मंत्री की जल्दबाजी से मूंग की फसल प्रभावित, किसानों ने ट्रेक्टर से खेत बखरा

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Rahul Sharma
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मंत्री की जल्दबाजी से मूंग की फसल प्रभावित, किसानों ने ट्रेक्टर से खेत बखरा

Bhopal.



कृषि मंत्री कमल पटेल की जल्दबाजी का खामियाजा नर्मदापुरम के हजारों किसानों को भुगतना पड़ा। निर्धारित तारीख से 2 दिन पहले तवा डैम से नहरों में पानी छोड़ने से

नर्मदापुरम जिले की 1.87 लाख एकड़ पर लगी मूंग की फसल प्रभावित हुई है। अपनी दो महीने की मेहनत को बर्बाद होता देख किसानों ने अगली फसल की तैयारी के लिए मूंग की खड़ी फसल को ट्रेक्टर से बखरना शुरू कर दिया है। द सूत्र ने 24 मार्च को सूत्रधार कार्यक्रम में इसे प्रमुखता से उठाया था और उसी समय यह बता दिया था कि मंत्री जी की ये जल्दबाजी किसानों को आने वाले समय में भारी पड़ने वाली है। बता दें कि नर्मदापुरम जिले में ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल का रकबा करीब 6 लाख 17 हजार एकड़ है, नहरों से फसल के लिए पर्याप्त मात्रा में तीसरा पानी नहीं मिलने से इसमें से करीब 30 फीसदी यानी 1 लाख 54 हजार एकड़ की फसल प्रभावित हुई है। यदि एक किसान का औसत रकबा 5 एकड़ मान लिया जाए तो इसका मतलब यह हुआ कि मंत्रीजी की जल्दबाजी का खामियाजा 30 हजार से अधिक किसानों को भुगतना पड़ा है।   



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यह है पूरा मामला



दरअसल नर्मदापुरम संभाग के दो जिले नर्मदापुरम और हरदा में फसल की सिंचाई के लिए नर्मदापुरम स्थित तवा डैम से नहरों में पानी छोड़ा जाता है। चूंकि तवा बांध से ही बिजली उत्पादन, ऑर्डिनेंस फैक्ट्ररी को भी पानी सप्लाई होता है, इसलिए बांध में मौजूद पानी के आधार पर सभी स्थितियों को देखते हुए जल उपयोगिता समिति बैठक कर तय करती है कि डैम से फसल के लिए कब और कितना पानी छोड़ा जाएगा। इस समिति में कमिश्नर, कलेक्टर से लेकर जनप्रतिनिधि भी शामिल होते हैं। इस बार संभागीय जल उपयोगिता समिति ने नर्मदापुरम और हरदा में मूंग की फसल के लिए पानी छोड़ने की तारीख 25 मार्च तय की थी, पर कृषि मंत्री कमल पटेल ने 23 मार्च को ही तवा महोत्सव मनाकर डैम से पानी छुड़वा दिया। इस दौरान उनके साथ जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट भी मौजूद थे।




ऐसे समझे कैसे हुआ नर्मदापुरम के किसानों का नुकसान



मूंग की फसल में पलेवा के अतिरिक्त पहला पानी 15 से 20 दिन और दूसरा पानी 35 से 40 दिन पर लगता है। नर्मदापुरम के किसानों को पलेवा और पहले पानी में तो कोई दिक्कत नहीं आई, क्योंकि इस दौरान नहर चलती रही, पर असल समस्या तीसरे पानी में आई। दरअसल नहरों में पानी टेल एरिए के हिसाब से छोड़ा जाता है, क्योंकि यदि टेल एरिये में पानी की जरूरत नहीं होगी तो डैम से छोड़े जा रहा पानी की बड़ी मात्रा नहर के अंत में जाकर बहकर बर्बाद हो जाएगी। टेल यानी हरदा को पानी दो दिन पहले मिल गया, मतलब तीसरे पानी के लिए दो दिन पहले नहरें बंद हो गई। जो नहर 25 मई को बंद होना थी, वह 23 मई को बंद हो गई। हेड क्षेत्र यानी नर्मदापुरम के किसानों को तीसरा पानी दो दिन कम मिला। मूंग की फसल में पानी का सबसे अहम रोल होता है, कम पानी से मूंग की गुणवत्ता प्रभावित होती है। वहीं भीषण गर्मी में फसल के जलने का भी खतरा रहता है।




मंत्री पर अपने जिले को फायदा पहुंचाने के आरोप



तवा डैम नर्मदापुरम जिले में है, इसलिए तवा डैम से निकली नहरों के लिए टेल यानी सबसे पीछे का क्षेत्र हरदा कहलाएगा जो कि कृषि मंत्री का गृह जिला है। जब भी डैम से नहरों के लिए पानी छोड़ा जाता है तो वह टेल एरिये में दो दिन में पहुंचता है। किसानों का आरोप है कि मंत्री जी ने अपने जिले को फायदा पहुंचाने के लिए निर्धारित समय से पहले पानी छुड़वाया। डैम से पानी निकलकर नर्मदापुर से ही गुजरेगा लेकिन यहां 23 मार्च तक फसल पूरी तरह कटी ही नहीं थी, ऐसे में पूरा पानी हरदा में चला गया। खुद नर्मदापुरम के जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री आईडी कुमरे ने कहा था कि नर्मदापुरम में अभी फसल नहीं कटी है पर हरदा में चना कटने से रकबा खाली हो गया था...उस हिसाब से पानी छोड़ दिया। साफ है अकेले हरदा को फायदा पहुंचाने मंत्री ने दो दिन पहले पानी छुड़वा दिया। जल संसाधन विभाग के रिटायर्ड अधिकारी एके जाटव ने कहा कि यह गलत है, जब 25 तारीख तय की थी तो उसी समय पानी छोड़ा जाना था। हरदा को फायदा पहुंचाने ऐसा किया गया।




किसानों को नहीं मिला इंद्रदेव का सहारा



इस सीजन किसानों को इंद्रदेव का भी सहारा नहीं मिला। जिसके कारण नर्मदापुरम के सिवनीमालवा समेत अन्य क्षेत्र के हजारों एकड़ की फसल पर किसानों ने ट्रेक्टर चला दिए। सामान्यत: नौतपे में बारिश होती है, इससे यदि किसानों को नहरों से थोड़ा पानी कम भी मिलता है तो बारिश उसकी पूर्ती कर देती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। जब किसानों को मूंग के लिए तीसरा पानी चाहिए था तब न तो नहर में पर्याप्त पानी था और न ही बारिश हुई। नतीजा इससे फसल खराब हो गई।




बिजली कटौती भी बनी बड़ी समस्या



ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कटौती भी बड़ी समस्या रही। जिसके कारण किसान पंप के माध्यम से खेतों में सिंचाई नहीं कर पाए। 10 घंटे बिजली देने का दावा किया जाता रहा, पर हकीकत में बिजली 7 घंटे से भी कम मिली। कुछ समय पहले बिजली कटौती को लेकर कृषि मंत्री कमल पटेल तक का वीडियो वायरल हुआ था। इधर किसान समीर शर्मा का कहना है कि हरदा के कारण मंत्री ने पहले पानी छुड़वा दिया, जबकि नहर में पानी आने के 8 दिन बाद फसल कटी थी। नतीजा यह हुआ कि पानी नहीं मिलने से 500 से 1 हजार एकड़ फसल अकेले इस एरिए में खराब हुई, जिससे किसानों ने इसे कल्टिवेटर से बखर दिया।

 


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