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गंगेश द्विवेदी @ RAIPUR
अखिल भारतीय सतनाम सेना इस बार कांग्रेस का खेल बिगाड़ने में बड़ी भूमिका निभा सकती है। सतनामी समाज के गुरू बालदास का दावा है कि उनके प्रभाव से कम से कम 50 सीटों पर कांग्रेस को नुकसान होने वाला है। बालदास अपनी सामाजिक संस्था को ना केवल मैदानी इलाकों में रिचार्ज कर चुके हैं बल्कि अब पहाड़ी क्षेत्र बस्तर और सरगुजा का भी रुख कर रहे हैं।
बालदास ने 2018 में ली थी कांग्रेस में एंट्री
2018 से पहले सतनामी समाज के गुरू बालदास बीजेपी में थे। 2018 में उन्होंने यह सोचकर कांग्रेस में प्रवेश किया था कि एक ठेठ छ्त्तीसगढ़िया मुख्यमंत्री को नेतृत्व मिला है, तो उनके समाज के लोगों को भी इसका फायदा दिला सकेंगे। वहीं अपने बेटे खुशवंत साहेब के लिए वे राजनीतिक जमीन की तलाश में भी थे। लेकिन 2023 आते-आते उनका मोह भंग हो गया। उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में प्रवेश कर लिया। भाजपा ने उनके सम्मान का पूरा ख्याल रखने के साथ बेटे को भी टिकट देने का वादा किया। अनुसूचित जाति बहुल आरंग सीट से उनके बेटे का नाम फाइनल माना जा रहा है। इसके साथ ही भाजपा ने उन्हें पूरे प्रदेश में घूम-घूमकर सामाजिक लोगों की बैठक लेने का आग्रह भी किया। प्रवेश के बाद से बालदास लगातार अलग-अलग क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं और सामाजिक रूप से लोगों को एकजुट कर रहे हैं।
21 सीटों पर बिगाड़ा था कांग्रेस का गणित
बता दें कि गुरू बालदास ने अपनी सामाजिक संस्था अखिल भारतीय सतनाम सेना के बैनर तले करीब 21 सीटों पर कांग्रेस को बुरी तरह डैमेज किया था। बाल दास ने सतनाम सेना का गठन किया था, जो बमुश्किल दो महीने पहले पंजीकृत हुई थी। खास बात यह है कि सतनाम सेना ने जिन 21 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, उनमें से केवल दो निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थे, जबकि शेष 19 सामान्य सीटें थीं, जिनमें पर्याप्त संख्या में सतनामी मतदाता थे। गुरू बालदास को हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराई गई थी, जिसके जरिए उन्होंने लगातार 5 दिनों तक इन विधानसभा क्षेत्रों का दौरा कर सामाजिक वोटों का ध्रुवीकरण किया था। कहा जाता है कि हेलीकॉप्टर और उनके दौरे का पूरा खर्च भाजपा ने वहन किया था।
मोहम्मद अकबर, धरमजीत सिंह जैसे दिग्गज हारे थे चुनाव
2013 के चुनाव में निर्दलीयों के रूप में उतरे सतनाम सेना के प्रत्याशियों ने 8 से 10 हजार तक वोट हासिल किए थे। इसका प्रभाव यह रहा कि कांग्रेस के दिग्गज नेता मोहम्मद अकबर, धरमजीत सिंह जैसे नेताओं को हार का सामना करना पड़ा था। कवर्धा सीट पर भी सतनाम सेना ने 2,858 वोट काटे। यही कारण रहा कि कांग्रेस के दिग्गज उम्मीदवार मोहम्मद अकबर महज 2,558 वोट से भाजपा के नए नवेले अशोक साहू से चुनाव में पराजित हो गए थे। लोरमी सीट में कांग्रेस उम्मीदवार धरमजीत सिंह की विजय रथ को अनुसूचित जाति वर्ग (सतनामी समुदाय) के उम्मीदवार गुरु सोमेश ने रोक दिया। चुनाव परिणाम में तीसरे स्थान पर रहे अखिल भारतीय सतनाम सेना के उम्मीदवार सोमेश को 16,649 वोट मिले, जो हार के अंतर से बहुत अधिक था।
50 सीटों पर प्रभाव
