RBI के 2000 के नोट वापस लेने के फैसले से आखिर भारतीय अर्थव्यवस्था को होगा कितना नुकसान! जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

author-image
The Sootr
एडिट
New Update
RBI के 2000 के नोट वापस लेने के फैसले से आखिर भारतीय अर्थव्यवस्था को होगा कितना नुकसान! जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

NEW DELHI. 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टीवी पर आए और एकाएक ऐलान किया कि 500 और 1000 के नोट लीगल टैंडर नहीं रहेंगे। इसके बदले में 500 के नए नोट और 2000 का नोट लाया गया। संकट से पार पाने हवाई जहाज तक से करेंसी भेजी गई। लोग लाइनों में लगे रहे। सरकार ने अपने फैसले को कपड़ों की तरह बार-बार बदला। समय के साथ चीजें सामान्य हो गई। लेकिन एक बार फिर 19 मई को रिजर्व बैंक ने एक बड़ा फैसला लिया और दो हजार का नोट चलन से वापस लेने का ऐलान कर दिया। इसका मतलब है कि अब 2000 रुपये के नोट की छपाई भी नहीं होगी और कोई भी बैंक आपको यह नोट नहीं देगा। हालांकि इस फैसले का मतलब नोटबंदी नहीं है लेकिन इसे नोटबंदी के तौर पर ही देखा जा रहा है। सरकार पर विपक्षी दलों ने जमकर हमला बोला। आम जनता को इस फैसले से कोई खास फर्क पड़ते दिखाई नहीं दे रहा है। लेकिन जो  2000 हजार का नोट बाजार से एकदम गायब था अब वो दिखने लगा है, क्योंकि हर कोई 30 सिंतबर से पहले इस नोट को अपने पास से हटा देना चाहता है। क्योंकि आरबीआई ने ऐलान किया है कि 23 मई से लेकर 30 सितंबर तक 2 हजार रुपये के नोटों को खातों में जमा कराएं जा सकेंगे या बैंकों में जाकर बदले जा सकेंगे। RBI के इस फैसले को एक्सपर्ट किस तरह से देखते हैं आईए आपका बताते हैं।



ये भी पढ़ें...



आप भारत के 1% अमीरों में शामिल होना चाहते हैं! इसके लिए बस इतनी इंडिविजुल इनकम चाहिए, जानें किस देश में सबसे ज्यादा सुपर रिच



जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट...




  • रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्लेषकों और अर्थशास्त्रियों ने कहा कि 'सरकार और RBI ने इस कदम को उठाने का सही कारण तो अब तक नहीं बताया, लेकिन आने वाले समय में विधानसभा और लोकसभा चुनावों पर इसका सीधा असर पड़ने वाला है। क्योंकि चुनाव के दौरान जनता को लुभाने और प्रचार में आमतौर पर नकदी का उपयोग बढ़ जाता है। इस लिहाज से ये निर्णय बुद्धिमानी भरा फैसला है, जिससे की इन चीजों पर ब्रेक लग सके। 


  • L&T फाइनेंस होल्डिंग्स समूह के मुख्य अर्थशास्त्री ने रॉयटर्स को बताया कि '2000 रुपये का नोट वापस लिए जाना 'बहुत बड़ी घटना' नहीं है और इससे अर्थव्यवस्था या मौद्रिक नीति पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा। क्योंकि पिछले 6-7 सालों में देश में डिजिटल लेन-देन और ई-कॉमर्स का दायरा काफी बढ़ गया है। इसलिए इसका सीधा असर हमारी अर्थवयवस्था पर पड़ता नजर नहीं आ रहा है।"

  • क्वांटिको रिसर्च की एक अर्थशास्त्री युविका सिंघल ने मिंट को बताया को बताया कि इस फैसले का असर कृषि और निर्माण जैसे छोटे व्यवसायों पर पड़ सकता है। इसके अलावा वैसे इलाके जहां आज भी डिजिटल ट्रांजेक्शन के मुकाबले ज्यादा लोग नकदी का इस्तेमाल करते हैं उन्हें असुविधा का सामना करना पड़ सकता है। 

  • अर्थशास्त्र के प्रोफेसर वरुण सिंह ने एक न्यूज चैनल को बताया कि 2000 रुपये का नोट वापस लेने के फैसले के बाद रियल एस्टेट और सोने जैसी महंगी चीजों की मांग बढ़ने लगेगी। लोग अपने 2000 के नोट को गहनों और जमीन में इन्वेस्ट करना चाहेंगे। इसके अलावा छोटे नोटों की मांग भी बढ़ जाएगी। ऐसा ही कुछ साल 2016 में हुई नोटबंदी के बाद भी देखा गया था।



  • जानिए बाजार पर क्या पड़ेगा असर



    'द हिंदू' अखबार के रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल भारत में 3.7 लाख करोड़ रुपये के मूल्य के 2000 रुपये के नोट मौजूद हैं। अगर उसका एक तिहाई नोट भी बैंकों के पास वापस जाता है तो बाजार में नकदी बढ़कर 40 हजार करोड़ रुपये से लेकर 1.1 लाख करोड़ रुपये के बीच पहुंच सकती है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि अघोषित आय पर टैक्स बचाने के लिए जिन लोगों ने 2000 रुपये के नोटों को जमा कर के रखा था, उन्हें अब गहने खरीदने और रियल एस्टेट सेक्टर में लगा दिया जाएगा।



