आज सुना रहा हूं आरडी बर्मन (RD Burman) साहब और माइकल जैक्सन (Michael Jackson) की कहानी। आज 25 जून 2009 को किंग ऑफ पॉप (King of Pop) कहे जाने वाले माइकल जैक्सन का निधन हुआ था और 27 जून 1939 को द ग्रेट राहुल देवबर्मन का जन्म हुआ था। कुदरत भी ग्रेट्स को आसपास ही रखती है। आज इन्हीं दो म्यूजिक ग्रेट्स की कहानी सुना रहा हूं, कहानी का नाम है- एक ही पंचम, एक ही जैक्सन।
आरडी बर्मन का नाम लेते ही दो बातें होती हैं- पहली, कंपोजर (Composer) लोगों का एक हिस्सा उन्हें जीनियस और लीजेंड बोलता है। दूसरी ये कि आलोचकों, कुछ कंपोजर्स का एक वर्ग मानता है कि उन्होंने वेस्टर्न गानों की चोरी की। लेकिन एक महत्वपूर्ण बात शायद ये भी है कि पंचम इकलौते संगीतकार हैं जिनके मरने के दशकों बाद तक संगीतकार उन्हें अपनी फिल्मों में श्रद्धांजलि देते आ रहे हैं। उनके संगीत पर बेस्ड कई धुनें बनाई गईं। 'दिल-विल प्यार-व्यार' (2002), 'झंकार बीट्स' (2003), 'लुटेरा' (2013) का संगीत पंचम को श्रद्धांजलि था। ब्रह्मानंद सिंह ने उनकी लाइफ और म्यूजिक पर डॉक्युमेंट्री 'पंचम अनमिक्स्ड- मुझे चलते जाना है' बनाई जिसे दो नेशनल अवॉर्ड मिले। शंकर-अहसान-लॉय अपने गाने 'कल हो न हो' और विशाल भारद्वाज (Vishal Bhardwaj) अपने ट्रैक 'बीड़ी जलइले' को पंचम से प्रेरित बताते हैं। आरोप लगता है कि 'चुरा लिया है', 'महबूबा महबूबा' और 'तुमसे मिल के' जैसे उनके गाने वेस्टर्न और मिडिल ईस्ट के म्यूजिक से उठाए गए थे।
तो पंचम आखिर हैं क्या? एक जीनियस, एक कॉपी-कैट या दोनों
राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) पर फिल्माया गया गाना 'दुनिया में, लोगों को, धोखा कभी हो जाता है' सुनिएगा। लाइन खत्म होने के बाद आर.डी. हांफते हैं पूरे सुर, लय और ताल के साथ। तकनीकी रूप से ये करने में जो मुश्किल है, लेकिन एक ओरिजनल आइडिया के तौर पर 60 के दशक में ये सोचना क्या ही रहा होगा। उन्होंने उस समय कैसे डिरेक्टर और प्रोड्यूसर को समझाया होगा कि ये आइडिया हिट होगा। 'मेरे सामने वाली खिड़की में' जो बैकग्राउंड म्यूज़िक आप सुनते हैं वो और कुछ नहीं बस एक खुरदुरी सतह पर कंघी को रगड़ना है। कहीं रेगमाल, कहीं गार्गल, कहीं बीयर की खाली बोतल। पंचम को सामने जो चीज़ दिख गई उन्होंने उसमें से सुपरहिट म्यूजिक निकाल लिया, ठीक अपने साथी गुलज़ार की तरह जो ऐसी अजीबोगरीब धुनों पर अजूबे से शब्द फिट कर क्लासिक माने जाने वाले गाने बना देते हैं।
पंचम परंपराएं तोड़ते हैं, इसलिए ग्रेट, ग्रेटर और ग्रेटेस्ट होते चले जाते हैं। 'आराधना' फिल्म में राजेश खन्ना पर गाना फिल्माया जाना था 'रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना।' परंपरागत संगीत के पक्षधर उनके पिता एसडी बर्मन उसे 'होता तू पीपल, मैं होती अमरलता तेरी' जैसा संकोच से शर्माती नायिका के मनोभावों को दिखाता हुआ गीत बनाना चाहते थे। उन्हें असिस्ट कर रहे थे उनके बेटे आरडी यानी पंचम। पंचम और किशोर कुमार इससे अलग करना चाहते थे। एसडी किसी वजह से कुछ समय तक रिकॉर्डिंग से दूर रहे। इस बीच इन दोनों ने इस गाने की धुन बना दी। पर्दे पर खुली शर्ट में राजेश खन्ना और नारंगी स्लीवलेस में शर्माती शर्मिला टैगोर...। हिंदी सिनेमा को पहली बार पता चला कि म्यूजिक आग भी लगा सकता है (यहां थोड़ा सा रूप तेरा मस्ताना गाना)। यहीं से किशोर, आरडी , आशा भोसले और गुलज़ार, एक ऐसा कॉम्बिनेशन बना, जिसका पर्दे के पीछे होना पर्दे पर दिखने वाले को सुपरस्टार बनाने की गारंटी था।
