मशीन पर औजार भारी! मध्य प्रदेश में कृषि विभाग ने किसानों को बांटे बैल से चलने वाले हल और हाथ से चलने वाली खुरपी

author-image
Rahul Sharma
एडिट
New Update
मशीन पर औजार भारी! मध्य प्रदेश में कृषि विभाग ने किसानों को बांटे बैल से चलने वाले हल और हाथ से चलने वाली खुरपी

Bhopal. सरकार किसानों की आय दोगुनी कर कृषि को लाभ का धंधा बनाने का दावा करती है। इसके लिए खेती की नई—नई तकनीकों को अपनाया जा रहा है और किसानों को प्रशिक्षित भी किया जाता है, पर योजनाओं का क्रियान्वयन करने वाले जिम्मेदार मुफ्त की योजनाओं के नाम पर आप और हम जैसे टैक्सपेयर की गाढ़ी कमाई का पैसा बर्बाद करने में लगे हुए हैं। हाल ही में कृषि विभाग ने प्रदेश के अनुसूचित जाति वर्ग के बीपीएल श्रेणी के किसानों को मुफ्त में कृषि यंत्र दिए। आधुनिकता के दौर में बैल से चलने वाले हल और हाथ से चलने वाली खुरपी जैसी सामग्री किसानों को बांटी। कई जगह किसानों ने इस तरह से गैर जरूरी यंत्रों को विभाग द्वारा थोपे जाने का विरोध भी किया।





जिन उपकरणों की जरूरत नहीं, विभाग ने उन्हे जबरन दिया





योजना के अंतर्गत किसानों को वादा किया गया था कि कुट्टी मशीन दी जाएगी। इसकी जगह हाथ और बैल से चलने यंत्र थमा दिए गए। सतना में लेकर किसानों ने इसका विरोध भी किया और यंत्र लेने से ही मना कर दिया। किसान घनश्याम ने कहा कि सहमति पत्र पर जो साइन कराए थे वे यंत्र नहीं दिए। हल, हसिया और खुरपी दी। जिसकी आधुनिक दौर में किसान को कोई आवश्यकता नहीं है। कृषक धीरेंद्र सिंह ने कहा कि आज के दौर में सभी किसानों में बैल तो है नहीं तो वह हल लेकर क्या करेगा। कुट्टी मशीन देने का कहा था। इस दौर में कुलपा की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन उन्हें 5898 रुपए कीमत का हल जबरदस्ती किसानों को दिया जा रहा था।  











बैल से चलने वाले यंत्रों को सूची से पहले ही हटा दिया गया था





सरकार की पॉलिसी के तहत पात्र किसानों को बैल और हाथ से चलने वाले उपकरणों की किट देनी थी। जब इसका विरोध हुआ तो 29 जून 2022 को कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय ने योजना के अंतर्गत वितरित की जाने वाली 19 यंत्रों की सूची में से बैल और हाथ से चलने वाले यंत्र को निकालते हुए सिर्फ 7 यंत्र वितरण के लिए रखे। इनमें विनोईंग फेन, मल्टीटूल फेम, स्पायरल सीड ग्रेडर, बैटरी कम हेण्ड नेपसेक स्प्रेयर, फर्टीलाइजर ब्राडकास्टर, चैफ कटर और निमाड़ पंजी यंत्र शामिल किए गए। साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि एमपी एग्रो के माध्यम से किसानों को उपकरण देने में देरी होगी इसलिए सीधे निर्माताओं या विक्रेताओं से यंत्र खरीदकर किसानों को वितरित किए जाए। इसके लिए किसानों से एक सहमति पत्र भी भरवाया गया था बावजूद इसके अक्टूबर—नवंबर में जब किसानों को गैर जरूरी उपकरण या यंत्र मिले तो उन्होंने लेने से मना कर दिया। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष जगदीश सिंह ने कहा कि यह भ्रष्टाचार का बहुत बड़ा नमूना है। इन यंत्रों को वापस किए जाने चाहिए। इस पूरे मामले की एक उच्च स्तरीय जांच होना चाहिए और जिन अफसर और कर्मचारियों के कारण यह सब हुआ उनके खिलाफ कार्रवाई की जाना चाहिए।





बीजेपी विधायक ने विधानसभा में उठाया था मुद्दा





सतना जिले में अनुसूचित जाति के 23000 बीपीएल कार्ड धारी किसानों को 10 हजार रुपए की कीमत के उपकरण मुफ्त दिए जाने थे। इस योजना के पहले चरण में 2 करोड़ 30 लाख की राशि आवंटित की गई। पर विभाग जो किट देना चाह रहा था,  किसानों ने इस उपकरण को लेने से मना दिया। किसानों ने आरोप लगाया कि कमीशनखोरी के कारण अधिकारी इन उपकरणों को जबरदस्ती दे रहे हैं। चुरहट से बीजेपी विधायक शरदेंदु तिवारी ने विधानसभा में यह मुद्दा भी उठाया था। शरदेंदु तिवारी ने कहा कि सतना में बैलों से खेती की परंपरा अब कम हो गई है। खरीद फरोख्त का एक मामला आया था। शासन की ओर से गलत खरीदी की गई थी। जिसके बाद सरकार ने जांच कर कार्रवाई भी की है।





20 हजार किसानों को 6 करोड़ की राशि से बांटे यंत्र





प्रदेश के अनुसूचित जाति वर्ग के बीपीएल श्रेणी के किसानों को 10 हजार और आदर्श ग्राम के किसानों को 20 हजार रूपए तक के कृषि यंत्र मुफ्त वितरित करने की योजना है। योजना के अंतर्गत प्रदेशभर में 15044 किसान चयनित किए गए, वहीं आदर्श ग्राम में रहने वाले हितग्राही किसानों की संख्या 5558 है। इस योजना में 6 करोड़ 5 लाख राशि आवंटित हुई। इधर सतना के उप संचाल कृषि राजेश त्रिपाठी का कहना है कि वे अभी इस मामले को देख नहीं पाए हैं। कुछ विसंगति है जो ज्वाइंट डायरेक्टर इसकी जांच कर रहे हैं। जैसी जांच होगी या जैसा निर्णय आएगा उस अनुसार शासन स्तर पर कार्रवाई की जाएगी।  





सरकार को समय की मांग के अनुसार पॉलिसी बनाने की जरूरत





इस मामले को लेकर कृषि विभाग के जानकारों का कहना है कि यंत्रों की किट में दिया जाने वाला कुलपा का वर्तमान में कोई उपयोग नहीं है, लेकिन सरकार के आदेश के तहत वह बांटना उनकी मजबूरी है, शासन स्तर पर ही निर्माण एजेंसी का चयन किया गया है। किट में कुट्टी मशीन की जगह कुलपा, हाशिया, स्पेयर मशीन दी गई हैं। सरकार को ऐसी पॉलिसी बनाने की जरूरत है जो समय की मांग के अनुसार हो, ताकि न किसान कोई शिकायत करें और न ही टैक्सपेयर के पैसों की इस तरह बर्बादी हो।   



Farmers unhappy in Madhya Pradesh BPL category farmers of Scheduled Caste category free agricultural machinery distribution scheme अनुसूचित जाति वर्ग के बीपीएल श्रेणी के किसान मुफ्त कृषि यंत्र वितरण योजना