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मध्यप्रदेश में गर्मी भले सूरज बढ़ा रहा हो, पर सिस्टम की तपन कुछ और ही किस्से सुना रही है। अफसर हों या नेता, सबका एक ही सपना कि कुर्सी पर बैठे रहें और बाकियों की कुर्सी हिलाते रहें। यहां बड़े साहब हैं, जो बैच देखे बिना जांच ठोक देते हैं तो वहीं एक साहब हैं, जो 60 एकड़ में रिटायरमेंट के सपनों का रिसॉर्ट खड़ा करने की प्लानिंग कर रहे हैं। कद्दू भी कट रहा है और मलाईदार हिस्से खास लोगों की थाली में जा रहे हैं। खाकी वाले साहब राजपूताना स्टाइल में मैदान में उतर चुके हैं। उधर, नेताजी का शहजादा पुजारी से पंगा ले बैठा है और नेताजी का चेहरा खबरों में पनियाया दिख रहा है।
खैर, देश—प्रदेश में खबरें तो और भी हैं, पर आप तो सीधे नीचे उतर आईए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए।
बड़े साहब का बड़ा स्टाइल...
प्रदेश के सबसे बड़े साहब हैं तो आखिर बड़े ही। पिछले दिनों उज्जैन में सिंहस्थ की समीक्षा बैठक थी, लेकिन माहौल ऐसा बना जैसे अर्जुन को गांडीव मिल गया हो। बैठक में गड़बड़ी की शिकायतें क्या आईं, साहब ने बिना वक्त गंवाए कलेक्टर को जांच के आदेश दे दिए। वैसे तो आपको ये मामला साधारण लगेगा, लेकिन इसमें ट्विस्ट है। क्या है कि जिनके विभाग की जांच होनी है, वे साहब, बड़े साहब से बस एक बैच जूनियर हैं। सरकार के कई बड़े फैसलों में उनका दखल रहता है। मगर क्या करें, बड़े साहब का स्टाइल यही है। वे न बैच देखते हैं, न बिल्ला। सूत्र बताते हैं कि साहब का संदेश साफ है कि जब तक मैं कुर्सी पर हूं, गड़बड़ी वालों की कुर्सी हिलती रहेगी। बाकी आप समझदार हैं और अब तो बाकी बैच वाले भी हो जाएंगे।
प्रमुख सचिव की 60 एकड़ जमीन
मंत्रालय में तैनात एक प्रमुख सचिव की 60 एकड़ जमीन चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल, इन साहब ने नर्मदापुरम अंचल में पदस्थ रहते हुए रातापानी के पास ये जमीन खरीदी थी। हालांकि साहब बड़े समझदार हैं, इसलिए ये जमीन उन्होंने अपने मिलने वालों के नाम खरीदी थी। साहब आने वाले सालों में रिटायर होने वाले हैं, इसलिए वे अब इस जमीन पर पर्यटकों के लिए रिसॉर्ट बनाने की प्लानिंग कर रहे हैं। आपको बता दें कि साहब इन दिनों भी मलाई वाले विभाग में हैं, यानी लक्ष्मी का पूरा आशीर्वाद उन पर है। बताते हैं कि रिसॉर्ट में काला पीला सब खपाने की तैयारी है।
कद्दू कट रहा, सब में बंट रहा!