संगीत के कई जानकार अक्सर आर.डी. को वेस्टर्न म्यूजिक तक सीमित कर देते हैं, लेकिन सच्चाई जरा अलग है। उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक रॉक को बांग्ला बाउल के साथ मिलाकर एक नया जॉनर बनाया, जिसके हिट होने का समय ठीक उतना ही है जितनी राजेश खन्ना के सुपर स्टारडम की उम्र। जहां इस तरह के गाने आना बंद हुए, काका की दीवानगी भी कम होने लगी। 'मुसाफिर हूं यारों', 'हमें तुमसे प्यार कितना', 'एक चतुर नार' जैसे गाने या 'आंधी' फिल्म के साउंडट्रैक सुनिए, हिंदुस्तानी संगीत को इतने क्रिएटिव तरीके से शायद ही कोई इस्तेमाल कर पाया।
हिंदुस्तान में ओरिजनल होने के कॉन्सेप्ट से ज़्यादा अहमियत प्रेरित होने में मानी जाती है। सत्यनारायण की कथा सुनाने वाला कहता है कि ये कथा विष्णु जी ने नारद को सुनाई थी। वाल्मीकि की रामायण को आधार बनाकर तुलसी रामचरित मानस की मौलिक रचना करते हैं। हिंदी सिनेमा के तमाम कंपोजर लोकगीतों और थोड़ी बहुत पश्चिमी धुनों को लेकर गाने बनाते रहे। पंचम इसे अलग स्तर पर ले गए। उन्होंने जिस बारीकी से जैज़, ब्लूज़ और रॉक को समझा, उनके दशकों बाद तक कोई और नहीं समझ सका। हिंदी सिनेमा के लिए ये एक बिलकुल नई चीज़ थी और तेज़ी से मशहूर हुई।
60 के दशक में पंचम की लोकप्रियता का दौर शुरू हुआ. 'तीसरी मंजिल' और 'पड़ोसन' जैसी म्यूज़िकल हिट्स आईं जिन्होंने क्लासिकल और वेस्टर्न संगीत की सुपरहिट जुगलबंदी जनता को सुनवाई. 70's की शुरुआत से ही 'कटी पतंग' (प्यार दीवाना होता है), 'परिचय' (मुसाफिर हूं यारों), 'हरे रामा हरे कृष्णा' (दम मारो दम) के साथ हर तरफ आर.डी. ही छाए थे. अपनी पश्चिम प्रेरित धुनों पर तमाम यूनीक प्रयोगों के सिग्नेचर के साथ। जब वो गाते हैं तो कमाल कर देते हैं, महबूबा-महबूबा, समुंदर में नहा के, जाने जिगर दुनिया में सबसे हंसी है, दिल लेना खेल है दिलदार का, मोनिका ओ माई डार्लिंग सुन लीजिए, थिरकने पर मजबूर हो जाएंगे।
पंचम इनोवेशन का नाम है। आप लोगों ने सत्ते पे सत्ता देखी होगी। उसमें जब अमिताभ डबल रोल में हैं। एक सात भाइयों वाला रवि के रोल में हैं। दूसरे में वे एक क्रिमिनल बाबू बने हैं। हां, वही बाबू, कंजी आंखें, काले कपड़े, बड़े जूते। आपको याद है, बाबू जब पर्दे पर आता है तो कैसी म्यूजिक बजती है। (बाबू के जेल से निकलने वाला थोड़ा सा सीन म्यूजिक के साथ)। ये म्यूजिक ऐसे निकली।ये कमाल सिर्फ आरडी कर सकते हैं।
80 के दशक में कुछ ऐसे संगीतकार आए जो आज बहुत बड़े नाम हैं। उन्होंने भी चोरियां कीं और बड़े बेहतर तरीके से। इन लोगों को कुछ संगीत कंपनियों का साथ मिल गया और इन लोगों ने आर.डी. बर्मन के खिलाफ लॉबिंग की। इन्होंने वादे और दावे किए कि वेस्ट की हिट ट्यून्स और गानों को कम कीमत पर चुराकर देंगे। पंचम के खिलाफ माहौल ऐसा बना दिया गया कि निर्देशकों पर दबाव डाला गया अगर पंचम कंपोजर रखे गए तो फिल्म पर काम आगे नहीं बढ़ेगा। एक स्थिति ऐसी आ गई कि पंचम के पास कई-कई महीने काम नहीं होता था। इस दौरान उनके पास करीब 100 सदस्यों का बैंड (जिसका हिस्सा पंडित शिव कुमार शर्मा और पंडित हरि प्रसाद चौरसिया भी थे) था और पंचम गहरे सदमे में आ गए। इस दौर में 'इजाज़त' के 'कतरा-कतरा' और 'मेरा कुछ सामान' जैसे गानों की बड़ी तारीफ हुई। गुलजार को इसके लिए बेस्ट लिरिसिस्ट और आशा भोसले को बेस्ट सिंगर का अवॉर्ड मिला, मगर पंचम को एक बार फिर अलग-थलग कर दिया गया। इन सबका सीधा असर उनकी सेहत और आत्मविश्वास पर पड़ा।
