार किया गया है। उसी के तहत चीफ वाइल्ड लाइफ वाटर ऑफिसर की देखरेख में एक टीम तैयार की गयी है, जो घड़ियाल को बेतिया तक ले जायेगी। घडिय़ाल को ट्रक के माध्यम से बेतिया तक ले जाया जा रहा है। इसके लिए एक 20 फुट का लकड़ी का बॉक्स बनाया गया है यह घड़ियाल बिहार-झारखंड के बॉर्डर पर सोन नदी से बहकर कैनाल तक पहुंचा था, इसे पकडऩे में काफी मशक्कत करनी पड़ी। रेस्क्यू करने के लिए 40 से अधिक मछुआरों की टीम लगी थी।
घड़ियाल पर पहले से ही लगी है ट्रैकिंग डिवाइस
इस घडिय़ाल पर पहले से ही ट्रैकिंग डिवाइस लगी हुई है। इसकी हरकतों को मॉनिटर करने के लिए वन विभाग की टीम द्वारा वेरी हाइ फ्रीक्वेंसी डिवाइस (वीएचएफ) लगाया गया है, डीएफओ ने बताया कि इस डिवाइस को किस वन्य प्राणी विभाग द्वारा लगाया गया है, लेकिन अभी तक किसी ने भी इसके बारे में कोई सूचना नहीं मांगी है और न हमें अभी जानकारी है। अगर यहां के अधिकारी संबंधित विभागों से पहले ही संपर्क करते तो शायद यह घड़ियाल पहले ही पकड़ा जाता क्योंकि इस डिवाइस से उसको ट्रैक किया जा सकता है कि फिलहाल वह क्या कर रहा है और कहां है।
बिहार के अधिकारी वापस नहीं करेगें घड़ियाल
सोन नदी के जोगदहा घाट से बिहार पहुंचे नर घडिय़ाल को कड़ी मशक्कत के बाद बिहार के बन अधिकारियों ने पकड़कर बेतिया भेज दिया है। इधर सोन नदी से गायब हुए घडिय़ाल की भनक लगने पर जब सीधी के अधिकारियों ने बिहार के अधिकारियों से संपर्क किया तो घडिय़ाल देने से साफ मना कर दिया है। बिना किसी प्रयास के नर घड़ियाल पाने के बाद बिहार के अधिकारी अब उसे अपना बता रहे है। लापरवाही के कारण हाथ से खिसका घडिय़ाल अब बिहार का होकर रह जायेगा।