आज के दौर में अंतरिक्ष से लेकर खेतों तक टेक्नोलॉजी का महत्वपूर्ण योगदान है। बात करें खेती (Farming) की तो इस समय गेहूं की बुवाई (wheat sowing) चल रही है। ऐसे में मुरैना (Morena) जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. यादवेन्द्र प्रताप सिंह की नई तकनीक गेहूं कि फसल बुवाई को लेकर किसानों को मोटिवेट कर रही है। जीरो टिलेज सीड ड्रिल टेक्नोलॉजी (Drill Technology) से की गई बुवाई से तेज आंधी तूफान में भी फसल को कोई नुकसान नहीं होता।
कम लागत में ज्यादा प्रोडक्शन
अभी तक धान कि खेती में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन अब जीरो टिलेज सीड मशीन (Zero Tillage Seed Machine) के जरिए बिना जुताई के खेत में सीधे फसल के बीज और खाद (Fertilizer) एक साथ बो सकते हैं। इस तकनीक से गेहूं की बुवाई भी कर सकते हैं।
ऐसे काम करती है मशीन
जीरो टिलेज सीड मशीन में कम चौड़े हल लगे होते हैं। मशीन के एक भाग में बीज और दूसरे भाग में खाद होती है, जो नीचे हल तक पहुंचते हैं। करीब दो से तीन इंच की चौड़ाई में मशीन जमीन को खोदती है और उसमें बीज बो दिया जाता है। मशीन से बिना जुताई किए बुवाई होती है।
जीरो टिलेज सीड मशीन से बुवाई के फायदे
- गेहूं और बाजरे की सामान्य खेती में किसानों को जुताई करने पर प्रति हेक्टेयर खर्चा चार से पांच हजार रुपए आता है। लेकिन इस मशीन से प्रति हेक्टेयर करीब एक से डेढ़ हजार में जुताई हो जाती है।
- गेहूं की फसल में पूरे सीजन में लगभग 35 सेमी पानी दिया जाता है। जबकि इस प्रयोग के बाद 3 से 4 सेमी कम पानी ही दे सकते हैं।
- इस प्रायोगिक खेती में फसल के डंठल, जड़ आदि खेत में ही सड़कर उर्वरक बन जाते हैं, जिससे उत्पादन क्षमता बढ़ जाती है।
- इस मशीन से बुवाई करने पर मिट्टी की पकड़ कमजोर नहीं होती है।