    2019 से छपना बंद है 2000 का नोट



    RBI की मानें तो 2000 रुपये के नोट को 2019 के बाद से ही छापना बंद कर दिए गए थे. इसी कारण 2023 मार्च तक बाजार में 2000 रुपये का नोट सिर्फ 10.8 फीसदी रह गया है। ऐसे में अगर RBI ने यह फैसला नहीं भी लिया होता तो कुछ सालों में यह नोट बाजार में दिखना स्वत: बंद हो जाता। वर्तमान में भारत में 31 लाख 33 हजार करोड़ रुपये की करेंसी सर्कुलेशन में हैं। इनमें 3 लाख 13 हजार करोड़ रुपये की 2 हजार रुपये की करेंसी चलन में है। RBI के अनुसार मार्च 2017 से पहले ही 2000 रुपये के लगभग 89 प्रतिशत नोट जारी कर दिए गए थे। साल 2018 के मार्च महीने में 6.73 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 2,000 रुपये के नोट चलन में थे, लेकिन साल 2023 के मार्च महीने तक इनकी संख्या घटकर 3.62 लाख करोड़ रुपये रह गई। इसी तरह वर्तमान में मौजूद कुल नोट का सिर्फ 10.8 प्रतिशत ही 2,000 रुपये के नोट रह गए हैं जो मार्च, 2018 में 37.3 प्रतिशत थे।



    जानिए क्या है क्लीन नोट पॉलिसी



    2016 में नोटबंदी के बाद केंद्र ने 2000 रुपये के नए नोट की छपाई शुरू की थी। ये नोट आईबीआई एक्ट की धारा 24(1) के तहत आरबीआई द्वारा जारी किए गए थे। 19 मई को 2000 रुपये के नोट के चलन को बंद करने के फैसला के बाद आरबीआई ने अपने बयान में कहा है कि ये फैसला नोटबंदी के बाद पैदा हुई जरूरतों को पूरा करने के लिए किया गया था। आरबीआई ने कहा, "ये उद्देश्य बाजार में अन्य नोट पर्याप्त मात्रा में आ जाने के बाद पूरा हो गया और इसलिए साल 2018-19 में दो हजार रुपये के नोट छापने बंद कर दिए गए थे।" रिज़र्व बैंक ने दो हजार रुपये के नोटों को वापस लेते हुए कहा है कि ये बैंक की क्लीन नोट पॉलिसी के तहत किया जा रहा है। क्लीन नोट पॉलिसी ये सुनिश्चित करता है कि लोगों के बीच अच्छे क्वालिटी के बैंक नोट पहुंचे। इस पॉलिसी का उद्देश्य करेंसी के डैमेज, नकली और गंदे नोटों को हटाकर भारतीय मुद्रा की अखंडता को बनाए रखना है। यह पॉलिसी डैमेज नोटों को बैंक और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट सर्कुलेशन से बाहर करता है। इस पॉलिसी के तहत पुराने नोटों को नए नोटों के साथ बदलना होता है। आरबीआई की इस नीति के तहत सर्कुलेशन में नोटों की क्वालिटी को मॉनिटर किया जाता है।



    कांग्रेस समेत विपक्ष के नेताओं ने साधा निशाना



    कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, 'आरबीआई और तथाकथित स्वयंसेवी विश्वगुरु, पहले करते हैं फिर सोचते हैं। 8 नवंबर 2016 को तुगलकी फरमान के बाद इतने शोर शराबे से पेश किए गए 2000 रुपये के नोट अब वापस लिए जा रहे हैं।




    — Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) May 21, 2023




    — Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) May 19, 2023



    वहीं अलका लांबा ने इस फैसले पर कहा, 'इस मामले में जांच होती है तो नोटबंदी इस सदी का सबसे बड़ा घोटाला साबित होगा। काले धन पर हमले के नाम पर 1000 रुपये का नोट बंद कर 2000 रुपये का नोट जारी कर प्रधानमंत्री मोदी ने मात्र अपने भगोड़े पूंजीपति मित्रों का ही काम आसान किया।



    AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा पीएम ने नोटबंदी कर नए नोट शुरू करने का चलन शुरू किया था। जब उन्होंने ऐसा किया था तो लोगों की जान चली गई थी, व्यवसाय चौपट हो गए थे। मुझे आशा है कि यह फैसला विशेषज्ञों की सिफारिश पर लिया गया है।



    दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सरकार पहले कहती थी कि 2000 का नोट लाने से भ्रष्टाचार बंद होगा। अब बोल रहे हैं 2000 का नोट बंद करने से भ्रष्टाचार खत्म होगा। इसीलिए हम कहते हैं, PM पढ़ा लिखा होना चाहिए, एक अनपढ़ पीएम को कोई कुछ भी बोल जाता है।




    — Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) May 19, 2023



    आखिर क्यों मोदी सरकार को करना पड़ी थी नोटबंदी



    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8  नवंबर 2016 को नोटबंदी को ऐलान किया था। उस समय 500-1000 के नोट को चलन से बाहर कर दिया गया था। सरकार ने बताया कि इस फैसले को भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए लिया गया है। बाद में मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में भी हलफनामा दाखिल कर नोटबंदी का कारण बताया। साल 2022 के नवंबर महीने में सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने बताया कि नोटबंदी को गलत निर्णय नहीं कहा जा सकता है। केंद्र ने कहा कि प्रधानमंत्री ने आरबीआई के सुझाव पर ही इसकी घोषणा की थी। नोटबंदी की तैयारी 6 महीने पहले से आरबीआई कर रही थी। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दिए हलफनामे में कहा- नोटबंदी करना फेक करेंसी, टेरर फंडिंग, काले धन और टैक्स चोरी की समस्याओं से निपटने की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा और एक प्रभावी उपाय था।


    Modi government मोदी सरकार Reserve Bank of India भारतीय रिजर्व बैंक नोटबंदी 2.0 Demonetisation 2.0 Rs 2000 notes banned Indian Economy दो हजार के नोट बंद भारतीय अर्थव्यवस्था