नई दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को 2022-23 के लिए बजट पेश किया। ये उनका चौथा बजट था। सरकार ने इस बार टैक्स स्लैब में कोई राहत का ऐलान नहीं किया। एक तरह से कहें तो इस बजट में मिडिल क्लास यानी मध्यम वर्ग के लिए कुछ खास नहीं है। इनकम टैक्स की अभी जो व्यवस्था है, आगे भी आपको उसी हिसाब से टैक्स देना होगा। हालांकि, टैक्स ट्रांजैक्शन (Tax Transection) व्यवस्था में सुधार किया गया है। इसके तहत अब आपको दो साल पुराने अपने इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) को अपडेट करने की सुविधा मिलेगी।
अभी ये व्यवस्था: 2.5 लाख रुपए तक की सालाना इनकम ही टैक्स फ्री रहेगी। अगर आपकी इनकम 2.5 से 5 लाख के बीच है तो आपको 5 लाख - 2.5 लाख = 2.5 लाख रुपए पर 5% टैक्स देना होगा। हालांकि इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 87A का फायदा उठाकर आप अब भी 5 लाख रुपए तक की सालाना इनकम पर टैक्स बचा सकेंगे।
ऐसे समझिए: सरकार 2.5 लाख से 5 लाख तक की कमाई पर 5% की दर से इनकम टैक्स तो वसूलती है, पर इस टैक्स को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 87A के तहत माफ कर देती है। मतलब यह कि अगर किसी की सालाना टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपए तक है, तो उसे कोई इनकम टैक्स नहीं देना होता। अगर आपकी कमाई 5 लाख 10 हजार रुपए हुई तो आपको 10 हजार रुपए पर टैक्स देने के बजाय 5.1 लाख - 2.5 लाख = 2.60 लाख पर टैक्स देना होता है।
राहुल गांधी का तंज
M0di G0vernment’s Zer0 Sum Budget!
Nothing for
- Salaried class
- Middle class
- The poor & deprived
- Youth
- Farmers
- MSMEs
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 1, 2022
क्या महंगा और क्या सस्ता
- कपड़ा, चमड़े का सामान सस्ता होगा।
बजट में किसानों के लिए क्या: वित्त मंत्री ने MSP को अब सीधे किसानों के खाते में भेजने का ऐलान किया है। इस सत्र में 163 लाख किसानों से 1208 मीट्रिक टन गेहूं और धान खरीदा जाएगा। सीतारमण ने कहा कि MSP के जरिए किसानों के खाते में 2.37 लाख करोड़ रुपए भेजे जाएंगे।
कृषि से जुड़ी बड़ी घोषणाएं
- किसानों को डिजिटल और हाईटेक बनाने के लिए PPP मोड में नई योजनाएं शुरू की जाएंगी। जो किसान पब्लिक सेक्टर रिसर्च से जुड़े हैं उन्हें फायदा होगा।
क्या होती है MSP?: मिनिमम सपोर्ट प्राइस यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य। केंद्र सरकार फसलों की एक न्यूनतम कीमत तय करती है, इसे ही MSP कहा जाता है। अगर बाजार में फसल की कीमत कम भी हो जाती है, तो भी सरकार किसान को MSP के हिसाब से ही फसल का भुगतान करेगी। इससे किसानों को अपनी फसल की तय कीमत के बारे में पता चल जाता है कि उसकी फसल के दाम कितने चल रहे हैं। ये एक तरह से फसल की कीमत की गारंटी होती है।