एक बहुत पुराना गाना है... दोस्त दोस्त न रहा, प्यार प्यार न रहा ये दर्दभरा नगमा तकरीबन हर उस विधानसभा सीट पर बीजेपी के लिए फिट है जहां जहां शिवराज कैबिनेट के मंत्री है. अभी कुछ ही दिन की बात है मप्र की सियासत में क्यूआर कोड का शगूफा बहुत चला. कहीं कमलनाथ के पोस्टर लगे जिसका क्यूआर कोड स्केन करने पर भ्रष्टाचारों की लंबी सूची खुलने लगी. तो शिवराज सिंह चौहान के पोस्टर लगते भी देर नहीं लगी. क्यूआर कोड की जुबानी भ्रष्टाचार की कहानी कहने वाले ऐसे पोस्टर्स का बोल बाला रहा. ये किसकी कारस्तानी हो सकती है इसको लेकर भी खूब बातें चलीं. कमलनाथ पर जो आरोप हैं वो अलग बात है लेकिन बीजेपी की मुश्किल इन पोस्टरों से ज्यादा उसके मंत्री और विधायक बन चुके हैं. ऐसे मंत्रियों की लिस्ट लंबी होती जा रही है जिनके क्षेत्र में विधायक या कोई अन्य नेता ही मंत्रियों के कारनामों का कच्चा चिट्ठा खोल रहा है. इस आपसी कलह को बीजेपी प्रेशर पॉलीटिक्स का नाम देकर दरकिनार तो करने की कोशिश में है पर अफसोर सारी कोशिशें अब तक नाकाम साबित हो रही है.
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