पलासिया स्थित प्रसिद्ध ग्रेटर कैलाश (जीके) अस्पताल अब नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल NCLT के पजेशन में चला गया है। अब मैनेजमेंट डॉ. अनिल बंडी और डॉ. राधिका बंडी का नहीं रहा। बैंक से लेकर कई कर्जदारों के क्लेम के चलते मामला कलेक्टर कोर्ट से होकर पहले डीआरटी और फिर एनसीएलटी चला गया था। यहां पर एक अगस्त को अस्पताल के खिलाफ फैसला हो गया और ट्रिब्यूनल ने इन्सोल्वेंसी प्रोफेशनल के तौर पर सीए मंगेश विट्ठळ केकरे को अधिकृत कर दिया है।
डॉ. बंडी का फैसलों में दखल नहीं, लेकिन सहायक रहेंगे
हालांकि मैनेजमेंट में अब फैसलों में डॉ. बंडी दंपती का दखल नहीं रहेगा, लेकिन प्रोफेशनल द्वारा अस्पताल के कामों में उनकी मदद ली जाती रहेगी, ताकि मरीजों को कोई समस्या नहीं हो और अस्पताल बेहतर तरीके से काम करता रहे। डॉक्टर के रूप में उनकी भूमिका को नकारा नहीं गया है।
अस्पताल और क्लेम का क्या होगा
सीए केकरे ने द सूत्र से चर्चा करते हुए साफ कहा कि अस्पताल बंद नहीं हो रहा है, हम इसे बंद नहीं होने देंगे। वित्तीय समस्या है, इसे 6 महीने में हल करना है। पहले सभी के क्लेम लिए जा रहे हैं। यह क्लेम आने के बाद इसका मैनेजमेंट कौन सा ग्रुप लेने में रूचि रख रहा है, उसका निर्धारण होगा। क्लेम सेटमेंलट के बाद जो भी कंपनी इसे चलाने के लिए आगे आती है, उसका एनालिस कर उसे अधिकृत किया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया में 6 से 8 माह का समय संभावित है। लेकिन अस्पताल चलता रहेगा।
क्लेम के लिए क्या करना है
जिस भी किसी भी लेनदार का अस्पताल प्रबंधन पर क्लेम निकल रहा है, उन्हें अधिकृत नियुक्त केकरे के दफ्तर 607, चेतक चेंबर, आरएनटी इंदौर पर क्लेम सबमिट करना है। इसके लिए अंतिम तारीख 15 अगस्त है। इसके पहले क्लेम पेश करना होगा। इन्हीं क्लेम के आधार पर ही आगे जाकर जब यह ग्रुप किसी अन्य मैनेजमेंट को जाएगा तो भुगतान प्राप्त होगा और सभी को उनके दावों की राशि दी जाएगी। अस्पताल के संचालन और कैसे होगा और क्या प्रक्रिया होगी, क्लेम की जानकारी देने के लिए नियुक्त प्रोफेशनल CA द्वारा 9 अगस्त को अस्पताल में डॉक्टरों की मीटिंग भी ली जा रही है। इसके बाद वह स्टाफ के साथ भी चर्चा करेंगे ताकि किसी को भी घबराहट नहीं रहे कि अस्पताल बंद हो रहा है। सभी को क्लेम मिलेंगे और अस्पताल चलता रहेगा।
किसलिए हुआ यह आदेश
अस्पताल पर विविध बैंकों के लोन के साथ ही अन्य देनदार भी थे। एक देनदार सुखकर्ता मेडीकोज के पुनिल लाल द्वारा एनसीएलटी में दावा लगाया गया कि ग्रेटर कैलाश प्रबंधन पर उनके 2.28 करोड़ रुपए बकाया है और राशि नहीं मिल रही है, डिफाल्ट हो गई है। इसके पहले बैंकों ने भी कुर्की के नोटिस जारी किए थे। यह सभी डीआरटी के आदेश पर हुए थे। लेकिन अब एनसीएलटी का आदेश आने के बाद बाकी सभी आदेश का मतलब नहीं रहता है, एक बार केस ट्रिब्यूनल में जाने के बाद अन्य जगह चल रहे सभी केस शून्य हो जाते हैं और फिर ट्रिब्यूनल का ही आदेश मान्य होता है। यानी अब सबी क्लेम का सेटलमेंट अधिकृत नियुक्त प्रोफेशनल सीए केकरे के माध्यम से होगा।
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