कैलाश विजयवर्गीय मकर संक्रांति पर कनकेश्वरी मैदान पर आयोजित पतंग बाजी के आयोजन में शामिल हुए थे। इस दौरान खूब हंसी- ठिठोली भी हुई। इसी बीच यह बात जिस अंदाज में कही है, उसके कई अर्थ निकाले जा रहे हैं।
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