BHOPAL. मध्यप्रदेश में नर्सिंग कॉलेज में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। ये नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा इन दिनों सुर्खियों में है। नर्सिंग घोटाला सामने आने के बाद इस मामले में सीबीआई ने जांच शुरू कर दी है। इसमें कई सच सामने आ रहे है। ऐसे में अब सवाल खड़े हो रहे है कि स्टूडेंट्स के भविष्य से हुए खिलवाड़ का दोषी कौन है? नर्सिंग कॉलेजों के संचालकों और फैकल्टी को बुलाकर फैकल्टी का वेरिफिकेशन किया जा रहा है।
800 कॉलेजों में 1 हजार फैकल्टी फर्जी, किसी की जन्म तारीख बदली
जानकारी के मुताबिक प्रदेश के 800 नर्सिंग कॉलेजों में 14 हजार में से 3 हजार ऐसी टीचिंग फैकल्टी रजिस्टर्ड हैं। इन कॉलेजों में बाहरी राज्यों की फैकल्टी डुप्लीकेट दस्तावेज लगाकर पढ़ा रही है। इनका माइग्रेशन और रजिस्ट्रेशन नर्सिंग काउसिंल में किया गया है। इसमें से 600 फैकल्टी ऐसी हैं, जिनके माइग्रेशन और रजिस्ट्रेशन नंबरों को कई बार फर्जी तरीके से अलग-अलग जनरेट कर राज्य के कॉलेजों में मान्यता प्राप्त करने दर्शाया गया है। इसके अलावा 500 फैकल्टी के एक समय पर कई कॉलेजों में माइग्रेशन है। कॉलेज संचालकों ने एक टीचर के माइग्रेशन नंबर के लिए जन्मतिथि बदल दी है, कुछ में पास होने का साल, तो किसी के सरनेम में बदलाव कर दिया गया है। प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजो में कुल बाहरी राज्यों के लगभग 3 हजार फैकल्टी माइग्रेशन नंबर से रजिस्टर्ड हैं। इसमें से 1000 से ज्यादा डुप्लीकेट हैं।
कई माइग्रेशन नंबर संदिग्ध मिले
विष्णु कुमार स्वर्णकार के 14 से ज्यादा माइग्रेशन नंबर फर्जी तरीके से बनाए गए है। उसे एक साथ 15 कालेजों में कार्यरत दिखाया गया है। इसकी जन्मतिथि और सरनेम बदलकर घोटाला किया गया है। इसके अलावा लीना की टीचिंग स्टाफ के 15 से ज्यादा माइग्रेशन नंबर जनरेट किए गए। उनके नाम बदलकर नर्सिंग कॉलेज में फर्जीवाड़े किए गए है।