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18 साल सीएम रहे शिवराज सिंह चैहान अपने ही राज में, अपने ही सिपहसालारों की शिकायत दूर करने का श्योरशॉट तरीका नहीं ढूंढ पा रहे हैं. चुनाव की जीत के लिए कार्यकर्ता कितना जरूरी हैं इसका अंदाजा यूं लगाया जा सकता है कि खुद पीएम मोदी ने उन्हें संबोधित करने के लिए अलग से समय निकाला है. लेकिन यही कार्यकर्ता मध्यप्रदेश में अलग थलग पड़ा हुआ था. कई बार नाराजगी दर्ज भी करवाई लेकिन ऐसी कमरों में बैठी सरकार तक वो पहुंच ही नहीं सकी. अब चुनाव सिर पर आ चुका है तो बूथ बचाने के लिए उसी कार्यकर्ता की याद दोबारा आ रही है. जिसे मनाने के लिए हर संभव कोशिश जारी है. लेकिन शिकायते हैं कि खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं. सारे जतन कर चुका बीजेपी सत्ता और संगठन अब एक बार फिर बैठकों के सहारे है. बैठकें प्रदेश लेवल पर नहीं बल्कि जिले के स्तर पर हो रही है.