बोल हरि बोल: नेता जी बने बालासाहेब, मंत्री जी का ओएसडी प्रेम… साहबों के शराब बार और अब घोड़ी चढ़ने का रिकॉर्ड तोड़ेंगे कलेक्टर साब!

मध्य प्रदेश के एक नेताजी इन दिनों 'बालासाहेब' बने फिर रहे हैं। उन्होंने अपने नए निवास का नाम भी बालासाहेब के घर के नाम पर ही रखा है। चाल-ढाल में भी वे ऐसा ही जलवा दिखाने की कोशिश करते हैं। 

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Harish Divekar
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गर्मी कम हो गई है अब। सियासत की भी और मौसम की भी। चुनाव के बाद सरकार वर्किंग मोड में है। डॉक्टर साहब ने मैराथन मीटिंग्स शुरू कर दी हैं। मंत्रालय से तबादलों की सूचियां बाहर आने लगी हैं। जल्द ही कई और अफसर इधर से उधर होंगे।

फिलहाल तो खबर एक मंत्रीजी के भौकाल की है। वे मानो 'बालासाहेब' बन गए हैं। पुराने सरकार भी चर्चा में बने हुए हैं। चर्चा तो आईपीएस अफसरों के लिकर यानी शराब प्रेम की भी चल रही है। खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदल रहा है।

एक मंत्रीजी का ओएसडी प्रेम अब बाहर आ गया है। तो एक कलेक्टर साहब का दिल फिर बच्चा बन गया है। उन्हें तीसरी बार प्यार हो गया है। अब तो वे मानो घोड़ी चढ़ने का रिकॉर्ड तोड़ने वाले हैं। सब यहीं जान लेंगे क्या? बॉस नीचे चलिए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए… 

मंत्रीजी का भौकाल...

मध्य प्रदेश के एक नेताजी इन दिनों 'बालासाहेब' बने फिर रहे हैं। उन्होंने अपने नए निवास का नाम भी बालासाहेब के घर के नाम पर ही रखा है। चाल-ढाल में भी वे ऐसा ही जलवा दिखाने की कोशिश करते हैं।

क्या है कि पहले नेताजी के जिले से तीन मंत्री आते थे। इस बार दो का पत्ता कट गया। लिहाजा, अब उनके सामने मैदान साफ है। ये चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि नेताजी ने पिछले दिनों अपने 'निज निवास' पर प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। इसमें भी उनकी मंशा यही थी कि मीडियाकर्मी उनके भव्य घर के दीदार कर सकें। 

पुराने सरकार जब भूल गए कि...

पुराने साहब के दिलो दिमाग से निकल ही नहीं पा रहा कि वे अब 'सरकार' नहीं रहे। गाहे बगाहे उनके मुंह से कुछ न कुछ ऐसा निकल जाता है कि हंसी उड़ जाती है। अब देखिए, एक कार्यक्रम में वे अपने चिर परिचित अंदाज में भाषण दे रहे थे, तभी मुंह से निकल पड़ा कि मुख्यमंत्री सब विषयों का… इतना ही कह पाए थे कि याद आ गया।

फिर क्या था, पूरा हॉल ठहाकों से गूंज उठा। नेताजी खुद हंस दिए। फिर अपनी बात को संभालते हुए भाषण को आगे बढ़ाया। खैर, जो भी हो, लेकिन पुराने सरकार हैं तो अब भी 'असरदार'। 

नवाचारों की धरती है अपना मध्य प्रदेश 

प्रशासनिक मामले में मौजूदा परिदृश्य को देखते हुए आप मध्य प्रदेश को नवाचारों की धरती भी कह सकते हैं। यह पहली बार है जब मंत्रालय के पांचवें माले पर युवा जोश और अनुभव का तालमेल देखने को मिल रहा है। CMO में पहली बार ACS और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की भी तैनाती की गई है। यह तो हुई एक बात...।

दूसरा मामला ऐसा है कि डॉक्टर साहब अब हेल्थ एजुकेशन के कमिश्नर का पद भी खत्म करने जा रहे हैं। स्वास्थ्य वाले कमिश्नर साहब ही दोनों पदों के 'साहब' होंगे। यही नहीं चिकित्सा शिक्षा और शिक्षा विभाग में एक जैसे 30 अन्य पद भी खत्म होंगे। सही है भैया...। इसे लेकर मंत्रालय में जमकर कानाफूसी हो रही है।

खरबूजे को देखकर खरबूजा भी अपना... 

वो कहते हैं न कि खरबूजे को देखकर दूसरा खरबूजा भी अपना रंग बदल लेता है। कुछ ऐसा ही हो रहा है खाकी वाले महकमे में। क्या है कि सूबे के कुछ आईपीएस अपनी काली पीली कमाई को क्लब बार में लगा रहे हैं।

शुरुआत भोपाल के दो प्रमोटी आईपीएस अफसरों ने की थी। अब इनकी कमाई के रंग देखते हुए इंदौर में पदस्थ रहे प्रमोटी आईपीएस भी रंग बदल रहे हैं। इन्होंने क्लब बार में इन्वेस्टमेंट करके 2 के 10 बनाने की जुगाड़ कर ली है।

साहब के इस नवाचार से प्रभावित होकर डायरेक्ट आईपीएस अफसर भी इस धंधे में उतरने का मन बना रहे हैं। 

सुबह का भूला, शाम को घर...

