भोपाल वन मंडल में जंगल की कड़ी निगरानी के कारण बढ़ रहे मोर, 4 साल में 33 फीसदी संख्या बढ़ी, ई- सर्विलांस से रखी जा रही नजर

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BP Shrivastava
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भोपाल वन मंडल में जंगल की कड़ी निगरानी के कारण बढ़ रहे मोर, 4 साल में 33 फीसदी संख्या बढ़ी, ई- सर्विलांस से रखी जा रही नजर

BHOPAL.  पक्षी प्रेमियों के लिए अच्छी खबर आ रही है। भोपाल वन मंडल में मोरों की संख्या बढ़ रही है। पिछली गणना की तुलना में 33 फीसदी मोर बढ़ गए हैं। साल 2018 में हुई  गणना में यह संख्या 7510 थी। वन विभाग का दावा है कि इस गणना में भोपाल वन मंडल में मोरों की संख्या 10 हजार हो जाएगी। हालांकि अभी गणना होना बाकी है।



ई-सर्विलांस से हमेशा जंगल पर रहती है नजर



भोपाल वन मंडल अधिकारियों ने बताया कि समरधा रेंज में सबसे ज्यादा मोर दिखाई दे रहे हैं। हालांकि, बैरसिया और नजीराबाद रेंज में मोरों की संख्या कम है। समरधा रेंज, बाघ मूवमेंट वाला इलाका है। यहां विभाग ने ई-सर्विलांस लगाया हुआ है। जिससे जंगल की हर गतिविधि पर वन विभाग की कड़ी नजर रहती है। यदि जंगल में कोई मूवमेंट होता है, तो पेट्रोलिंग टीम तुरंत पहुंच जाती है और शिकारियों के दबोच लेती है। कुछ शिकारी टीम को देखकर जंगल से भाग जाते हैं और फिर जंगल में आने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं। विभाग की सर्तकता के कारण 2018 से अब तक 171 शिकारियों को टीम पकड़ चुकी है। इस वजह से मोर जंगल में सुरक्षित हैं और इनकी संख्या बढ़ रही है।



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मादा मोर की संख्या है ज्यादा



भोपाल वन मंडल के एसडीओ आरएस भदौरिया ने बताया कि इन दिनों नर की बजाए मादा मोर ज्यादा दिखाई दे रही हैं। मादा मोर छोटे समूहों में दाना चुगती हैं। एक मादा सभी का प्रतिनिधित्व करती है, जिसे मास्टर मोरनी कहते हैं। आमतौर पर झुंड में एक नर और 7 से 10 मादाएं होती हैं। प्रजनन के मौसम में झुंड में केवल मादा और युवा मोर ही रहते हैं।



मोर के शिकार पर 3 साल की सजा का प्रावधान



केंद्र सरकार ने 26 जनवरी 1963 को मोर को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया था। इसके बाद वन्यजीव संरक्षण कानून में संशोधन कर मोर का शिकार करने पर पाबंदी लगा दी। मोर का शिकार करना, कैद करना और मारने पर वन अधिनियम की धारा 50 के तहत बिना वारंट गिरफ्तारी का प्रावधान है। इसके अलावा धारा 51 के अंतर्गत तीन साल की सजा और 25,000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान भी है।



यहां देखे जा रहे सबसे ज्यादा मोर



भोपाल वन मंडल के मुताबिक भोपाल के मिंडोरा, केकड़िया, स्मृति वन, केरवा डेम, कलियासोत क्षेत्र, आईआईएफएम, बैरागढ़ मोर वन , घोड़ा पछाड़, हताईखेड़ा, कठोतिया, शाहपुरा पहाड़ी, वन विहार, मानव संग्रहालय, लहारपुर बॉटनीकल गार्डन आदि में मोर सबसे ज्यादा दिखाई पड़ते हैं। मोरों पर रिसर्च की भी तैयारी है। जानकार बताते हैं कि एक मादा एक बार में 4 से 8 अंडे देती है। अभी तक मोरों पर बहुत कम रिसर्च हुई है। वन मंडल मोरों पर अध्ययन कराने का प्रस्ताव तैयार कर रहा है।




 


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