प्रदेश की कुल आबादी का 16 प्रतिशत अनुसूचित जाति वर्ग से है। ज्यादातर आबादी मैदानी इलाकों में हैं। वहीं पहाड़ी क्षेत्र बस्तर और सरगुजा में भी इनकी उपस्थिति है। दस आरक्षित सीटों पर इनकी आबादी 50 फीसदी से अधिक है, लेकिन 40 सीटों पर इनकी आबादी का प्रतिशत इतना है कि चुनाव का रुख पलट सकते हैं। रायपुर, बिलासपुर,कोरबा, बलौदाबाजार, महासमुंद, दुर्ग, राजनांदगांव, बेमेतरा आदि जिलों में इनकी पर्याप्त आबादी है। इन सभी जिलों में विधानसभा की सामान्य सीटें हैं। यही वजह है कि समाज के गुरू बालदास इन सीटों पर वोटों का ध्रुवीकरण करने में कामयाब होते हैं।
2014 की छह लोकसभा सीटों पर भी धोया
रायपुर, बिलासपुर,महासमुंद, दुर्ग, राजनांदगांव और जांजगीर-चांपा लोकसभा क्षेत्र से सतनाम सेना ने अपने प्रत्याशी उतारे थे, दुर्ग को छोड़कर बाकी 10 लोकसभा सीटों में कांग्रेस का सफाया हो गया था। महासमुंद से सतनाम सेना के प्रत्याशी ने नाम वापस ले लिया था क्योंकि यहां से अजीत जोगी चुनावी मैदान में थे। इसके बावजूद जोगी चुनाव हार गए।
कांग्रेस के पास विजय गुरू और रुद्र गुरू
गौरतलब है कि कांग्रेस के पास इस समाज के विजयगुरू और उनके बेटे रुद्रगुरू हैं। रुद्रगुरू अभी अहिवारा से विधायक है और सरकार में मंत्री भी हैं। जबकि उनके पिता का निर्वाचन क्षेत्र आरंग रहा है। समाज के बीच इनकी भी पैठ अच्छी बताई जाती है।
कैसा है सतनाम समाज का स्ट्रक्चर
छत्तीसगढ़ में समुदाय के चार धाम (केंद्र) हैं। सबसे बड़ी गिरौधपुरी है, उसके बाद अगमन, भंडारपुरी और खपरी हैं। गिरौधपुरी और अगमन धाम का नेतृत्व विजय गुरु करते हैं। भंडारपुरी के प्रमुख गुरू बालदास हैं। गुरू बालदास को छोड़कर किसी भी धाम के किसी भी कार्यवाहक पुजारी ने कोई राजनीतिक संगठन नहीं बनाया था। बाल दास ने 2013 के विधानसभा चुनाव के करीब दो महीने पहले सतनाम सेना का गठन किया और भाजपा विरोधी वोटों को विभाजित करने के लिए सतनामी बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवार उतारे। रणनीति काम कर गई। बीजेपी ने उन सीटों पर जीत हासिल की, जहां सतनामी समुदाय की निर्णायक संख्या थी।
वहीं अखिल भारतीय सतनाम सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष धर्मगुरू बालदास का कहना है कि अखिल भारतीय सतनाम सेना एक सामाजिक संगठन है, इस संगठन में देश भर से समाज के लोग जुड़ रहे हैं। क्योंकि मैं इस संगठन का राष्ट्रीय अध्यक्ष हूं और धर्मगुरू भी हूं, समाज के लोगों का स्वाभाविक झुकाव उस पार्टी की ओर रहता है, जिनके साथ मैं रहता हूं। मैदानी इलाके की तकरीबन सभी सीटें और कुछ सरगुजा और बस्तर की सीटों में भी हमारे समाज के लोग निर्णायक भूमिका में रहते हैं। मैं लगातार उनसे मिल-जुलकर रहा हूं, जैसे अभी में जगदलपुर आया हूं। बस्तर क्षेत्र की 12 सीट विधानसभा चुनाव में निर्णायक भूमिका में रहती है, इसके बाद सरगुजा का भी दौरा करूंगा ।
भाजपा प्रवक्ता केदार गुप्ता ने बताया कि भाजपा धर्म और संस्कृति को बढ़ावा देने वाली पार्टी है। सभी धर्मो के धर्मगुरूओं का हमेशा हमारे यहां स्वागत और सम्मान रहा है और उनका आशीर्वाद भी पार्टी को मिलता रहा है। जहां तक गुरू बालदास जी के भाजपा में आने का प्रश्न है, तो वे पहले भी भाजपा में ही थे, उनकी वापसी हुई है तो फायदा भी पार्टी को मिलेगा, इसमें दो मत नहीं है।