इंदौर संभागायुक्त का अब एमटीएच में दौरा, फिर नहीं मिले आठ डॉक्टर, दूधकांड के बाद किसी बच्चे को दूध ही नहीं दे रहा प्रबंधन

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The Sootr CG
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इंदौर संभागायुक्त का अब एमटीएच में दौरा, फिर नहीं मिले आठ डॉक्टर, दूधकांड के बाद किसी बच्चे को दूध ही नहीं दे रहा प्रबंधन

INDORE. इंदौर संभागायुक्त मालसिंह भयड़िया का डॉक्टरों को नोटिस देने का सिलसिला दूसरे दिन भी जारी रहा। मेडिकल कॉलेज के अधीन आने वाले अस्पताल एमटीएच में संभागायुक्त ने दौरा किया और यहां हालत एमवायएच से भी खराब मिली। इसके चलते उन्होंने तत्काल ही उप अधीक्षक डॉ. अनुपमा दवे को हटाने के आदेश दे दिए। वहीं समय पर आने वाले आठ डॉक्टरों को नोटिस जारी कर दिए गए। वहीं चौंकाने वाली बात सामने आई है कि 13 जुलाई के बाद किसी भी बच्चे को वहां दूध नहीं दिया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि यहां दो नवजात की मौत के बाद परिजनों ने दूध गलत होने और डॉक्टरों द्वार लापरवाही बरतने के आरोप लगाए थे, जिसके बाद मामले की जांच के आदेश हुए थे लेकिन जांच ठंडे बस्ते में डाल दी गई और बच्चों को दूध देना ही बंद कर दिया गया। इसमे सामने आया था कि एक सप्ताह में ही 20 बच्चों की मौत हो चुकी थी। 



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इन डॉक्टरों को दिया गया नोटिस



संभागायुक्त ने दौरे के दौरान अस्पताल उप अधीक्षक डॉ. अनुपमा दवे से व्यवस्थाओं, मरीजों की स्थिती खामियों सहित अन्य जानकारी चाही तो वे संतुष्टीपूर्ण जवाब नही दे सकी। उनका व्यवहार भी अनुकूल नही था। मरीजों की परेशानियों के बारे में भी नही बता सकी। संभागायुक्त ने नाराजगी जताते हुए उन्हे अस्पताल से हटाने के निर्देश डीन डॉ. संजय दीक्षित को दिए। वहीं अस्पताल निरीक्षण के दौरान डॉक्टरों की अनुपस्थित और सही जानकारी नही देने पर डॉ. रिया, डॉ. पारूल चौरसिया, डॉ. अनुपम डीके, डॉ. नेहा, डॉ. अंजू माहोरे, डॉ. अमित , डॉ. सुनीता देची तथा डॉ. दीपक तिवारी को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। 



दो घंटे के दौरे में ही खुल गई अस्पताल की पोल



हाल ही में इस अस्पताल में सर्जरी में लगने वाले धागे नहीं मिलने की खबरें सामने आई थी। संभागायुक्त ने दो घंटे दौरा किया तो यहां ढेरों खामियां पाई गईं। ओपीडी कक्ष का निरीक्षण किया। वहां पर डॉक्टर और स्टाफ उपलब्ध नही थे। पैथॉलाजी लैब के इंचार्ज डॉ. अनुपता दीघे भी ड्यूटी पर उपस्थित नही थी। माइक्रोबॉयोलाजी लैब का निरीक्षण की

खामियां पाई गईं। यहां ड्यूटी चार्ट लगाने, सिसटम सुधारने के लिए कहा गया। लेकिन, डॉ. अंजू महोरा और डॉ. नेहा भी 10 बजे उपस्थित नहीं थी। बायोकेमेस्रिी रजिस्टर चेक किया, सैंपल देने में हो रही देरी पर नाराजगी जताई। यही नहीं बल्कि घंटो सैंपल नही भेजे जा रहे जबकि नियमानुसार हर आधे घंटे में सैंपल भेजना होता है। 



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टूटी हुई कुर्सियां थी, पोर्टल पर एंट्री भी बंद थी



संभागायुक्त ने आयुष्मान ऑफिस के निरीक्षण के दौरान रजिस्टर और कंप्यूटर से जानकारी निकाली तो 1400 के पेंडिंग होने की बात सामने आई। उन्होंने सोनोग्राफी सिस्टम की बारिकी से पूछताछ की। गलत जानकारी देने पर कंप्यूटर ऑपरेटर को डांट लगाई। पैथॉलाजी लैब में टूटी हुई कुर्सियां मिलने पर उन्हें हटाने को कहा गया। जननी सुरक्षा योजना की जानकारी के संबंध में संतुष्टीपूर्ण जवाब भी नही मिला। डिलीवरी के बाद मिलने वाली राशि के बारे में उन्होंने पाया की पोर्टल पर एंट्री नहीं की गई। यही नहीं बल्कि सफाई व्यवस्था भी बहुत खराब पाई गई। हर मंजिल के शौचालय गंदे थे, वही नल-फर्सियां टूटी हालत में थी। दीवारों और शौचालय में गंदगी पसरी हुई थी। पीने के पानी की व्यवस्था भी गड़बड़ाई हुई मिली। अस्पताल अधीक्षक इस बारे में ठीक से जानकारी नही दे सके। मरीजो को अपने स्तर पर ही पीने के पानी की व्यवसथा करने की जानकारी भी मिली। संभागायुक्त ने तीन दिनों में दोनों व्यवस्थाएं ठीक करने के निर्देश दिए हैं।



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