हमीरपुर. भारत के ज्यादातर किसान फसल चक्र की प्रकिया अपनाने को लेकर उदासीन रहते हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों से देश के किसान जागरूक (aware) हो रहे हैं और बेहतर मुनाफा देने वाली फसलों की तरफ रूख कर रहे हैं। केंद्र सरकार (central government) इस समय देशभर में औषधीय पौधों (Medicinal Plants) की खेती को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है। इसी के तहत आयुष मंत्रालय ने अगले साल तक 75 लाख घरों पर औषधीय पौधों को पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। वहीं उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के उमरिया गांव के 90 प्रतिशत किसान तुलसी की खेती से खासा मुनाफा कमा रहे हैं।
सौ दिन में मिलता है एक़ लाख का मुनाफा
उमरिया के पूरन राजपूत एक दशक पहले आर्थिक परेशानी से जूझ रहे थे। लेकिन तुलसी की खेती से उनकी आर्थिक स्थिति मे सुधार हुआ। उन्होंने बताया कि 10 बीघे में तुलसी की खेती पर अधिकतम 50 हजार रुपये का खर्च आता है। एक बीघे से डेढ़ से दो क्विंटल पैदावार होती है। आर्गेनिक इंडिया नाम की कंपनी किसानों से 10 हजार रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से तुलसी खरीदती है। जिससे हमें करीब एक लाख तक का मुनाफा आराम से हासिल हो जाता है।
कुछ किसानों ने प्रयोग शुरू किया था
यहां के अधिकतर ग्रामीणों की रोजी-रोटी कृषि पर ही निर्भर है। तीन वर्ष पहले गांव के ही कुछ किसानों ने प्रयोग के तौर पर तुलसी( Basil) की खेती की शुरुआत की। पहली बार में ही उन्हें अच्छा-खासा मुनाफा हुआ। जिसके बाद गांव में बड़े स्तर पर इस पौधे की खेती होनी शुरू हो गई। अब यहां के किसानों का जीवन स्तर बेहतर हो गया है। किसानों ने एक नई प्रकार की खेती को अख्तियार किया है।
जानिए कैसे होती है तुलसी के पौधे की खेती
तुलसी की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे ज्यादा सही मानी जाती है। इसकी खेती के लिए जून-जुलाई में बीजों के मााध्यम से नर्सरी तैयार की जाती है। इसके बाद इसकी रोपाई की जाती है। इस दौरान लाइन से लाइन की दूरी 60 सेमी. और पौधे से पौधे की दूरी 30 सेमी. रखी जाती है। इसकी खेती सौ दिनों में तैयार हो जाती है। इसके बाद कटाई की प्रकिया शुरु होती है।