जय भाजपा… विजय भाजपा… यही स्लोगन चला मध्य प्रदेश में कल दिनभर। हओ भैया, बीजेपी ने अपने खाते में छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा सीट भी जोड़ ली है। बीजेपी ने डेढ़ दशक बाद इस सीट पर कब्जा जमाया है। उपचुनाव में मिली हार ने कांग्रेस को तोड़कर रख दिया है। अब क्या कमलेश शाह मंत्री बनेंगे? सियासत में यही सवाल गूंज रहा है।
अरे, मंत्री से याद आया… रामनिवास रावत की ताजपोशी को छह दिन बीत गए, पर अभी तक ये पता नहीं चला कि वे किस विभाग के मंत्री हैं। मतलब, उन्हें विभाग आवंटित नहीं हुआ है। इसी लाइन पर आगे बढ़ें तो चर्चा यह है कि सूबे के एक मंत्रीजी 'बैल से दूध' निकालने में माहिर हैं। यानी उन्होंने असंभव काम को संभव कर दिखाया है, मगर डॉक्टर साहब को पूरी खबर पहुंच गई है। देखो… अब आगे क्या होता है। उधर, एक मंत्री को जावेद भाई मिल हैं। इनकी भूमिका वीरबल से कम नहीं है। खैर, देश प्रदेश में खबरें तो और भी हैं, पर आप तो सीधे नीचे उतर आईए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए।
फॉर्म में बीजेपी और नेताजी नाराज...
बीजेपी गजब के फॉर्म में है। पार्टी ने 16 साल बाद अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर जीत दर्ज कर ली है। कांग्रेस के लिए यह बड़ा सियासी नुकसान है। दरअसल, कांग्रेस को ऐसे झटके 10 वर्षों से लग रहे हैं। इस दरमियान सूबे में आधा सैकड़ा उपचुनाव हुए और 32 बार बीजेपी ने ही बाजी मारी। बीजेपी का विजय अभियान कूटनीतिक तौर पर भी जारी है।
पार्टी कांग्रेस नेताओं को अब भी आयात कर रही है। इन सबसे पार्टी के दिग्गज नेता नाराज हैं। बुंदेलखंड वाले महाराज हों या महाकौशल वाले विधायक जी… ऐसे कई नेता बीजेपी में कांग्रेस नेताओं को आयात किए जाने के बाद उन्हें पद देने से खफा हैं। उनका दर्द खुलकर सामने आ रहा है।
क्या मंत्रीजी का इलाज करेंगे डॉक्टर साहब?
आपने बैल से दूध निकालने वाली कहावत तो सुनी ही होगी। यह फिलवक्त सूबे के एक मंत्रीजी पर फिट बैठती है। क्या है कि पिछले टर्म में मंत्रीजी के पास माल वाला विभाग था तो घर बैठे करोड़ों छप रहे थे।
इस बार मंत्रीजी को कमजोर विभाग मिला तो गणित गड़बड़ा गया। मंत्री जी कहां हार मानने वाले थे, उन्होंने ऐसा खेला किया कि वारे न्यारे हो रहे हैं। इधर, मंत्री जी के फरमान से मिलर संगठन हालाकान हैं। उनकी नाराजगी खुलकर सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि इनका प्रतिनिधि मंडल जल्द ही डॉक्टर साहब से मुलाकात कर मंत्रीजी का इलाज करवाने की तैयारी में है।
जावेद भाई हैं ना... वे संभाल लेंगे
नए नवेले मंत्री जी को जब से जावेद भाई मिले हैं, तब से मानो उनके दिन ही फिर गए हैं। बिना झंझट के धूमधाम हो रही है। जावेद भाई ने ऐसा सिस्टम सेट किया है कि मंत्री जी, प्रमुख सचिव और मैदानी अधिकारी सब खुश हैं, परेशान हैं तो बस सप्लायर। क्योंकि अब कमिशन का हिस्सा डबल हो गया है।
इन्हें समझ नहीं आ रहा कि सब कुछ इन्हीं को दे देंगे तो सप्लाई कैसे करेंगे। सप्लायर घबराता है तो अफसर तपाक से कह देते हैं कि जावेद भाई हैं ना सब संभाल लेंगे। आपकी जानकारी के लिए बता दें इसके पहले जावेद भाई कुंवर साहब के पास लंबे समय तक रहे हैं। आज भी जब कुंवर जी का काम-काज उलझता है तो जावेद भाई ही संभालते हैं।
माननीय को कब तक करना होगा इंतजार?
