बचपन में एक क्लासरूम में मजाक मजाक में अक्सर एक बात कही जाती थी. शायद आपने भी कही हो या आपकी टीचर से सुना हो. कहा ये जाता था कि सबसे शैतान बच्चे को क्लास का मॉनिटर बना दो क्लास अपनेआप शांत रहेगी. मजाक भरा ये जुमला कभी कभी सियासत पर फिट बैठ जाता है. बीजेपी ने भी एक ऐसा ही फैसला लिया है. हालांकि इस कॉटेक्स्ट में शैतान शब्द पूरी तरह मुफीद नहीं है. लेकिन ये तो कहा ही जा सकता है कि बीजेपी ने जिस नेता को मप्र की कमान सौंपी. उसके लिए पार्टी के अंदर ही मौजूद अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी से हाथ मिलाना मजबूरी बन गया है. कट्टर प्रतिद्वंद्वी की मजबूरी ये है कि वो उस हाथ को खाली नहीं लौटा सकता. पहले ये दो नेता बिना अंदर अंदर एक दूसरे की खिलाफत कर रहे थे. अब हालात ये है कि दोनों की साख एक ही जगह से एक ही समय पर दांव पर है. दूसरे की जड़े काटने की कोशिश की तो अपना आधार भी कमजोर होगा.
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