शिवराज सिंह चौहान का नाम लेने पर आपको किस तरह के नेता की छवि याद आती है. एक ऐसा नेता जो अपने raw अंदाज के लिए जाना जाता रहा है. सभा के बीच में किसी बुजुर्ग को गले लगा लेना. रैली को रोककर किसी गरीब के झोपड़े में चले जाना. शिवराज की ये शैली उन्हें घर घर तक सबका फेवरेट बनाती रही है. लेकिन चौथी पारी में शिवराज अपने इस ठेठ देसी अंदाज से दूर एक नए मिजाज में नजर आ रहे हैं. नपे तुले धे हुए कदमों के साथ रैंप वॉक, जनता के बीच क्या बोलना है, कितना बोलना है इसका सटीक केलकुलेशन और अफसरों के खिलाफ सख्त जुमले. अपनी शैली को लांघ कर शिवराज इस पारी में काफी बदले हुए दिखने की कोशिश कर चुके हैं. अब भरे मंच से जिन शब्दों को इस्तेमाल किया है, उसकी तो उनसे कभी उम्मीद ही नहीं की जा सकती थी.
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