जिन सब्ज बागों को देखकर सिंधिया समर्थक कांग्रेस से बीजेपी में आए थे उन बागों से अब बहार का खुमार उतर रहा है. तीन साल तक सिंधिया समर्थकों को जो छूट मिली उस पर लगाम कसने का वक्त आ चुका है. बीजेपी ने धीरे धीरे करके ढीली छोड़ी रस्सियों को खींचना शुरु कर दिया है. नतीजा ये है कि महाराज के समर्थकों के सियासी भविष्य पर ही अब तलवार लटकी हुई नजर आ रही है. पहले कांग्रेस की जीत का पोस्टर बॉय बने और फिर बीजेपी के पक्के वादों का पोस्टर बॉय बने सिंधिया अपने समर्थकों के पोस्टर वॉर को न रोक सके जिसकी सजा अब उन्हें भुगतना पड़ रही है.
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