सतना जिले के अतरवेदिया गांव में एक ऐसा म्युजियम है जिसे देखने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं। ये म्युजियम है किसान राम लोटन कुशवाहा का । उनके घर में बने इस म्युजियम की दीवारों पर कई आकार की सूखी लौकियां और सब्जियों को फलियां देखकर अचरच होता है।
रामलोटन की बगिया में 250 किस्में
देशी सब्जियों और जड़ी बूटियों के संरक्षण को लेकर राम लोटन कुशवाह की दीवानगी ऐसी है कि दिन रात वो इसी काम में जुटे रहते हैं। रोमलोटन का कुछ एकड़ का खेत है जिसमें औषधीय पौधों की करीब 250 से ज्यादा किस्में है, इसके अलावा 12 तरह की लौकियां है जिनके नाम उनके आकार के आधार पर है, मसलन अजगर लौकी, बीन वाली लौकी, तंबूरा लौकी। इनमें से कुछ लौकी तो खाने के काम आती है बाकियों का औषधियों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। राम लोटन का दावा है कि इससे पीलिया और बुखार ठीक होता है।
हिमालय से लाए ब्राम्ही
जड़ी बूटियों को खोजने के लिए राम लोटन हिमालय तक की यात्रा कर चुके हैं और वो हिमालय से ब्राम्ही लेकर आए हैं। कहा जाता है कि हिमालय के पौधे मैदानी इलाकों में फल फूल नहीं सकते मगर राम लोटन की बगिया में ब्राम्ही भी खूब फल फूल रही है। इसके अलावा रामलोटन अमरकंटक की कंदराओं से भी कई जड़ी बूटी और औषधीय पौधे ढूंढ कर लाए हैं।
सुई-धागा नाम की जड़ी बूटी
रामलोटन के मुताबिक उनके पास सुई धागा नामक की एक जड़ी बूटी है। इस जड़ी-बूटी की खासियत ये है कि ये बड़े से बड़े घाव को भी आसानी से भर देती है। एक सफेद पलाश नाम की भी बूटी है जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। साथ ही उनकी बगिया में सिंदूर, अजवाइन, शक्कर पत्ती, जंगली पालक, जंगली धनिया, जंगली मिर्चा के अलावा गौमुख बैगन, सुई धागा, हाथी पंजा, अजूबी, बालम खीरा, पिपरमिंट, गरूड़, सोनचट्टा, सफेद और काली मूसली और पारस पीपल जैसी तमाम औषधीय गुण के पौधे हैं।
बैगा आदिवासी है राम लोटन के गुरू
रामलोटन के पिता आयुर्वेद के जानकार थे इसलिए आयुर्वेद के प्रति ललक पिता से विरासत में मिली लेकिन जड़ी बूटियों के राज उन्हें बैगा आदिवासियों ने बताए है। जंगलों में रहने वाली बैगा जनजाति आयुर्वेदिक औषधियों की पूरी जानकारी रखती है। बालाघाट, उमरिया, शहडोल और छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा, बस्तर के इलाकों में रहने वाले बैगाओं से रामलोटन का जीवंत संपर्क है और वो उनके जानकारी साझा करते रहते हैं। रामलोटन कुशवाहा के तीन बेटे हैं, एक बेटे को तो उनके इस काम में रूचि नहीं है लेकिन बाकी दो बेटे उनका हाथ बंटाते है। रामलोटन को इसबात की खुशी है कि उनकी सात साल की नातिन को जड़ी बूटियों से लगाव है वो इन्हें पहचानती भी है और खोजने में मदद भी करती है।