BHOPAL. मध्यप्रदेश गजब है। राजनीति अजब है। फैसलों की रफ्तार भी तार-तार। विधानसभा सचिवालय ने शनिवार (25 नवंबर) को एक बड़ा फैसला लिया। दो विधायकों की सदस्यता ख़त्म कर दी। एक हैं कांग्रेस से BJP में आये सचिन बिरला। दूसरे BJP छोड़कर अलग पार्टी बनाने वाले नारायण त्रिपाठी। बिरला को भाजपा का दुपट्टा ओढ़े डेढ़ साल से ज्यादा हो गया। त्रिपाठी अलग पार्टी बना चुके। दोनों चुनावी मैदान में हैं। मतदान भी हो चुका। अब विधानसभा भी नई सरकार के आने पर ही खुलेगी। अब सचिवालय को अचानक याद आया अरे ये दोनों तो अभी भी पुरानी पार्टियों के साथ ही बने हैं। यानी जनता ने सब देख लिया,अफसरों को अब समझ आया। इनकी इस कार्रवाई गति को देखकर कहीं किनारे पर बैठा हुआ कछुआ भी हैरान होगा। सोचता होगा मैं यूं ही बदनाम हूं धीमी गति के लिए।
17 नवंबर को वोटिंग हुई, काउंटिंग 3 दिसंबर को
मध्यप्रदेश के दो विधायकों सचिन बिरला और बीजेपी के नारायण त्रिपाठी की विधायकी खत्म कर दी गई है। विधानसभा सचिवालय के फैसले के बाद इस बारे में अधिसूचना जारी की गई है। दोनों विधायकों की विधायकी खत्म करने का यह फैसला ऐसे समय में हुआ है, जब इसका कोई महत्व नहीं रह जाता है। अभी विधानसभा का कोई सत्र नहीं होने वाला है। वहीं राज्य की 230 विधानसभा सीटों के लिए 17 नवंबर को वोटिंग हो चुकी है। 3 दिसंबर को काउंटिंग के लिए तैयारियां चल रही हैं।
ऐसे लटका रहा बिरला का मामला
बड़वाह से कांग्रेस एमएलए सचिन बिरला ने खंडवा लोकसभा के उपचुनाव के दौरान सीएम शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल होने की घोषणा कर दी थी। हालांकि, उन्होंने बीजेपी की सदस्यता नहीं ली थी, लेकिन कांग्रेस विधायक दल की बैठक में भी वे फिर नहीं पहुंचे। कांग्रेस विधायक दल ने दो बार बिरला की सदस्यता खत्म करने के लिए आवेदन दिया, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने उस आवेदन को तकनीकी कारण बताते हुए खारिज कर दिया था।
त्रिपाठी के इस्तीफे पर अब जाकर फैसला
मैहर से बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी पार्टी लाइन से बाहर जाकर विंध्य अंचल में काम कर रहे थे। उन्होंने विंध्य विकास पार्टी नाम से अपने राजनीतिक दल का पंजीयन भी करा लिया। इसके चलते बीजेपी ने जब उन्हें टिकट नहीं दिया तो उन्होंने बीजेपी और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे पर अब जाकर फैसला हुआ है।