हरीश दिवेकर @ भोपाल.
बाअदब, बामुलाहिजा, होशियार! शहंशाहे सरकार आ रहे हैं...। हओ भैया, आज नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार पंत प्रधान बन जाएंगे। आज जैसे ही घड़ी का छोटा कांटा 7 पर और बड़ा कांटा 15 पर होगा, तब मोदी राष्ट्रपति भवन में शपथ लेंगे। इस वक्त पुनर्वसु नक्षत्र होगा। ये वही नक्षत्र है, जिसमें भगवान श्रीराम जन्मे थे। इसके मायने आप स्वयं निकाल लीजिए।
खैर, अब आगे बढ़ते हैं। मंत्रालय में गजब हो गया। एक तेज तर्रार प्रमुख सचिव दोनों हाथों से लड्डू खाने के फेर में फंस गए हैं। उधर, एक जिले में जय- वीरू की जोड़ी की खासी चर्चा है। एक आईपीएस का महिला प्रेम बार-बार हिलोरे मार रहा है। राजधानी में सरकार के गठन से ज्यादा चर्चा एक संन्यासन की हो रही है।
खैर, देश-प्रदेश में खबरें तो और भी हैं, पर आप तो सीधे नीचे उतर आईए और 'बोल हरि बोल' के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए।
दीवारों के कानों ने सुन ली सारी बात
कढ़ी मिली न मिले माढ़े,
दोई दीन से गए पांड़े।
ये कहावत तो आपने सुनी ही होगी। मंत्रालय में ऐसा ही हो गया। यहां एक तेज- तर्रार प्रमुख सचिव दोनों हाथों से लड्डू खाने के फेर में फंस गए। हालांकि उनके हाथ तो कुछ नहीं लगा, बदनामी हो रही है सो अलग। दरअसल साहब ने अपनी पीआर बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखी थी। बवाल मचा तो उन्होंने कहा कि अकाउंट किसी ने हैक कर लिया। मामला सायबर पुलिस तक पहुंचा। जांच हुई, लेकिन जांच के बाद जो सामने आया वो हैरान करने वाला था। बताया जा रहा है कि ये पोस्ट इन साहब के आईपी एड्रेस से ही की गई है। हालांकि पुलिस अफसरों ने इस जांच रिपोर्ट को ओपन नहीं किया है, लेकिन दीवारों के कानों से ये बात मंत्रालय और पीएचक्यू के गलियारों तक पहुंच गई। अब राम जाने डॉक्टर साहब तक ये बात पहुंची की नहीं। आपको पता हो तो हमें भी बता दीजिएगा।
दोस्त… दोस्त होता है, बच गई साहब की कलेक्टरी
आपने यूं तो दोस्ती के किस्से तमाम सुने होंगे, पर यह अलहदा है। अफसरशाही में ऐसी दोस्ती देखनेकम ही मिलती है। अब आपने शोले फिल्म में जय-वीरू की दोस्ती तो देखी ही होगी। कुछ-कुछ ऐसी ही दोस्ती एक जिले के कलेक्टर और एसपी के बीच है। अब देखिए न कलेक्टर की परफॉरमेंस रिपोर्ट खराब हुई तो एसपी साहब ने डॉक्टर साहब के सामने हाथ जोड़कर कलेक्टर साहब को एक और मौका देने की गुहार लगा दी। डॉक्टर साहब की नजरों में एसपी की इमेज अच्छी है। लिहाजा, कलेक्टर साहब को एक और मौका मिल गया है। अब जिले के अधिकारी कहते फिर रहे हैं कि जय ने आखिर वीरू को बचा ही लिया, क्योंकि कुछ दिनों पहले तक माना जा रहा था कि आचार संहिता हटते ही कलेक्टर साहब का विकेट गिर जाएगा। ( BOL HARI BOL )
पीएचक्यू और गृह में छिड़ा कोल्डवार