रामनिवास रावत को मंत्री बने हुए छह दिन हो गए हैं, लेकिन अभी तक उन्हें विभाग आवंटित नहीं हुआ। रावत के समर्थक ये जानने के लिए बैचेन हैं कि भाईसाहब को कब तक और कौन सा विभाग मिलेगा। सूत्र बताते हैं कि डॉक्टर साहब अमरवाड़ा उपचुनाव के रिजल्ट का इंतजार कर रहे थे। चुनाव में कांग्रेस से बीजेपी में आए कमलेश शाह जीत गए हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही शाह को राज्यमंत्री बनाया जा सकता है। शाह की ताजपोशी के बाद रावत और शाह को एक साथ विभाग आवंटित किए जा सकते हैं।
30 बॉल में 30 रन नहीं बना पाई कांग्रेस!
जिस तरह से टी-20 वर्ल्ड कप में दक्षिण अफ्रिका 30 बॉल में 30 रन नहीं बनाने के कारण भारत से जीता जिताया मैच हार गई थी, ठीक उसी तरह कांग्रेस ने अमरवाड़ा का जीता जिताया उपचुनाव बीजेपी की झोली में डाल दिया। जो भी कांटे की टक्कर उपचुनाव में दिखाई दी, वो कांग्रेस प्रत्याशी धीरन शाह इनवाती ने अपने दम पर दी।
कांग्रेस के बड़े नेताओं की कोई मेहनत पूरे चुनाव में नहीं दिखी। केवल रस्मअदायगी करने जरूर बड़े नेता यहां पहुंचे और खंभा छूकर लौट आए। राजनीतिक गलियारों में चर्चा आम है कि कांग्रेस अपनी सबसे मजबूत सीट अमरवाड़ा में उपचुनाव हार गई तो आगे होने वाले तीन उपचुनाव बुदनी, बीना और विजयपुर विधानसभा से कैसे जीतेगी? ये तीनों सीटें बीजेपी के लिए वॉक ओवर जैसी हैं।
दिल्ली में नहीं जम पा रही सेटिंग
पुलिस मुख्यालय के एक एडीजी और महाकौशल के एक एसपी सेंट्रल डेपुटेशन पर जाने के लिए बैचेन हैं। राज्य सरकार में मामला जमाकर इन साहब लोगों ने दिल्ली तक अपना प्रस्ताव तो भेज दिया, लेकिन दिल्ली वाले इसे दबाकर बैठ गए हैं। इन साहब लोगों ने अपने राजनीतिक आकाओं से भी जोर लगवा लिया, लेकिन दिल्ली में सेटिंग नहीं जम पा रही है। उधर, बुंदेलखंड के एक कप्तान साहब ने अपना मामला जमा लिया है। उन्हें केन्द्र की हाईटेक ट्रेनिंग सेंटर में पोस्टिंग के लिए हरी झंडी मिल गई है।
मुखबिर मुश्किल में...
डोडा चूरा पैदा करने वाले जिलों में स्थानीय पुलिस और नारकोटिक्स विंग के अफसरों में रस्साकसी का खेल चल रहा है। अफसरों की लड़ाई में मुखबिरों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। अब हालात ये हैं कि स्थानीय पुलिस नारकोटिक्स विंग के मुखबिरों को बंद कर रहे हैं, वहीं नारकोटिक्स विंग स्थानीय पुलिस के मुखबिरों को। मामला पुलिस मुख्यालय तक पहुंच गया है। दरअसल, अफसरों की खींचतान के चलते नशे के कारोबारियों की बल्ले बल्ले हो रही है। अफसरों की लड़ाई में पिसने वाले मुखबिर जिले से बाहर जाने से उनकी खबरें बाहर आना बंद जो हो गई हैं।
कहां है सूची, कब होंगे तबादले...
इन दिनों मंत्रालय के पहले से लेकर पांचवें माले तक यही कानाफूसी होती है कब आएगी तबादला सूची। बाहर निकलो तो ट्रांसफर पॉलिसी पर बहस छिड़ जाती है। तो भैया, अब ताजी खबर यह है कि इस हफ्ते बड़ी प्रशासनिक सर्जरी होने जा रही है। कई साहबों की कलेक्टरी चली जाएगी। मंत्रालय वाले कुछ साहब कलेक्टर बन जाएंगे। उधर, ट्रांसफर पॉलिसी का खाका भी खिंच गया है। डॉक्टर साहब अपने बाकियों साथियों के साथ बैठक कर इसे हरीझंडी देंगे।
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