सीधी का घिनौना पेशाब कांड जब सामने आया तो सोशल मीडिया और अखबारों में जो खबरें छपी उसमें पीड़ित आदिवासी को विक्षिप्त बताया गया था। लेकिन सिर्फ द सूत्र ने पीड़ित आदिवासी को विक्षिप्त नहीं कहा। क्योंकि पीड़ित आदिवासी विक्षिप्त था इसका कोई भी सबूत किसी के पास नहीं था। बीजेपी नेता और आरोपी प्रवेश शुक्ला का वीडियो जैसे ही वायरल हुआ तो मीडिया हाउस के बीच पीड़ित आदिवासी को विक्षिप्त बताने लगे। लेकिन हमने शुरूआत से ही दशरथ रावत को पीड़ित आदिवासी ही लिखा। चलिए अब जानते हैं द सूत्र की सच्ची पत्रकारिता पर 3 दिन बाद मुहर कैसे लगी। देखिए ये रिपोर्ट
हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें!
विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें