जरा इस लिस्ट पर गौर फरमाईए, ये कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की लिस्ट है। पिछले दिनों जारी हुई इस कमेटी के सदस्यों में 6 नाम हैं इसमें पीसीसी चीफ कमलनाथ, नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह, जेपी अग्रवाल, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, कांतिलाल भूरिया और पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल का नाम भी है। लेकिन इसमें विंध्य से कांग्रेस के बड़े नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का नाम नहीं है। जबकि उनसे जूनियर कमलेश्वर पटेल का नाम लिस्ट में शामिल किया गया है। बीजेपी ने इस लिस्ट को लेकर अजय सिंह की उपेक्षा करने के आरोप लगाए हैं। बीजेपी प्रवक्ता ने नरेंद्र सलूजा ने इसे लेकर ट्वीट भी किया है। उनका कहना है कि अजय सिंह का विरोधी होने की वजह से कमलेश्वर पटेल को इस लिस्ट में जगह मिली है और कांग्रेस में अजय सिंह को साइडलाइन किया जा रहा है। विंध्य में बीजेपी की बात करें तो उसके भी हालात कुछ बेहतर नहीं है। बीजेपी में विंध्य के बड़े नेता और पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला का कद पार्टी में कम होने के आरोप लगातार लगते रहे हैं। इन आरोपों को और ज्यादा बल अभय मिश्रा और नीलम मिश्रा की घर वापसी के बाद मिला है। जानकारों की मानें तो बीजेपी में राजेंद्र शुक्ला के समकक्ष उनके राजनीतिक विरोधी को खड़ा किया जा रहा है। राजेंद्र शुक्ला की राजनीतिक विरोधी नीलम मिश्रा ने पांच साल पहले बीजेपी से विधायक रहते हुए पार्टी छोड़ी थी। दरअसल एक मामले को लेकर उनके पति को गिरफ्तार किया गया था। उस वक्त नीलम मिश्रा ने आईजी रीवा को लिखित शिकायत कर राजेंद्र शुक्ला से जान का खतरा बताते हुए पार्टी छोड़ दी थी। इसके बाद अभय मिश्रा ने कांग्रेस की टिकट पर राजेंद्र शुक्ला के खिलाफ चुनाव भी लड़ा था। दो दिन पहले दोनों को प्रदेश अध्यक्ष वी़डी शर्मा और गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बीजेपी की सदस्यता दिलवाई। आपको बता दें कि राजेंद्र शुक्ला को साइडलाइन करने की चर्चा तब से चल रही है जब शिवराज के चौथे कार्यकाल में उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया। बहरहाल सियासी गलियारों में इस बात की जोरों पर चर्चा है कि विंध्य में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दल विंध्य के दिग्गज नेताओं की उपेक्षा करने में जुटे हैं। इससे पार्टी को फायदा होगा या नुकसान ये तो फिलहाल नहीं कहा जा सकता।