संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर की त्रिशला गृह निर्माण संस्था के मामले में भूमाफिया दीपक मद्दा पर केस कराने और भू-माफियाओं के खिलाफ अभियान चलाना अधिकारियों पर ही भारी पड़ गया। भोपाल लोकायुक्त ने संस्था द्वारा की गई शिकायत के आधार पर तत्कालीन अपर कलेक्टर और वर्तमान में कलेक्टर अलीराजपुर डॉ. अभय बेड़ेकर के साथ ही तत्कालीन नायब तहसीलदार रितेश जोशी, थाना प्रभारी खजराना दिनेश वर्मा और एएसआई एनएस बोरकर और सहकारिता निरीक्षक प्रवीण जैन सभी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण एक्ट की धारा 7 (ग) के तहत केस दर्ज किया है। भूमाफिया अभियान के तहत तत्कालीन कलेक्टर मनीष सिंह के निर्देश पर प्रशासन द्वारा त्रिशला संस्था मामले में खजराना थाने में केस दर्ज कराया गया था।
यह है मामला
त्रिशला गृह निर्माण सहकारी संस्था के सदस्य द्वारा यह शिकायत की गई थी कि सहकारिता एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा दुराभाव के तहत त्रिशला गृह निर्माण सहकारी संस्था इंदौर के विरुद्ध थाना खजराना में धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज कराया है। इस आधार पर यह बताया गया कि ग्राम खजराना में 15 एकड़ आवासीय प्रयोजन की जमीन को न्याय विभाग कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी संस्था द्वारा पूर्व में ही खरीदा जा चुका था। प्रकरण दर्ज करवाने के पहले, सहकारी निरीक्षक प्रवीण जैन, जो कि स्वयं ही न्याय विभाग कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी संस्था के प्रशासक थे, उपरोक्त आशय की मिथ्या रिपोर्ट तैयार की गई तथा तत्कालीन नायब तहसीलदार द्वारा तत्कालीन अपर कलेक्टर के निर्देश पर थाने में प्रकरण कायम करवाया गया। जबकि उक्त जमीन को त्रिशला गृह निर्माण संस्था द्वारा रजिस्टर्ड विक्रय पत्र से खरीद कर न्यायालय तहसीलदार से नामांतरण स्वीकृत भी कराया जा चुका था।
यह प्रकरण सिविल वाद था, इस पर आपराधिक केस नहीं हो सकता था
लोकायुक्त में शिकायत हुई कि उक्त जमीन की खरीदी के विरुद्ध अपराध कायम करने सबंधी आवेदन को न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी द्वारा वर्ष 2017 में इस आधार पर खारिज किया गया था कि उक्त विवाद सिविल प्रकृति का है जिस पर अपराध दर्ज नहीं किया जा सकता। लोकायुक्त कार्यालय भोपाल द्वारा संबंधित अधिकारियों से जांच के दौरान उनका पक्ष और दस्तावेज प्राप्त कर पाया गया कि वर्ष 1998 में जिस गैर रजिस्टर्ड तथा बिना स्टांप ड्यूटी के इकरारनामा के आधार पर, न्याय विभाग कर्मचारी गृह निर्माण संस्था द्वारा जमीन खरीदी का दावा बताया गया, वह इकरारनामा विधिमान्य नहीं था तथा इस प्रकार का विवाद सिविल प्रकृति का होकर सिविल कोर्ट में चलने योग्य था ना कि अपराध दर्ज करने योग्य। यह भी बात गलत थी कि जमीन सीलिंग होकर सरकारी थी। सहकारिता विभाग एवं राजस्व विभाग के उक्त अधिकारियों को इस जमीन के संबंध में हस्तक्षेप की कोई अधिकारिकता प्राप्त नहीं थी।
थाने ने भी बिना जांच केस दर्ज किया
जिला प्रशासन द्वारा थाना खजराना में आवेदन दिया दया और दिनांक 18.10.21 को नायब तहसीलदार का पत्र प्राप्त होते ही, बिना किसी जांच के अपराध कायम करने पर, थाना खजराना के तत्कालीन थाना प्रभारी द्वारा भी सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन करना पाया गया। संपूर्ण जांच के उपरांत, लोकायुक्त कार्यालय भोपाल द्वारा, थाना-विशेष पुलिस स्थापना, भोपाल में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7(ग) के अंतर्गत तत्कालीन सहकारिता निरीक्षक प्रवीण जैन, तत्कालीन अपर कलेक्टर अभय बेडेकर, तत्कालीन नायब तहसीलदार रितेश जोशी, थाना खजराना के तत्कालीन थाना प्रभारी दिनेश वर्मा एवं सउनि श्री एन एस बोरकर के विरुद्ध प्रकरण दर्ज किया गया।
प्रशासन ने भूमाफिया अभियान में कराया था यह केस
प्रशासन द्वारा 18 अक्टूबर 2021 को आईपीसी धारा 420, 467, 468 व 120 बी के तहत दिलीप सिसौदिया उर्फ दीपक मद्दा, दिलावर आलम, सोहराब आलम, इस्लाम आलाम, जाकिर पटेल के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था। इसमें था कि 6 हेक्टेयर भूमि जो पहले न्याय गनर संस्था के साथ कृषकों से अनुबंधित थी, उसकी रजिस्ट्री किसानों के साथ मिलकर त्रिशला संस्था के अध्यक्ष दीपक मद्दा के नाम रजिस्ट्री कर दी। नगर भूमि सीमा एक्ट 1976 की धारा 20 के तहत मिली छूट का दुरूपयोग हुआ। अध्यक्ष त्रिशला मद्दा की ओर से न्याय विभाग कर्मचारी संस्था को पूर्व में अनुबंधित राशि लौटाने का अनुबंध कर भी राशि नहीं लौटाई गई। पूर्व में हुआ किसानों के अनुबंध निरस्त नहीं किया। विक्रय पत्र में दस्तावेजों का आशंकि रूप से कूटरचना हुई।