बोल हरि बोल : आग लगी पड़ी है MP में… चर्चे कलेक्टर भैया के, बड़ी मैडम की सतर्कता और ओशो की आवाज

2 हजार 208 करोड़ मुआवजे की जांच शुरू क्या हुई, शिवपुरी कलेक्ट्रेट जल उठा है। इसकी आंच राजधानी तक आई है। इस आग में मुआवजे से जुड़ी फाइलें जल गई हैं।

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Bol hari bol 19 may 2024 journalist harish divekar 
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हरीश दिवेकर @ भोपाल
चौतरफा आग लगी पड़ी है साहब! मौसम गरम है। राजनीति उबाल मार रही है… और भ्रष्टाचार की आग दफ्तरों तक पहुंच रही है। अब ये संयोग है या साजिश ये तो 'कछुआ जांच' के बाद ही पता चलेगा, फिलहाल तो 2 हजार 208 करोड़ मुआवजे की जांच शुरू क्या हुई, शिवपुरी कलेक्ट्रेट जल उठा है। इसकी आंच राजधानी तक आई है। इस आग में मुआवजे से जुड़ी फाइलें जल गई हैं। अब देखिए न दो नकाबपोश 4 मिनट में आग लगा गए और अफसरान को खबर 6 घंटे बाद मिली। है न गजब संयोग...। खैर, अपन तो आगे बढ़ते हैं। कलेक्टर भैया के नाम पर एक हलके भैया जमकर वसूली कर रहे हैं। बड़ी मैडम को बड़ी साजिश का शक है, इसलिए वे फूंक- फूंककर पानी पी रही हैं। सीएम राइज स्कूल मानो इंद्र का स्वर्ग हो गए हैं, अब ये कैसे हुआ… इसके लिए नीचे उतरिए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए।

इंद्र के स्वर्ग जैसे हैं क्या सीएम राइज स्कूल

माना जाता है कि इस ब्राह्मंड में इंद्र का स्वर्ग सबसे खूबसूरत और नायाब है। अब मध्य प्रदेश में मानो सीएम राइज स्कूल भी कुछ- कुछ ऐसे ही बनाए जा रहे हैं। ये हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि एक- एक स्कूल को बनाने का खर्चा करोड़ों का बताया जा रहा है। यह तब है जब सरकार स्कूल के लिए जमीन तक मुफ्त में दे रही है। इस खुलासा मंत्रालय में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में हुआ। दरअसल, बैठक में आला अफसर सीएम राइज स्कूल की लागत सुनकर पर चौंक गए। सवाल उठा कि स्कूल को सरकार मुफ्त में जमीन देती है तो केवल स्कूल के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर करोड़ों खर्च कैसे हो रहे हैं? इस सवाल पर स्कूल वाले महकमे की मैडम तनिक देर के लिए सकपका गईं। फिर बात संभालते हुए कहा कि इस पर अलग से चर्चा कर लेते हैं। बैठक के बाद कुछ अफसर इस खेल पर आश्चर्यचकित थे कि अब तक किसी ने देखा क्यों नहीं। सही है गुरु...लगे रहो। हम तो यही कहेंगे कि...
राम की चिड़िया और राम के खेत, 
खाओ री चिड़िया भर- भर पेट... 

भाई कलेक्टर हैं, ठेकदारी तो बनती है बॉस

भैया भए कलेक्टर तो डर काहे का.... ऐसा ही डायलॉग एक कलेक्टर साहब के भाई पर ​फिट बैठता है। कलेक्टर साहब जहां जाते हैं, उनका भाई भी ठेकेदारी करने पहुंच जाता है। वह अपने भैया का इतना ध्यान रखता है कि खुद की कंपनी के नाम से ठेका लेने के बजाए स्थानीय ठेकेदारों से सांठ- गांठ कर उनके नाम से ठेके लेकर धड़ल्ले से मलाई खाता है। अब ऐसा तो है नहीं कि छोटे भाई के काम की बड़े भैया को खबर न हो, पर क्या करें दिल है कि मानता नहीं...। भाई ही तो भाई का सहारा बनेगा न। अब आपके मन में यही सवाल कौंध रहा होगा कि कलेक्टर भैया कौन हैं? तो दादा भोपाल के आसपास के जिलों में अपने इष्ट मित्रों, परिचितों को फोन घुमाइए… बस इन साहब का नाम आपको पता चल जाएगा। 

एक धोखे की कीमत तुम क्या जानो...

