जानिए क्या है डिजिटल करेंसी और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी, ये कैसे काम करती है?

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Atul Tiwari
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जानिए क्या है डिजिटल करेंसी और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी, ये कैसे काम करती है?

केंद्र सरकार के नए बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने देश में डिजिटल करेंसी लाने का ऐलान किया है। ये डिजिटल करेंसी (digital currency) ब्लॉकचेन (Blockchain) तकनीक पर आधारित होगी। आइए आपको बताते हैं ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (blockchain technology) के बारे में वो सब जानकारी, जिसके जरिए डिजिटल (digital) करेंसी चलती है। 



यह दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला ब्लॉक (Block) और दूसरा चेन (Chain) यानी श्रृंखला। ब्लॉक का मतलब बहुत सारे डेटा ब्लॉक से है। इन ब्लॉक्स में क्रिप्टोकरेंसी यानी डेटा रखा जाता है और ये एक-दूसरे जुड़े होते हैं। डेटा की एक लंबी चेन बनती जाती है। जैसे ही नया डेटा आता है, उसे एक नए ब्लॉक में दर्ज किया जाता है। एक बार जब ब्लॉक डेटा से भर जाता है तो इसे पिछले ब्लॉक से जोड़ दिया जाता है। इसी तरह सभी  ब्लॉक्स एक-दूसरे जुड़े रहते हैं। 



क्या है डिजिटल या क्रिप्टोकरेंसी: आपने बिटकॉइन का नाम तो सुना ही होगा। यह एक तरह की क्रिप्टोकरेंसी है। क्रिप्टोकरेंसी यानी वर्चुअल करेंसी जो ब्लॉकचेन से चलती है। यह जानकर आप हैरान होंगे कि 2020 जहां देश-दुनिया के लिए मुसीबतों से भरा साल था तो वहीं दूसरी ओर बिटकॉइन ने इसी साल अपना ऑल टाइम हाई बनाया। बिटकॉइन की वैल्यू का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि 2010 में 1 Bitcoin की कीमत महज 0.06 अमेरिकी डॉलर (लगभग 2.85 रुपये) से भी कम थी, लेकिन अब एक Bitcoin की कीमत 30 लाख रुपये है। क्रिप्टोकरेंसी के एक्सपर्ट बताते हैं कि यह Blockchain की वजह से संभव हो पाया है, क्योंकि ब्लॉकचेन की वजह से ही ये इतना कीमती, सिक्योर और पॉपुलर है।  



क्या है ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी: क्रिप्टोकरेंसी एक्सपर्ट के मुताबिक, यह एक तरह की एक्सचेंज प्रोसेस है, जो कि डेटा ब्लॉक पर चलती है। प्रत्येक ब्लॉक एन्क्रिप्शन के द्वारा सुरक्षित होता है, क्योंकि यह ब्लॉक एक-दूसरे से इलेक्ट्रॉनिकली कनेक्ट रहते हैं। यह बहुत पुरानी तकनीक है। इसे सबसे पहले 1991 में स्टुअर्ट हबर और डब्ल्यू स्कॉट स्टोर्नेटो ने अपनाया था। इसका तकनीक का मुख्य उद्देश्य डिजिटल डॉक्यूमेंट्स को टाइमस्टैम्प करना था, ताकि इसके साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ न की जा सके। इसके बाद 2009 में जापान के सतोशी नाकामोतो ने ब्लॉकचेन तकनीक के जरिए बिटकॉइन का आविष्कार करके दुनिया में क्रांति ला दी।



कैसे बनती है ब्लॉकचेन: हर ब्लॉक में डेटा, हैश और पिछले ब्लॉक का हैश होता है। अब ये तीनों चीजें क्या हैं, ये भी जान लीजिए। बिटकॉइन  ब्लॉकचेन में जो डेटा रहता है, उसमें ट्रांजैक्शन की डिटेल्स होती हैं। सेंडर, रिसीवर और अकाउंट जैसी जानकारियां इसमें दर्ज रहती हैं। इन डाटा ब्लॉक्स में क्रिप्टोग्राफी टेक्नोलॉजी के जरिए डेटा को एनकोड किया जाता है और ये ब्लॉक एक-दूसरे जुड़कर लंबी चेन बनाते हैं। प्रत्येक ब्लॉक में उसके पिछले ब्लॉक का एक क्रिप्टोग्राफिक हैश, एक टाइमस्टैम्प और लेन-देन का डेटा होता है। हर एक ब्लॉक अपने अगले ब्लॉक से कनेक्टेड होता है। 



हैश क्या होता है: हैश को आप बायोमेट्रिक की तरह समझ सकते हैं जो हर किसी के लिए यूनीक होता है। यह एक तरह का कोड होता है। यह आपके थंब इम्प्रेशन की तरह यूनीक होता है। अगर ब्लॉक में किसी तरह का बदलाव हुआ तो ये हैश यानी कोड बदल देता है। सभी ब्लॉक्स एक दूसरे से वर्चुअली कनेक्टेड होते हैं। ये एक तरह से ऐसा सिस्टम है, जिसमें छेड़छाड़ की गुंजाइश नहीं है। अगर आप एक ब्लॉक का डेटा बदलेंगे तो फिर आपको दूसरे ब्लॉक का भी डेटा बदलना होगा।



हैश खोजने के बाद क्या होता है: जब कोई माइनर पुख्ता हैश खोजकर ब्लॉक सिक्योर कर देता है तो उसे ब्लॉकचेन से जोड़ दिया जाता है और नेटवर्क में दूसरे नोड (Compuers) के जरिए उसे वैरिफाई किया जाता है। इस प्रक्रिया को आम सहमति (consensus) कहा जाता है।



आम सहमति यानी ब्लॉक के सिक्योर होने की पुष्टि: अगर सहमति (Consesus) हो गया तो समझिए ब्लॉक के सिक्योर होने की पुष्टि हो गई। वह सही पाया जाता है तो उसे सिक्योर करने वाले माइनर को क्रिप्टोक्वॉइन (cryptocoin) दे दिए जाते हैं। यह एक रिवार्ड है, जिसे काम का सबूत माना जाता है।



क्या इसे हैक या टैंपर किया जा सकता है: ब्लॉकचेन का इस्तेमाल सिर्फ Bitcoin जैसी करेंसी में ही नहीं, बल्कि कई और भी सेक्टर्स में हो सकता है। ये एक सिक्योर, सेफ और डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी है, जिसे हैक या टैंपर करना लगभग नामुमकिन है, लेकिन हैकर्स कुछ भी कर सकते हैं।



बिटकॉइन और ब्लॉकचेन में क्या अंतर: ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और बिटकॉइन दोनों में जमीन-आसमान का अंतर है। यानी दोनों पूरी तरह से अलग हैं। दरअसल, ब्लॉकचेन एक टेक्नोलॉजी, एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां न सिर्फ डिजिटल करेंसी बल्की किसी भी चीज को डिजिटल बनाकर उसका रिकॉर्ड रखा जा सकता है यानी ब्लॉकचेन एक डिजिटल लेजर हैं। वहीं Bitcoin एक डिजिटल माध्यम है, जिसके जरिए कुछ चीजें बेची और खरीदी जा सकती हैं। हालांकि, इसे करेंसी कहना गलत है क्योंकि इसकी असल दुनिया में कोई वैल्यू नहीं होती। बिटकॉइन, क्रिप्टोकरेंसी का सिर्फ एक प्रकार है। जबकि अन्य क्रिप्टोकरेंसी नेटवर्क भी ब्लॉकचेन तकनीक द्वारा संचालित होते हैं।


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