मध्यप्रदेश का मंदसौर पूरी दुनिया में अफीम के लिए मसहूर है लेकिन अब यह दुनिया भर में लहसुन के उत्पादन के लिए भी जाना जाने लगा है। मंदसौर की लहसुन यानी गार्लिक मंदसौर एक ब्रैंड बनता जा रहा है, जिसकी मांग दक्षिण भारत में तो थी ही लेकिन अब तो दुबई और सिंगापुर में भी बढ़ती जा रही है। मंदसौर की लहसुन को एक ब्रैंड बनाने के लिए प्रशासन भी कई प्रयास कर रहा है।
मंदसौर की लहसुन में क्या है खास
मंदसौर की मिट्टी में सल्फर और पोटेशियम ज्यादा मात्रा में पाया जाता है, जिस वजह से यहां की लहसुन में एक खास सुगंध आती है। मंदसौर की लहसुन ज्यादा चमकदार, कड़क, तीखी तथा ज्यादा समय तक खराब नहीं होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि मंदसौर की लहसुन सुन्दर, सफेद और कड़क है, इसमें ऑयल और तीखापन ज्यादा होता है। बाकी जगहों की लहसुन की तुलना में इसे 15 महीनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
एक जिला एक उत्पादन की पहल
'एक जिला, एक उत्पादन' के तहत जिले में लहसुन की खेती का चयन किया गया था। इसके बाद मध्य प्रदेश सरकार मंदसौर जिले की लहसुन को दुनिया भर में एक अलग पहचान दिलाने के लिए ब्रांडिंग कर रही है। राज्य सरकार के अलावा, जिला प्रशासन और स्थानीय एफपीओ (Farmer Producer Organization) खास प्रयास कर रहे हैं।
मंदसौर करता है देश की 10 फीसदी लहसुन का उत्पादन
जिले में 30 हजार से ज्यादा किसान 950 के करीब गांवों में लहसुन की खेती कर रहे है। जो हर साल 1 लाख 82 हजार मीट्रिक टन लहसुन का उत्पादन करते हैं। देश में लहसुन का 10 फीसदी उत्पादन मंदसौर और उसके पास के इलाकों से आती है। गार्लिक मंदसौर की अच्छी पैकेजिंग, बेहतर क्वालिटी, रखरखाव और एक्सपोर्ट के लिए भी जिला प्रशासन प्रयास कर रहा है।