नई दिल्ली। राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM) अपने कामकाज में आमूल—चूल परिवर्तन करने जा रहा है। 9800 करोड़ रुपए के भारी— भरकम बजट से अगले पांच साल में मुर्गी, भेड़, बकरी और सूअर पालन को तेजी से विकसित किया जाएगा। इन पशुओं के लिए एंटीबायोटिक, चारा और नस्ल सुधार के लिए वैज्ञानिक तरीकों से काम होगा। अनुमान है कि इस योजना से देश के करीब साढ़े तीन लाख किसानों को सीधा लाभ पहुंचेगा।
चारे पर बढ़ाएंगे आत्मनिर्भरता
इस योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में करीब डेढ़ लाख मुर्गी पालन करने वालों को जोड़ने की योजना है। इसके साथ ही अधिक उत्पादन देने वाले करीब 7.25 लाख पशुओं को रिस्क फैक्टर (बीमा आदि) के दायरे में लाया जाएगा। जिससे 3.5 लाख किसानों को सीधे तौर पर लाभ मिल सकेगा। चारे की कमी को पूरा करने के लिए देश में चारा बीज की उपलब्धता कई गुना बढ़ जाएगी। इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित भी किया जाएगा।यह मिशन राज्यों को पशुधन की गणना करने सहित दूध, मांस, अंडे और ऊन के उत्पादन का अनुमान लगाने में मदद करेगा। पशुधन और पॉल्ट्र्री में वैक्सीनेशन से पशु चिकित्सा सेवाओं में सुधार के साथ ही पशु चिकित्सा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की तैयारी भी इस योजना में है। योजना के तहत अगले पांच साल में पशुपालन में लगे 10 करोड़ किसानों को घर-घर जाकर पशु स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए देश में पशु अस्पताल बनाए जाएंगे।
अब किसानों को मिलेगा लाभ
डेयरी गतिविधियों से जुड़े डेयरी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों को उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए 4 प्रतिशत पर ब्याज मिलेगा। इन सभी योजनाओं से रोजगार और आजीविका के बड़े अवसर पैदा होंगे। तकनीकी हस्तक्षेप से मवेशियों और अन्य पशुओं की नस्ल में तेजी से सुधार अधिक उत्पादकता सुनिश्चित करेगा।
अगले 5 वर्षों के लिए कितना निवेश होगा
इन योजनाओं के माध्यम से देश के 47000 गांवों को कवर करते हुए प्रतिदिन 34 लाख लीटर अतिरिक्त दूध खरीद क्षमता विकसित की जाएगी। राज्य सरकारों, राज्य सहकारी समितियों, वित्तीय संस्थानों, बाहरी वित्त पोषण एजेंसियों और अन्य हितधारकों द्वारा निवेश की हिस्सेदारी सहित, 2021-22 से शुरू होने वाले अगले 5 वर्षों के लिए इन योजनाओं के लिए भारत सरकार द्वारा 9,800 करोड़ रुपए प्रदान किए जाएंगे। सहायता से पशुधन क्षेत्र में कुल 54,618 करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित किया जाएगा।