किसी के काम जो आए, उसे इंसान कहते हैं... मैं बचपन से ये लाइंस सुनता आ रहा हूं... सोचिए, कभी खुद को इंसान साबित करने का मौका मिले तो आप क्या करेंगे... क्या आप भी ग्वालियर के युवा हिमांशु श्रोत्रिय और सुकृत शर्मा की तरह हिम्मत और साहस दिखा पाएंगे... अगर आप हिमांशु और सुकृत को नहीं जानते तो जान लीजिए कि ये वो ही छात्र हैं जिन्होंने हाल ही में प्रोफेसर रंजीत यादव नाम के शिक्षक की जान बचाने के लिए हाईकोर्ट जज संजीव एस. कालगांवकर की कार का उपयोग किया... बस उनसे ये गलती हो गई कि वो जज साहब को बता नहीं पाए कि वो उनकी कार ले जा रहे हैं... अरे भाई, बताते भी कैसे उन्होंने कोई मौज मस्ती के लिए थोड़े ही कार उठाई थी... उनका मकसद था कि वो हार्ट अटैक से दम तोड़ रहे एक शिक्षक को बचा पाएं... मगर अफसोस वो नहीं बचा पाए... फिलहाल इस घटना की खूब चर्चा हो रही है... कानूनी रूप से दोनों छात्रों पर पुलिस ने डकैती और लूट की धारा लगाकर जेल में डाल दिया है... लेकिन सामाजिक तौर पर लोग खुलकर छात्रों का समर्थन कर रहे हैं।
Justice For Himanshu & Sukrit, Himanshu और Sukrit के सपोर्ट में उतरे लोग, सुनिए क्या बोले ?
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