मंत्रालय में हॉट सीट पर बैठने वाली मैडम को न जाने क्या हो गया है। आजकल उनका चित्त नहीं बैठ रहा। उन्हें किसी पर विश्वास नहीं है। मंत्रालय में कानाफूसी है कि मैडम धोखा खाए बैठी हैं। लिहाजा, वे पानी भी फूंक- फूंककर पी रही हैं। अब देखिए न कि मैडम मीटिंग से ठीक 15 मिनट पहले अपना एंटी चैंबर ओपन करती हैं। हालात ये है कि मीटिंग शुरू होने और खत्म होने के बाद चैंबर को उनका स्टाफ अच्छे से चैक करता है। दरअसल, मैडम को डर है कि उनके एंटी चैंबर में कहीं कोई डिवाइस ना लगा जाए। अब ये डर क्यों है, पता नहीं। आपको पता हो तो हमें जरूर बता दीजिएगा। 

श्श्श्श्श्श्श...कौन है वो?

इंदौर का निजी स्कूल संचालक एक महिला के नेटवर्क को देखकर भारी परेशान है, वो समझ नहीं पा रहा कि आखिर ये पॉवरफुल महिला है कौन? इसकी बेटी के एडमिशन के लिए डिप्टी सीएम से लेकर कांग्रेस के बड़े- बड़े नेता तक फोन लगा रहे हैं। मजेदार बात तो यह है कि ये महिला खुद इन लोगों से निजी संबंध होने की बात कहकर स्कूल संचालक पर दबाब बना रही है। अब मरता क्या न करता... बेचारा दबाव में आ गया, लेकिन उसका एक ही सवाल है कि भैया ये मोहतरमा हैं कौन, जिसकी कांग्रेस के बड़े नेताओं में जितनी पकड़ है, उतनी ही बीजेपी के टॉप लीडर्स में भी रुतबा है। कोई हो बॉस अपन को क्या करना है, हम तो अपने काम पर ध्यान देते हैं। 

चलो खोजते हैं आपदा में अफसर! 

आपदा में अफसर कैसे बनाए जाते हैं, ये तो कोई 'उनसे' पूछे। अब ये कौन हैं...अरे ये एक- दो नहीं बहुत हैं। अब ऐसा है कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता कहीं खुशी- कहीं गम लेकर आती है। सूबे में आचार संहिता के नाम पर काम को टालने में कुछ अफसर- कर्मचारी माहिर हैं। वे हर छोटे-बड़े काम के लिए आयोग की अनुमति की टीप लगा देते हैं। आयोग में अफसर भी फाइलों से परेशान हैं। अब ताजा केस आईटीआई के एडमिशन से जुड़ा है। तकनीकी शिक्षा विभाग के साहब लोगों ने चुनाव आयोग से परमिशन न मिलने की आड़ में दसवीं पास कर आईटीआई करने वाले बच्चों को एडमिशन देने की प्रक्रिया ही रोक दी थी। इस बीच कुछ सक्रिय लोगों ने ऐसी फाइलों को चुनाव आयोग से जल्दी ओके करवाया। तब जाकर आईटीआई में प्रवेश का रास्ता साफ हो सका है। 

नेताजी और ओशो...

अपनी इमेज बनाए रखने के लिए नेता क्या कुछ नहीं करते। अब ताजा मामला एक नेताजी से जुड़ा हुआ है। एक समय था प्रदेश में नेताजी का भौकाल हुआ करता था, समय बदला भौकाल चला गया। लेकिन नेताजी हैं कि मानने को तैयार नहीं है। अब नेताजी दिल्ली में झण्डे गाड़ना चाहते हैं। नेताजी ने एक वीडियो जारी किया है। इसे दर्शनीय बनाने के लिए ओल्ड शेड दिया गया है। नेताजी के 'जनसेवा' वाले फोटो- वीडियो के साथ ओशो की आवाज में वॉइस ओवर किया गया है। अब एक सज्जन ने फोन कर कहा कि नेताजी की टीम तो भैरंट काम करती है। उनका सवाल था कि क्या है वाकई ओशो की आवाज है, हमने कहा नेताजी की प्रसिद्धि ज्यादा है। हो सकता है ओशो की ही आवाज हो। वीडियो आप भी देखिए और सुनिए ओशो की आवाज...। 

कोल्ड​ ड्रिंक, चॉकलेट देकर लौटे नेताजी 

अपने प्रिय नेता से मिलना हर किसी को सुकून और आनंद देता है, पर जब आप तैयारी के साथ नेताजी के करीब तक पहुंच जाओ और उनसे सौजन्य भेंट न हो सके तो बड़ी तकलीफ होती है। ऐसा ही हुआ ग्वालियर में। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ट्रांजिट विजिट पर ग्वालियर पहुंचे। फिर यहां से झांसी रवाना हुए। जब वे वापस ग्वालियर आए तो कई नेता उनका एयरपोर्ट पर इंतजार ही करते रहे, पर मुलाकात न हो सकी। फिर क्या... नेताओं ने प्लेन में ही कोल्ड ड्रिंक और चॉकलेट भेज दी और मन मारकर वापस आ गए।

 

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