ये 90 का दशक था जब डायरेक्टर विधु विनोद चोपड़ा अपनी बड़ी पीरियड फिल्म '1942 अ लव स्टोरी' प्लान कर रहे थे। म्यूजिक वे पंचम दा से बनवाना चाहते थे। संगीत कंपनी HMV के अफसरों ने मना कर दिया कि इस शख्स का म्यूजिक नहीं चाहिए। बोले कि ऐसे गाने कोई नहीं सुनता और पंचम को लेंगे तो ठीक नहीं होगा। विधु अड़े रहे।
पंचम दा ने 'कुछ न कहो' गाने के लिए एक धुन बनाई जो 90's के लटके-झटकों से भरी हुई थी। विधु ने सुनकर विनम्रता से कहा कि दादा, मुझे ये नहीं चाहिए। पंचम की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने विधु से पूछा, "मैं ये फिल्म कर तो रहा हूं न! एक हफ्ता दे दो।" विधु बोले, "आप एक साल ले लीजिए, मगर संगीत ऐसा दीजिए जो सिर्फ पंचम दा ही दे सकते हों।" (हालांकि विधु और पंचम की फिल्म 'परिंदा' का 'तुमसे मिलकर' गाना यूके के एक चार्टबस्टर सॉन्ग when I need You की हूबहू नकल माना जाता है)। खैर, हताशा में डूबे हुए आर.डी. बर्मन को विधु की बात से हिम्मत मिली।
पंचम ने इस गाने और फिल्म में फिर नए सिरे से संगीत दिया। और '1942 अ लव स्टोरी' हिंदी सिनेमा की सबसे बड़ी म्यूज़िकल हिट्स में से एक साबित हुई। इसके गानों में पंचम के प्रयोग देखें - 'कुछ न कहो' मांझी संगीत से शुरू होकर वॉल्ट्ज़ में मिल जाता है और 'प्यार हुआ चुपके से' में देश राग के साथ जैज है, जिसके बैकग्राउंड में ड्रम स्टिक से तबला बज रहा है। जावेद अख्तर के शब्दों में कहें तो ये फिल्म हिंदी सिनेमा के मुंह पर एक तमाचा है, जिसे पंचम मार कर गए हैं। मगर अफसोस है कि फिल्म रिलीज़ होने से पहले ही पंचम दुनिया से जा चुके थे। अक्सर 1942 अ लव स्टोरी को उनकी आखिरी फिल्म समझ लिया जाता है, मगर घातक (1996) और अन्याय ही अन्याय (1997) में भी उनका ही म्यूजिक है।
अब बात माइकल की। माइकल जैक्सन 29 अगस्त 1958 को अमेरिका के इंडियाना के गैरी कस्बे में पैदा हुए थे। जैक्सन बचपन से ही स्टार थे, स्कूल की अपनी पहली स्टेज परफोर्मेंस में ही उन्होंने सबका दिल जीत लिया था। उनके पिता सख़्त थे, उनका दवाब रहता कि बच्चे संगीत सीखें, उस पर ध्यान दें, इसके लिए वे उन्हें पीटते भी थे। माइकल का मन पिता के प्रति सख़्त हो गया। इसका एक नुकसान ये भी हुआ कि उन्हें सामान्य बचपन नहीं मिला। वे एक इंटरव्यू में उसे महसूस कर लगभग रो दिए थे। इसकी भरपाई के लिए उन्होंने अपने घर में नैवरलैंड बनाया, जहां बच्चों के लिए सब कुछ था - झूले, स्लाइड्स, पूल, गार्डन। सम्भवतः उसमें माइकल का बचपन भी था।
व्हाइट जैकेट माइकल पर फबती थी। उसके साथ चमकती उसकी हैट, चश्मा और दस्ताने, यही उनकी पहचान भी बन गए थे। वे बाहर निकलते तो रोड ब्लॉक हो जाती, सिर्फ अमेरिका का नहीं, ऐसा दुनिया में हर जगह होता था। माइकल धरती पर मून वॉक करने वाले सितारे थे, आसमान के तमाम तारों से ज़्यादा चमकदार। ध्रुव तारा सभी कहां देख पाते हैं लेकिन माइकल को सभी ने देखा। वे संज्ञा से विशेषण हो गए हैं। कोई अच्छा ब्रेक डांस करे तो लोग उसे माइकल ही बुलाते हैं।