प्रदेश के एक बड़े बोर्ड में इन दिनों खासी चर्चा है। बोर्ड में एमडी कोई भी रहे, लेकिन दबदबा इंदौरी कंसल्टेंट का ही बना हुआ है। कोई भी करोड़ों का प्रोजेक्ट हो, पहले से उन्हें देना तय हो जाता है। कोई आरोप न लगे, इसके लिए पुराने वाले साहबों ने कंसल्टेंट का इम्पैनलमेंट कर रखा है। अब बस प्रजेंटेशन देखने की फॉर्मेलिटी होती है और इसके बाद अपने चहेते कंसल्टेंट को दो परसेंट में ठेका दे दिया जाता है। अब कद्दू कटता है तो सब में बंटता भी है। हम ये बात इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि इसके पहले कंसल्टेंट के लिए टेंडर डलते थे, जो पैरामीटर में बेस्ट होता था, उसे टेंडर मिलता था और वो भी एक परसेंट में। यानी अब एक्स्ट्रा एक परसेंट का कद्दू सब में बंट रहा है और वो भी करोड़ों का।
आईपीएस का राजपूताना स्टाइल
खाकी जब फॉर्म में होती है तो अपराधी कांपते हैं। वे गलत काम करने से पहले सोचते हैं। विंध्य अंचल में इन दिनों कुछ कुछ ऐसा ही हो रहा है। यहां पहुंचे एक आईपीएस का राजपूताना स्टाइल देखते ही बन रहा है। साहब लंबे समय बाद मैदान में उतरे हैं। इन्होंने विंध्य में जाते ही मैदानी अमले को एक्टिव कर दिया। साहब ने अफसरों को भरोसा है दिलाया कि उनके पॉलिटिकल और प्रशासनिक कनेक्शन अच्छे हैं, ऐसे में बेधड़क होकर जुआरी और नशे के कारोबारियों पर टूट पड़ें, कहीं कोई बैक फायर होगा तो वे संभाल लेंगे। फिर क्या था, विंध्य की पुलिस सड़कों पर सांय सांंय करते हुए निकल पड़ी है। बहरहाल, देखना होगा कि इन साहब का ये राजपूताना स्टाइल कब तक चलता है।
कुर्सी, चाय और साहब का सपना
चंबल में तैनात एक आईपीएस इन दिनों पोस्टिंग की जुगाड़ में लगे हैं और वो भी ऐसी वैसी नहीं– मनपसंद कुर्सी चाहिए जनाब को। इसके लिए उन्होंने डिप्टी सीएम के साथ इतनी बार बैठकें कर ली हैं कि अब चाय वाले भी बिना पूछे इलायची डालने लगे हैं। साहब इतने समर्पित हैं कि अपनी शिष्य मंडली को भी डिप्टी सीएम की आरती में लगा रखा है, सुबह से शाम तक साहब की पोस्टिंग...साहब की पोस्टिंग...जपते रहते हैं। डिप्टी सीएम भी क्या करें, सीधे-सादे हैं– मना नहीं करते, बस हर बार मुस्कराकर आश्वासन की गोली और चाय में इलायची डलवा देते थे। अब माजरा यह है कि हाल ही में जब उस मनचाही कुर्सी पर किसी और का नाम टाइप हो गया तो साहब ऐसे चौंके जैसे परीक्षा में सवाल ही उलटे आ गए हों। अब साहब सन्नाटे में हैं और डिप्टी सीएम चैन से, क्योंकि आश्वासन की सीमा भी होती है।
नेताजी के कॅरियर पर बट्टा लगा रहा शहजादा
नाम कमाने में पूरी उम्र बीत जाती है, पर बदनामी के लिए एक लम्हा ही काफी होता है। इंदौर में एक नेताजी भी इन दिनों इसी कहावत की जीवंत मिसाल बने हुए हैं। दरअसल, उनके शहजादे को भौकाल बिखेरने की लत है। इस बार तो उसने हद ही कर दी। अपनी मंडली के साथ उसने मंदिर जाकर सीधे पुजारी को ही धमका डाला। अब भला ये कोई सामान्य भक्तों वाला व्यवहार तो था नहीं, सो अगले दिन खबर ने अखबार में पहला पन्ना पकड़ लिया। नेताजी बेचारे कैमरे के सामने बगले झांकते नजर आए और पीछे से अपने संकटमोचकों को पुजारी को मैनेज करने में झोंक दिया। पर कहते हैं न पंडितों की नाराजगी जल्द नहीं जाती। पुजारी जी टस से मस नहीं हुए हैं। अब चर्चा ये है कि शहजादे की कारस्तानी कहीं नेताजी के राजनीतिक भविष्य पर ग्रहण न लगा दे।
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