सुबह का भूला शाम को घर आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते। ऐसा ही कुछ है इस केस में। एक प्रमुख सचिव एक बार फिर मंत्रालय में आने के लिए बेताब हैं। ​पिछले दिनों इन साहब को लाट साहब के यहां पदस्थ किया गया था।

पहले तो वे बड़े खुश थे, पर अब खबर आ रही है कि साहब का वहां मन नहीं लग रहा है। लिहाजा, उन्होंने काम करने में रुचि लेना बंद कर दिया है। प्रमुख सचिव के काम-काज से लाट साहब भी खासे नाराज हैं। वे भी उनकी सेवाएं सरकार को वापस लौटाने के मूड में आ गए हैं।

अब प्रमुख सचिव इस बात का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं कि कब लाट साहब डॉक्टर साहब को फोन लगाएंगे और उनकी जगह दूसरे अफसर को बुलाकर उनकी घर वापसी करा देंगे। 

मंत्रीजी के बंगला प्रेम से पड़ोसी नाराज

मोहन कैबिनेट के कद्दावर मंत्री का बंगला प्रेम इन दिनों लोगों की परेशानी बना हुआ है। दरअसल, मंत्री जी को पहले ही शानदार बंगला मिला हुआ है। इसके बावजूद मंत्रीजी को दूसरे बंगले की चाह है। उन्हें खुश करने के लिए अफसरों ने विभाग के लिए रेस्ट हाउस के तौर पर इस्तेमाल हो रहा ट्रांजिट बंगला दे दिया।

इस बंगले में पहले बाहर से भोपाल आने वाले इंजीनियर और अधिकारी ठहरते थे। अब इसे मंत्री के हिसाब से डेवलप किया जा रहा है। बंगला एक निजी कॉलोनी में है तो मंत्रीजी की सुरक्षा के नाम पर दीवार तानकर कॉलोनी का रास्ता बंद किया जा रहा है। इसे लेकर रहवासियों में खासी नाराजगी है। अब सवाल तो वही है कि 'तालाब में रहकर मगरमच्छ से बैर' कोई क्यों ले? लिहाजा, लोग किसी तरह अपना काम चला रहे हैं। 

ये दोस्ती, हम नहीं तोड़ेंगे! 

संघ के कोटे से मंत्री बने एक नेताजी का ओएसडी प्रेम इन दिनों बाहर निकल पड़ है। दरअसल, डॉक्टर साहब ने ओएसडी की नियुक्ति पर अभी सीधे तौर पर रोक लगा रखी है। ऐसे में मंत्री चाहकर भी दूसरे विभाग के अधिकारी को ओएसडी नहीं बना पा रहे थे। ऐसे में मंत्रीजी ने नया रास्ता अख्तियार कर लिया।

उन्होंने अपने चहेते अफसर को अपने विभाग में पहले डेपुटेशन पर लिया और फिर बाद में उसे अपने यहां अटैच करवा लिया। अब ये साहब खुलकर ओएसडी के तौर पर बेटिंग कर रहे हैं। दरअसल, मंत्रीजी बड़े सीधे और सरल स्वभाव के हैं। ऐसे में उनकी जगह सारे हिसाब किताब की बात उनके ओएसडी ही करते हैं।

12 करोड़ से शुरू और 50 लाख में मान गए

आप शीर्षक पढ़कर चौंक गए होंगे। जी हां, ये सच है। ग्वालियर-चंबल से ताल्लुक रखने वाले एक मंत्रीजी की कोर टीम ने ये कारनामा कर डाला है। दरअसल, मंत्रीजी के लोगों ने निमाड़ के कुछ व्यापारियों पर सीधे अड़ी डाल दी कि उन्हें सब लोग मिलकर 12 करोड़ दें, वरना लाइसेंस निरस्त कर दिए जाएंगे। व्यापारी भी ठहरे उस्ताद! वे माल पहले ही ठिकाने लगा चुके थे।

ऐसे में उन्होंने हाथ खड़े कर दिए। इतना ही नहीं 36 व्यापारियों ने तो लाइसेंस सरेंडर करने का आवेदन भी दे दिया। मामला बिगड़ता देख मंत्रीजी ने व्यापारियों के प्रतिनिधि मंडल को भोपाल तलब किया। अंदरखाने के लोग बताते हैं कि मामला 50 लाख में जम गया है। बढ़िया गुरु… राम जी की चिड़िया हैं, राम जी के खेत हैं...। 

दिल तो बच्चा है जी

थोड़ा कच्चा है जी!

यही तो सबसे रोचक किस्सा है। मसला ऐसा है कि एक आईएएस इन दिनों फिर चर्चा में हैं। वजह ये है कि वे तीसरी बार घोड़ी चढ़ने जा रहे हैं। चौंक गए ना आप! जनाब...ये सच है। महकमे के भीतर के लोग तो उन्हें दूसरे राज्यों में काम कर रहीं एमपी कैडर की चंद महिला अफसरों का ट्रांजिट पास भी कहते हैं। जिसे एमपी आना होता है, साहब उनसे शादी कर लेते हैं। गोलमोल बहुत हो गया।

अब आते हैं मुद्दे पर… क्या है कि सूबे के एक जिले के कलेक्टर साहब तीसरी बार ब्याह रचाने जा रहे हैं। इससे पहले वे दो बार दूल्हा बन चुके हैं। पहली बार उन्होंने दूसरे राज्य में काम कर रहीं एक महिला आईएएस की मध्य प्रदेश वापसी के लिए उनसे ब्याह रचाया था। 

फिर तलाक हो गया। दूसरी बार शादी की। इस बार भी नौबत तलाक तक आ पहुंची है। लिहाजा, साहब को फिर प्यार हो गया है। वे तीसरी बार शादी करने जा रहे हैं। हमारी ओर से भी साहब को दिली मुबारकबाद!

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journalist harish divekar bol hari bol 23 june 2024 BOL HARI BOL बोल हरि बोल