राज्य सेवा परीक्षा 2019 फिर जाएगी कोर्ट, 2021 मेंस का रिजल्ट सिस्टम ने उलझाया, पांच साल से नहीं मिला नया अधिकारी

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Pratibha Rana
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राज्य सेवा परीक्षा 2019 फिर जाएगी कोर्ट, 2021 मेंस का रिजल्ट सिस्टम ने उलझाया, पांच साल से नहीं मिला नया अधिकारी

संजय गुप्ता, INDORE. राज्य सेवा परीक्षा 2019 का दुर्भाग्य खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। हाईकोर्ट के पूर्व रिजल्ट में पास और बाद में फेल घोषित सभी 369 उम्मीदवारों के इंटरव्यू कराए जाने के आदेश के बाद विधिक विचार-विमर्श के बाद आयोग एक बार फिर हाईकोर्ट में अपील करने की तैयारी कर रहा है। यह याचिका जल्द लग जाएगी, यानि आयोग अब सभी के इंटरव्यू फिलहाल तो नहीं कराने जा रहा है। उधर राज्य सेवा परीक्षा 2021 मेंस और सेट का रिजल्ट तैयार है लेकिन अधिकारियों ने अपने हितों के चलते आयोग की आचार संहिता का बहाना लेकर इसे होल्ड कर दिया है। सूत्रों के अनुसार अब यह 17 नवंबर को वोटिंग के बाद ही आना संभव होगा। सेट का रिजल्ट भी बनकर तैयार है और इसी के चलते रोका हुआ है।

पांच साल से नहीं मिला शासन को अधिकारी

 उल्लेखनीय है कि आयोग ने अंतिम बैच 2018 की निकाली थी, उसी बैच के डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी व अन्य अधिकारी अभी काम कर रहे हैं। साल 2020 का फाइनल रिजल्ट जरूर आयोग ने दिया है लेकिन इनका अंतिम रिजल्ट आए भी चार माह का समय हो गया है और इन्हें नियुक्ति नहीं दी गई है, जबकि सामान्य प्रशासन विभाग का नियम तीन माह में नियुक्ति देने का है। यानि पांच साल से सिस्टम में नया अधिकारी नहीं मिला है।

राज्य सेवा परीक्षा 2021 रिजल्ट मेंस आयोग का कोई काम ही नहीं

द सूत्र ने इस मामले में केंद्रीय चुनाव आयोग से जुड़े पूर्व अधिकारियों से लेकर अन्य से चर्चा की और सामने आया कि आयोग की आचार संहिता में यह कहीं प्रावधान ही नहीं है कि रिजल्ट रोके जाएं। खासकर हो चुकी परीक्षा और इसमें भी कोई फाइनल नियुक्ति या रिजल्ट नहीं हो रहा है, इन्हें रोकने का कोई प्रावधान नहीं है। जैसे कोई सड़क, पुल निर्माण काम का टेंडर आचार संहिता से पहले हो चुका है तो फिर वह काम नहीं रोका जाता है। लाड़ली बहना योजना की किश्त भी तो डाली गई है वह भी नहीं रूकी।

राजनीतिक मंजूरी के चलते युवाओं के साथ खेल रहे

पहले तो आयोग (पीएससी) ने ही बेवजह इस मामले को सामान्य प्रशासन विभाग भोपाल स्तर पर भेजा। इसकी जरूरत ही नहीं थी। सूत्रों के अनुसार वहां से मामला मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी कमेटी के पास गया है। अब वह तय करेगी कि इसे आयोग के पास भेजकर मार्गदर्शन लिया जाए या फिर खुद ही फैसला कर पीएससी को सूचित किया जाए। लेकिन जानकारी के अनुसार इस मामले को राजनीतिक मंजूरी के लिए अटकाया जा रहा है, और इस चक्कर में युवाओं के साथ खेल हो रहा है। रिजल्ट जारी होने या नहीं होने के प्रभाव, दुष्प्रभाव का राजनीतिक हिसाब लगाया जा रहा है और इसी के चलते यह पूरा रिजल्ट उलझ गया है। अधिकारी अभी भी राजनीतिक छाया से बाहर आकर स्वतंत्र रूप से फैसला लेकर काम करने या फिर असमंजस है तो तत्काल आयोग से पूछकर आयोग को सूचित करने की कोई जल्दबाजी में नहीं है। ऐसे में अब रिजल्ट के लिए 17 नवंबर के बाद ही अधिकारी जागेंगे।

