पारंपरिक खेती (Traditional Farming) में लगातार नुकसान झेलने के बाद किसानों (Farmers) का इससे रूझान घटा है। किसान मुनाफे (Profits) के लिए पारंपरिक खेती के विकल्प तलाश रहे हैं। उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड (Bundelkhand) सूखा प्रभावित क्षेत्रों में गिना जाता है। कम बारिश के चलते बुंदेलखंड के किसानों को हर साल नुकसान उठाना पड़ता है। इससे परेशान होकर बुंदेलखंड के कई गांवों के ग्रामीणों ने अब ड्रैगन फ्रूट (Dragon Fruit Farming) की खेती करनी शुरू कर दी है। किसान प्रोत्साहित हो इसके लिए सरकार ने भी प्रति हेक्टेयर 30 हजार रुपए का अनुदान देना शुरू कर दिया है।
दो लाख खर्च में भारी मुनाफा
कृषि वैज्ञानिक प्रशांत बताते हैं कि इसकी खेती के लिए एक एकड़ में करीब 400 सीमेंट के पोल खड़े करने पड़ते हैं। उनके ऊपर एक प्लेट रखनी होती है। जिनमें करीब 1600 प्लांट लगाए जाते हैं, इन सबमें डेढ़ से दो लाख तक की लागत आ जाती है। एक साल के अंदर पौधे पर फल लगना शुरू हो जाता है लेकिन किसानों को दूसरे और तीसरे वर्ष से इसके पौधे से आमदनी होनी शुरू हो जाती है। एक एकड़ में प्रतिवर्ष 6 से 8 टन तक का उत्पादन लिया जा सकता है। जिससे किसान साल भर में करीब 10 लाख तक का मुनाफा कमा सकता है।
15 से 20 वर्ष तक लगते हैं फल
ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन किसी भी तरह की भूमि पर किया जा सकता है। एक बार इसका पौधा लगाने के बाद किसान 15 से 20 वर्ष तक लगातार इससे फल हासिल कर सकते हैं। बाजार में इसके फल तीन सौ से चार सौ रुपए प्रति किलो में बिक जाते हैं। यही वजह है बुंदेलखंड के किसानों ने तेजी से ड्रैगन फ्रूट की खेती की तरफ अपना रूख करना शुरू कर दिया है।
जैविक खाद से ज्यादा ग्रोथ
पाटनपुर के ऋषि शुक्ला ने 2019 में 100 पौधों से ड्रैगन फ्रूट की खेती से शुरुआत की थी। शुरूआत में तो उनके काफी पौधे खराब हो गए थे लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। ऋषि शुक्ला बताते हैं उन्होंने दोबारा इसकी खेती करनी शुरू की. इस दौरान उन्होंने पहले की गलतियों को नहीं दोहराई। रासायनिक की जगह जैविक खाद का प्रयोग किया, तब जाकर पौधों को ग्रोथ मिला। इस समय ऋषि ने 400 ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगा रखे हैं।
मध्यप्रदेश खेती के लिए अनुकूल
ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे आदित्य ने हमें बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए किसी विशेष मिट्टी की जरूरत नहीं होती है। यूपी, मध्यप्रदेश, बिहार के किसान भी आराम से इसकी खेती कर सकते हैं। मानक तो ये है कि एक एकड़ में 2000 पौधे लगाए जाएं, लेकिन ट्रेलिस विधि (Trellis Method for Dragon Fruit) से उन्होंने 5 एकड़ में करीब 20 हजार पौधे लगाए हैं। उन्होंने बताया कि यह मूलत: कैक्टस की प्रजाति का एक पौधा है। इसे पिलर का सहारा देना होता है। उन्होंने भी अपने खेत में सिमेंट के पिलर बनवाकर पौधे लगाए हैं।