नितिन मिश्रा, RAJNANDGAON. राजनांदगांव में सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट का हाल बेहाल है। यहां 2 विभागों के मतभेद के कारण सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट रुका हुआ है। अब तक इसके 10% आवेदन ही स्वीकृत किए गए हैं। जबकि 13 जुलाई से आवेदन लेना ही बंद कर दिया गया है। बता दें कि प्रदेश सरकार ने साल भर पहले नियमितीकरण की योजना शुरू की थी।
सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट का बुरा हाल
जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ के प्रदेश सरकार में 1200 से ज्यादा वर्ग फीट के अवैध निर्माण को नियमित करने के लिए नियमितीकरण योजना शुरू की थी। इसके लिए शासन द्वारा प्रति वर्ग फीट के हिसाब से दर भी तय की गई थी। लेकिन यह प्रोजेक्ट दोनों के बीच पिसता हुआ नजर आ रहा है। राजनांदगांव जिले में साल भर पहले शुरू हुए इस योजना के केवल 10% आवेदन स्वीकृत किए गए हैं। वहीं 13 जुलाई के बाद से आवेदन लेना बंद कर दिया गया है। शनिवार 29 जुलाई से इसकी अवधि फिर से बढ़ाई गई है। मैंने साल भर बाद भी लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। या तो यूं कहें सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट 2 विभागों के बीच पिस रहा है।
10 प्रतिशत आवेदन ही स्वीकृत हुए
जानकारी के मुताबिक राजनंदगांव में साल भर में 600 से ज्यादा आवेदन आए थे जिनमें से सनसेट आवेदनों को ही स्वीकृति दी गई है। नगर निगम द्वारा नियम कानून का हवाला देकर आवेदनों को रोका जा रहा है। सीएम ने अवैध निर्माण को वैध करने की सुविधा देने के उद्देश्य से इस योजना की शुरुआत की थी। निगम में आवेदन देने के बाद समिति द्वारा कागजातों की जांच पड़ताल की जाती है।समिति द्वारा ही आवेदनों को स्वीकृति मिलती है। लेकिन स्थानीय स्तर पर नगर निगम द्वारा आवेदनों में कोई न कोई कारण बनाकर रोका जा रहा है। सालभर बीतने के बाद अब तक इसकी पांच बैठक हुई है। इनमें से संगठनों की अनुमति दी गई है।
निकाली जा रहीं कोई ना कोई गलतियां
जानकारी के अनुसार टाउन एंड कंट्री प्लानिंग जोर से आवेदनों को समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है। लेकिन निगम के एक अधिकारी द्वारा आवेदनों में कोई न कोई गलती निकाली जा रही है। जिसके कारण आवेदन को स्वीकृत नहीं किया जा रहा है। आवेदक के घर का छज्जा बाहर होने,बिजली तार ऊपर से जाने, रोड चौड़ाई नहीं होने गम भरे मामला रोका जा रहा है। नियमितीकरण करने के लिए 13 अगस्त तक आवेदन कर दिया गयाहै।शासन की कल्याणकारी नीतियों से संबंधित होने के कारण विशेष परिस्थिति में अधिनियम प्रावधान के तहत जन सामान्य को सुविधा देते हुए फैसला किया गया है।