पुलिस मुख्यालय और गृह विभाग में इन दिनों कोल्डवार छिड़ा हुआ है। विभाग के प्रमुख सचिव ने जबसे खाकी वर्दीधारी साहब लोगों के काम-काज का हिसाब-किताब देखना शुरू किया है, तब से ही ये कोल्डवार जारी है। अब खाकी वाले साहब भी अपना रुतबा दिखाने लगे हैं। ताजा मामला मंत्रालय का है। प्रमुख सचिव ने एक महत्वपूर्ण बैठक में चार एडीजी को बुलाया था, लेकिन बैठक में केवल एक एडीजी पहुंचे। बाकी तीन ने अपने अधीनस्थ अधिकारी एआईजी को भेज दिया। साहब को ये नागवार गुजरा, उन्होंने गुस्से में बैठक टाल दी। साथ में कड़क नोट लिखकर अगली बैठक में फिर सबको हाजिर होने का फरमान सुना डाला।
कमिश्नर की पार्टी में लड़ बैठे साहब और मैडम
सिर्फ गंगू बाई और उसके पति के बीच ही आए दिन झगड़ा नहीं होता। साहब और मैडम में भी खूब झगड़ते हैं। हओ...! सही है ये। क्या है कि एक कमिश्नर साहब ने बंगले पर संभागीय अधिकारियों का गेट-टू-गेदर रखा था। पार्टी चल ही रही थी कि अचानक आईपीएस-आईएएस दंपती झगड़ने लगे। मामला बढ़ता देख कमिश्नर साहब को बीच में आना पड़ा। इसमें पता चला कि मैडम की शिकायत है कि उनके पति उन्हें पार्टी में अकेला छोड़कर जा रहे हैं। कमिश्नर ने समझाने की कोशिश की तो मैडम ने रोते हुए कहा कि ये हमेशा ऐसा ही करते हैं। बताते भी नहीं हैं कि कहां जाते हैं। हमें पता है आप जानना चाहते हैं कि आखिर ये आईपीएस-आईएएस दंपती कौन हैं और किस संभाग का मामला है तो भाई लोगों मामला कुछ ज्यादा ही निजी है, इसलिए हम चुप ही रहेंगे। हम तो बस साहब से यह कहेंगे कि मैडम को सब बताया करें, वर्ना...।
वाकई ये तो बड़ी संन्यासन हैं, भाई...
राजधानी में इन दिनों तीन बातें घूम रही हैं। पहली यह कि मंत्री पद किसे मिलेगा? दूसरी तबादला सूची में किस-किस का नाम है और तीसरी संन्यासन? संन्यासन कौन हैं… कहां से आई हैं? किसी को नहीं पता। जो पता है वह यह है कि संन्यासन राजधानी के एक बड़े होटल के सुईट में एक महीने से ठहरी हुई हैं। बताया जा रहा है कि यहां तंत्र-मंत्र साधना से काम कराने की बात कही जा रही है। अंदरखानों की मानें तो इस होटल के कमरे में कई रसूखदारों को आते- जाते देखा गया है। खुफिया तंत्र को भी संन्यासन की भनक लग गई है। वे पता करने में लग गए हैं कि आखिर ये संन्यासन कौन हैं और कौन लोग हैं, जो इन्हें इतने बड़े होटल के सुईट में एक महीने से ठहराए हुए हैं।
खाकी वर्दी वाले साहब अलग चिंता में
खाकी वर्दी वाले बड़े साहब इन दिनों अलग चिंता में हैं। उनका पूरा प्रयास है कि नवम्बर तक उनकी कुर्सी पर डॉक्टर साहब किसी और को बिठा न दें, लिहाजा... वे हर दिन अफसरों के साथ लंबा मंथन कर रहे हैं। इसके पीछे यही संदेश देने की कोशिश है कि वे खूब मन लगाकर काम कर रहे हैं। उनके मंथन के चक्कर में पीएचक्यू के बाकी अफसरान मानो परेशान हो गए हैं। साहब लंबी- लंबी बैठकों में दिशा- निर्देश दे रहे हैं। इसके उलट साहब के प्रतिद्वंद्वी यानी उनकी कुर्सी पर बैठने के काबिल अधिकारी पूरे प्रयास में हैं कि बड़े साहब को जल्द से जल्द फुरसत कर दिया जाए।
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