अब बात 2019 की… पहले रिजल्ट की बात थी, अब तो मामला ही अटक गया

अब बात राज्य सेवा परीक्षा 2019 की। साल 2020 में इस परीक्षा की प्री हुई थी, एक बार मेंस, फिर एक स्पेशल मेंस हो चुकी है। इंटरव्यू हो चुके हैं, लेकिन दो बार जारी प्री के रिजल्ट, मेंस के रिजल्ट के कारण अलग-अलग बने रिजल्ट के चलते इस परीक्षा में फिर पेंच फंस गया है। पहले शेड्यूल था कि अक्टूबर माह में हाईकोर्ट के आदेश से 240 के इंटरव्यू लेकर आयोग नवंबर अंत तक रिजल्ट जारी कर देगा। आयोग ने इस मामले में हाईकोर्ट के पास एक स्पष्टीकरण के लिए रिट पिटीशन लगाई थी, कि वह इन उम्मीदवारों को किस तरह ट्रीट करेंगे, इन्हें 87-13 फीसदी किस कैटेगरी में रखें व अन्य तकनीकी मुद्दे थे लेकिन हाईकोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी। आयोग अपने स्तर पर तय नहीं कर पा रहा है कि जब 571 पदों के विरूद्ध योग्य उम्मीदवारों को रिजल्ट के लिए क्वालीफाइ घोषित कर दिया है और उन्हें 87-13 फीसदी में बांट दिया है तो फिर नए 369 को वह कैसे और कहां पर एडजस्ट कर सकता है यह नियमविरूद्ध हो जाएगा। इसके लिए आयोग ने विधिक सलाह ली और सूत्रों के अनुसार तय हुआ है कि इस पूरे मामले को लेकर हाईकोर्ट में एक बार फिर डबल बेंच में रिट पिटीशन दायर करना चाहिए। जानकारी के अनुसार आयोग जल्द ही यह याचिका लगा देगा और इस पर आए फैसले के बाद ही अब 2019 की परीक्षा प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा।

राज्य सेवा परीक्षा 2019 अलग-अलग कोर्ट फैसलों में उलझी

आयोग ने हाईकोर्ट के नार्मलाइजेशन संबंधी आदेश के बाद इस मामले में स्पष्टीकरण के लिए रिट पिटीशन लगाई थी लेकिन वह खारिज हो चुकी है। यह मंजूर होती तो आयोग को और स्थिति क्लियर हो जाती कि इन फेल अभ्यर्थियों को लेकर किस तरह से आगे बढ़ना है, उन्कें किस कैटेगरी 87 या 13 फीसदी में रखना है और अन्य मुददे भी। आयोग की दुविधा यह है कि एक और परीक्षा नियम गलत बताने वाला फैसला आया, जिसके बाद आयोग ने पुराना रिजल्ट शून्य कर नए सिरे से अक्टूबर 2022 में प्री का रिजल्ट जारी किया। इसके बाद दूसरा फैसला आया कि रिमेंस नहीं केवल नए सिरे से चयनित उम्मीदवारों की मेंस हो। फिर एक फैसला आया नार्मलाइजेशन करा जाए। एक अन्य आदेश आया जिन्हें फेल किया 369 उन सभी के इंटरव्यू भी लिए जाएं। वहीं कुछ उम्मीदवारों ने सुप्रीम कोर्ट में केस लगा दिया कि रिजल्ट शून्य हुआ तो फिर रिमेंस होना थी, वहीं मप्र हाईकोर्ट कह चुका कि रिमेंस की जरूरत ही नहीं थी। किसी भी एक प्रक्रिया से रिजल्ट पर मुहर नहीं लग रही है और अलग-अलग आदेशों के चलते पूरी खिचड़ी बन चुकी है।