सीहोर में पत्नी का शव कचरा गाड़ी से पोस्टमॉर्टम कराने ले गया, प्रशासन बोला- हमारे पास शव वाहन नहीं; यही CM शिवराज का गृह जिला है

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Neha Thakur
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सीहोर में पत्नी का शव कचरा गाड़ी से पोस्टमॉर्टम कराने ले गया, प्रशासन बोला- हमारे पास शव वाहन नहीं; यही CM शिवराज का गृह जिला है

SEHORE. सीहोर जिले में शव वाहन नहीं मिलने पर एक पति ने अपनी मृत पत्नी को कचरा ढोने वाली गाड़ी से पोस्टमॉर्टम के लिए ले गया। इस व्यवस्था के बाद एक बार फिर सीहोर जिला चर्चा का विषय बन गया है। इस मामले में प्रशासन का कहना है कि उनके पास शव वाहन नहीं हैं। इसलिए इस तरह की असुविधा होती है। लेकिन सवाल यह उठता है कि यदि सीएम के क्षेत्र के हालात ऐसे हैं तो अन्य जिलों की क्या स्थिति होगी। यहां के लोगों का कहना है कि जब जिंदा लोगों के लिए निशुल्क एम्बुलेंस की व्यवस्था है, तो फिर मौत के बाद लाश की इतनी बेइज्जती क्यों? सीहोर, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह जिला है।



एक साल पहले हुई थी शादी



सीहोर जिले के बुधनी के रहने वाले पुरुषोत्तम केवट बताते हैं कि उन्होंने पत्नी काजल केवट किराए के घर में रहते थे। दोनों ने सालभर पहले लव मैरिज की थी। काजल प्राइवेट कंपनी में काम करती थी। 25 मई को काजल का शव फंदे पर मिला था। हालांकि, अभी तक इसका कारण सामने नहीं आ सका। उसके शव को बुधनी नगर परिषद की कचरा गाड़ी से पीएम कराने अस्पताल ले जाया गया। इस दौरान किसी ने इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया।



बुधनी से 5 बार विधायक सीट से जीते हैं शिवराज



सीहोर बुधनी से सीएम शिवराज सिंह चौहान 5 बार विधायक चुने गए हैं। सबसे पहले 1990 में यहां से विधानसभा चुनाव जीते थे। इसके बाद 2005, 2008, 2013 और 2018 में यही से विधायक चुने गए। इस मामले में बुधनी नगर परिषद की अध्यक्ष सुनीता मालवीय के पति अर्जुन मालवीय कहते हैं कि इस क्षेत्र के लोग खुद अपनी ही गाड़ियों का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए शव वाहन की जरूरत नहीं पड़ती। नगर परिषद की तरफ से ट्रॉली की व्यवस्था करा दी जाती है, लेकिन लोग मना कर देते हैं। हालांकि, जल्द ही शव वाहन की व्यवस्था हो जाएगी, क्योंकि स्वीकृति मिल चुकी है।



पिछले साल की शव ले जाने कचरा वाहन का किया था उपयोग



जानकारी के अनुसार 2022 में भी एक युवक ने ऑनलाइन गेम में पैसे हार जाने के बाद फांसी लगा ली थी। तब भी शव को नगर परिषद की कचरा गाड़ी में डालकर पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाया गया था।



बिजली नहीं होने से पीएम करना होता है मुश्किल-डॉक्टर



डॉक्टर्स बताते हैं कि बिजली नहीं होने से वहां पोस्टमॉर्टम करना मुश्किल हो जाता है। यहां किसी भी तरह की सुविधा नहीं है, लेकिन हम लोग भी लाचार हैं। पोस्टमॉर्टम रूम के बाहर गंदगी का अंबार है और यहां आने तक कोई पक्की सड़क भी नहीं है। बारिश के दिनों में कीचड़ में घुसकर 200 मीटर तक जाना पड़ता है।



15 साल बाद भी व्यवस्थाएं लचर



कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष संजय शर्मा ने कहा कि पिछले 15 साल से सरकार में होने के बावजूद शिवराज सिंह बुधनी के विकास के मामले में उदासीन रहे हैं। अगर आप कमलनाथ या दिग्विजय सिंह के क्षेत्र में जाएंगे, तो वहां जितना विकास दिखेगा, वो इसके सामने न के बराबर है। अब वे नया अस्पताल खोल रहे हैं। मगर, क्या फायदा जब डॉक्टर ही नहीं होगा?


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