तेलंगाना में गोदावरी नदी पर बन रहा बैराज, बस्तर की सैकड़ों एकड़  एग्रीकल्चरल लैंड पर होगा डूबने का खतरा, किया जाएगा संयुक्त सर्वे 

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Shivam Dubey
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तेलंगाना में गोदावरी नदी पर बन रहा बैराज, बस्तर की सैकड़ों एकड़  एग्रीकल्चरल लैंड पर होगा डूबने का खतरा, किया जाएगा संयुक्त सर्वे 

नितिन मिश्रा, RAIPUR. तेलंगाना में गोदावरी नदी पर समक्का बैराज का निर्माण किया जा रहा है। जिससे बस्तर की 724 एकड़ जमीन को डूबने का खतरा है। तेलंगाना बॉर्डर से बस्तर सटा हुआ है।जिससे यहां की भूमि डूब क्षेत्र में आ रही है।तेलंगाना कोई से लाभ होगा लेकिन बस्तर में नुकसान होने की आशंका है। 




724 एकड़ भूमि में डूबान का खतरा 



जानकारी के अनुसार बस्तर से लगे तेलंगाना बॉर्डर में गोदावरी नदी में समक्का बैराज का निर्माण किया जा रहा है जिससे बस्तर की 724 एकड़ भूमि पर डुबान का खतरा है तेलंगाना को बैराज बनने के बाद लाभ होगा लेकिन पश्चिम बस्तर का बीजापुर इलाका डूबा क्षेत्र में आ जाएगा इसके लिए दोनों राज्यों की सरकारों के बीच ज्वाइंट सर्वे प्रस्तावित किया गया है। 15 जुलाई 2022 को ज्यादा पानी बारिश और बैराज का निर्माण होने से गोदावरी नदी में बाढ़ आ गई थी। जिससे राष्ट्रीय राजमार्ग 163 बंद हो गया था। और तरलागुड़ा के आस-पास के गांव डूब गए थे। तकनीकी जांच के बाद 724 एकड़ जमीन के डूबने का पता चला था। 



किया जाएगा ज्वाइंट सर्वे 



इस मसले को लेकर दोनों राज्यों की सरकारों के बीच जॉइंट सर्वे प्रस्तावित हुआ है।आने वाले दिनों में दोनों राज्यों के टीम द्वारा सर्वे किया जाएगा।उसके बाद कितना क्षेत्र डूबान क्षेत्र में आ रहा है, उसका पता चलेगा। पिछले साल भारी बारिश और बाढ़ के कारण समक्का बैराज के बैकवॉटर से बीजापुर जिला के अंतर्गत तरलागुड़ा क्षेत्र  में लगभग 800 एकड़ भूमि जलमग्न हो गई थी। दोनों राज्यों के संयुक्त सर्वे के बाद ही वास्तविक डूबान इलाकों का आकलन हो सकेगा। 




कोटा में पहले से ही चल रही परेशानी 



बस्तर 4 राज्यों की सीमा से सटा हुआ है महाराष्ट्र उड़ीसा तेलंगाना आंध्र प्रदेश स्वामिनी पोलावरम बांध की वजह से सुकमा का कोटा क्षेत्र पहले से ही परेशानी में है।  बस्तर सीमा से सटे पोलावरम बांध को ओडिशा सरकार की मनमानी से इंद्रावती बस नदी में 50–50 फीसदी जल बंटवारा समझौता पानी को रोकने पर अमादा है यह समस्या बीते 58 वर्ष से चल रही है। इससे हजारों हेक्टेयर एग्रीकल्चरल लैंड और 18 पंचायतों के साथ-साथ ग्रेनाइट माइन्स और एक आदिवासी समुदाय के विलुप्त होने का खतरा बांध के बैक वाटर के कारण बना हुआ है।


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