बैर भुला साथ आए शिवराज-कैलाश! अब कई दिग्गज नेता प्रदेश की सत्ता में होंगे साइडलाइन ?

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चुनाव या सत्ता नाम ही हर पल बनते बिगड़ते रिश्तों का नाम है. एक मशहूर गाना था कितने अजीब रिश्ते हैं यहां पर... पेज थ्री फिल्म का ये गाना वैसे तो ग्लैमर जगत के लिए था लेकिन ज्यादा सूट होता है सियासत की दुनिया पर. तमाम फिल्में बनी है राजनीति की इस रहस्यों से भरी दुनिया पर. लेकिन सियासत की काली कोठरी का सच किसी सिल्वर स्क्रीन पर चमक नहीं सका. दुश्मन कब दोस्त बन जाए और दोस्तों को कब छोड़ दिया जाए. इसका कोई ठिकाना ही नहीं होता. दुश्मन का दुश्मन दोस्त बन जाता है. और, मुश्किल में पड़ा दोस्त भुला दिया जाता है. सुनने में ये भी फिल्मी ट्रेक ही लगता है लेकिन मध्यप्रदेश की सत्ता की पटकथा कुछ ऐसी ही कहानी की ओर इशारा कर रही है. जहां एक नई दोस्ती रंग ला रही है. औऱ जैसे जैसे इस दोस्ती का रंग गाढ़ा हो रहा है दुश्मनों के माथे के बल भी गहरे होते जा रहे हैं.