एक बार ओप्रा विनफ्रे ने उनसे पूछा, "आर यू वर्जिन" और माइकल शर्माते हुए कहते हैं "हाउ कुड यू आस्क मी दिस क्वेस्चन।" फिर उन्होंने जवाब दिया कि "आइ एम ए जेंटलमैन।" ओप्रा के एम्बेरेसिंग सवाल का यह जवाब अच्छा था। माइकल बहुत मृदुभाषी थे। दुनिया का सबसे बड़ा डांसर, सिंगर, किंग ऑफ़ पॉप इतना सौम्य था, वह स्टेज पर बोलने में शर्माता था। जब वह इसी स्टेज पर डांस करता तो इसके उलट होता। माइकल से प्रभावित होने के लिए इतना काफ़ी है।
उन पर बच्चों के शोषण के आरोप लगे, त्वचा का रंग बदलने के आरोप लगे, प्लास्टिक सर्जरी और समलैंगिकता के भी। बाल शोषण के सभी 13 आरोपों से वो बरी हो गए थे। प्लास्टिक सर्जरी निजी मुद्दा है और उतना ही निजी समलैंगिकता भी। माइकल की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बताती हैं कि उन्हें स्किन डिजीज थी, जिसमें स्किन का रंग बदलता है, ये बात उन्होंने एक इंटरव्यू में भी कही है। उन्हें नींद न आने की बीमारी थी, जिसने लिए वे इंजेक्शन लेते थे, उसी के ओवरडोज से उनकी मौत भी हुई।
माइकल पर एक विचित्र आरोप लगा कि वह अपने आप को जवान रखने के लिए ऑक्सीजन चैम्बर में सोते हैं, इसी तरह के एक चैंबर के साथ उनकी फोटो भी वायरल हुई थी। इंटरव्यू में जब इससे जुड़ा सवाल पूछा गया तो माइकल हंस दिए और बोले कि एक ऐड की शूटिंग के दौरान उनके बाल जल गए थे और वह चैंबर उनके ट्रीटमेंट का हिस्सा था। उसी दौरान किसी ने उनकी फोटो खींच ली और इस गलत खबर के साथ छपवा दिया।
वे बच्चों को बहुत पसंद करते थे। जब उन पर लगे आरोपों के बारे में उनसे एक इंटरव्यू में पूछा गया कि "व्हैन यू इन्वाइट एक्चुअली चिल्ड्रन इंटू योर बैड" यानी जब आप बच्चों के साथ बिस्तर साझा करते हैं, तब बीच में रोकते हुए माइकल ने कहा कि "व्हैन यू से बैड, यू आर थिकिंग सैक्सुअल, इट्स नॉट सैक्सुअल।" इसके बाद माइकल बताते हैं कि वह जब बच्चों के साथ होते हैं तो संगीत चलाते हैं, किताबें पढ़ते हैं, चिमनी जलाते हैं और उन्हें दूध और कुकीज देते हैं। माइकल कहते हैं कि ये तो सभी को करना चाहिए। ऐसा कहते हुए उनकी आंखों में चमक महसूस होती है। माइकल ने अपने बचाव में कहा कि ये सभी आरोप पैसों के लालच में लगाए गए। जैक्सन को जानने वाले कहते हैं कि इन आरोपों के बाद वह मानसिक तौर पर बहुत व्यथित हो गए थे कि उन्होंने नैवरलैंड को छोड़ दिया, उन्होंने वहां जाना बंद कर दिया। वह अपने मन के सबसे करीबी हिस्से से दूर हो गए।
माइकल ने 30 साल की उम्र में अपनी आत्मकथा लिख दी थी, 51 की उम्र में दुनिया को अलविदा कहा। उनके अंतिम संस्कार को लगभर ढाई अरब लोगों ने देखा था, जो अपने आप में एक इतिहास है, उनके बारे में इतना पढ़ा गया कि उस दिन गूगल भी क्रैश हो गया था। आज माइकल के तमाम गाने यूट्यूब पर मौजूद हैं। वहां उनके किसी भी गीत पर लोगों के कमेंट्स पढ़ें तो आप पाएंगे कि उन्हें लोगों की बेपनाह मोहब्बत मिली, आज तक मिल रही है। लेकिन वे अपने निजी जीवन में बहुत अकेले थे, लोग कहते हैं कि सितारे अपने निजी जीवन में अकेले ही होते हैं। माइकल के साथ भी यही हुआ। दो शादी हुईं, बच्चे हुए, पर वे अंदर से अकेले ही रहे।