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मप्र में आनंद विभाग सरकार ने इस उम्मीद के साथ शुरू किया था कि, इससे लोगों की जिंदगी बेहतर बनाने में मदद मिलेगी और मप्र की जनता आनंद में रहेगी। लेकिन हकीकत इसके उलट है। आत्महत्या के मामले लगातार मप्र में बढ़ते जा रहे हैं। वहीं एक साल में एक लाख नौकरी देने का वादा भी पिछली बीजेपी सरकार का खोखला साबित हुआ। छग में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने 30 मिनट में एंबुलेंस मरीज तक पहुंचाने की बात तो कह दी लेकिन हकीकत तो ये है कि ऐसा करने के लिए सरकार को नाको चने चबाने पड़ जाएंगे। राजस्थान में भी स्वास्थ्य सुविधाएं फिलहाल गड़बड़ हैं। सरकार बदलने से चीरंजीव योजना का क्या होगा इसकी चिंता मरीजों को सताए जा रही है। इन्हीं सब खबरों पर आधारित है आज का सूत्रधार।