BHOPAL. कोई बैंक अपने 90 लाख रुपए के किसी कर्जदार की मौत के बाद लोन के दस्तावेजों में हेरफेर कर किसी गवाह को मूल कर्जदार बताकर 01 करोड़ 10 लाख रुपए का रिकवरी नोटिस जारी करे, वह भी तब लोन की अदायगी में 70 लाख 68 हजार रुपए बैंक को लौटाए जा चुके हो तो इसे आप क्या कहेंगे ? धोखाधड़ी..फर्जीवाड़ा। जी हां, रतलाम के एक रिटायर्ड बैंक कर्मचारी का परिवार एक प्राइवेट बैंक के ऐसे ही बड़े फ्रॉड का शिकार हुआ है। सपनों को पूरा करने और जिंदगी को हर कदम पर बदलने (Fulfilling dreams and changing lives at every step) की टैग लाइन वाले इस बैंक का नाम है एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक (AU Small Finance Bank)। बता दें कि 2017 में वजूद में आया ये वही बैंक है जिसकी असामान्य ग्रोथ को लेकर पिछले साल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) भी चिंता जताते हुए बैंक के डायरेक्टर्स को अपनी सिस्टम-प्रोसेस में सुधार करने की नसीहत दे चुका है।
आरोप 1- एयू बैंक ने शांति देवी के नाम से बीमा पॉलिसी ही नहीं करवाई
आइए आपको बताते हैं कि एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक (AU Small Finance Bank) की रतलाम ब्रांच के कारनामों ने कैसे एक रिटायर्ड बैंक कर्मचारी मधुसूदन त्रिवेदी और उसके परिवार की जिंदगी बदल कर रख दी है। त्रिवेदी बैंक के मैनेजमेंट के खिलाफ पुलिस अधीक्षक रतलाम से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) तक लिखित शिकायत कर चुके हैं और जिला उपभोक्ता फोरम में भी लड़ाई लड़ रहे हैं। पीड़ित मधुसूदन त्रिवेदी ने इसी साल 15 मार्च को रतलाम के स्टेशन रोड थाने और 25 अप्रैल को एसपी ऑफिस में दर्ज शिकायत में आरोप लगाया है कि एयू स्माल फाइनेंस बैंक की दो बत्ती स्थित ब्रांच ने उनकी मौसी शांतिदेवी उपाध्याय की फर्म शिवांश इंटरप्राइजेज के नाम से मंजूर 90 लाख 68 हजार रुपए के लोन की बीमा पॉलिसी नहीं करवाई। जबकि बैंक ने इसके लिए उनके लोन अकाउंट से बाकायदा 50 हजार रुपए की राशि निकाली। बता दें कि जब कोई व्यक्ति किसी बैंक से बड़ा कर्ज लेता है तो बैंक बकायदा उसका लाइफ इंश्योरेंस करवाता है। बीमा पालिसी के जरिए बैंक अपना लोन सुरक्षित करता है।
फरवरी 2017 में लिया 90 लाख 68 हजार का लोन
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से रिटायर मधुसूदन त्रिवेदी ने द सूत्र को बताया कि उनकी मौसी शांति देवी पति मोहन लाल उपाध्याय ने अपनी फर्म शिवांश इंटरप्राइजेज के नाम से एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक की दो बत्ती रतलाम ब्रांच से 90 लाख 68 हजार रुपए का लोन लिया था। बैंक में 28 जनवरी 2017 को दिए गए लोन के आवेदन में मधुसूदन त्रिवेदी गारंटर और उनकी पत्नी अंजलि त्रिवेदी और बेटे शिवांश ने गवाह के रूप में साइन किए। इलेक्ट्रिक जनरेटर का कारोबार करने वाली फर्म शिवांश इंटरप्राइजेज की स्थापना 1 सितंबर 2004 को हुई थी और शांति देवी उपाध्याय इस फर्म की सिंगल प्रोपराइटर थीं। ओयू बैंक से लोन जनरेटर के कारोबार के विस्तार के लिए लिया गया था। बैंक ने यह लोन 11 फरवरी 2017 को शिवांश इंटरप्राइजेज के नाम पर स्वीकृत किया और इसकी प्रोपाइटर शांति देवी के लाइफ इंश्योरेंस की पॉलिसी के लिए सिंगल प्रीमियम राशि ₹50 हजार 809 फार्म के लोन अकाउंट से डेबिट कर ली। बाकी राशि 20 फरवरी 2017 को भारतीय स्टेट बैंक रतलाम की एसएमई ब्रांच में शांति देवी उपाध्याय के खाता क्रमांक 3234 742 670 8891005 रुपए जमा कराई। एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक की रतलाम शाखा में लोन अकाउंट क्रमांक 9001120010097 44 50 खोला गया था।
आरोप 2- शांति देवी की मृत्यु के बाद भी बैंक ने नहीं दी बीमा पॉलिसी
पीड़ित मधुसूदन त्रिवेदी के अनुसार 05 मार्च 2017 को शांति देवी का अचानक निधन हो गया। शांति देवी के निधन के बाद 10 अप्रैल 2017 को उनकी वसीयत और उनका मृत्यु प्रमाण पत्र एयू बैंक की रतलाम ब्रांच में दिया गया। इसके साथ शांति देवी के नाम से मंजूर लोन की राशि की सिक्योरिटी के लिए बैंक से कराई गई बीमा पॉलिसी का क्लेम सेटल कर लोन की बकाया राशि अकाउंट में जमा कराने का आग्रह किया गया। इस पर एयू बैंक के एरिया मैनेजर मैनेजर विशाल चतुर्वेदी ने बीमा पॉलिसी रतलाम शाखा में उपलब्ध नहीं होने की जानकारी दी। उन्होंने लोन के गवाह शिवांश त्रिवेदी को बताया कि शांति देवी के नाम की बीमा पॉलिसी बैंक हेड ऑफिस जयपुर से मिलते ही इसकी सूचना उन्हें दे दी जाएगी। इसके बाद कई बार एयू बैंक की रतलाम शाखा में शांति देवी के नाम की बीमा पॉलिसी देने और क्लेम का सेटलमेंट के कई आग्रह के बाद भी एरिया मैनेजर ने बीमा पॉलिसी जयपुर से नहीं आने की बात कही।
आरोप 3- बैंक लोन की किस्तें जमा करवाता रहा
उन्होंने कहा कि जब तक बीमा पॉलिसी नहीं आती तब तक लोन की राशि का डिफॉल्ट नहीं हो इसलिए शिवांश को लोन की मंथली इंस्टालमेंट (1 लाख 14 हजार रुपए) नियमित रूप से जमा करने की सलाह दी। मैनेजर ने भरोका दिलाया कि बीमा राशि मिलने पर आपके द्वारा जमा कराई जाने वाली राशि वापस कर दी जाएगी। इस भरोसे पर शांति देवी के लोन अकाउंट में 70 लाख 68 हजार 181 रुपए 05 मई 2022 तक गारंटर मधुसूदन त्रिवेदी द्वारा जमा कराए गए लेकिन एयू बैंक रतलाम ब्रांच ने शांति देवी के लोन अकाउंट की बीमा पॉलिसी के अनुसार राशि जमा नहीं की और आवेदक को शांति देवी के लोन अकाउंट में राशि जमा कराने के लिए दबाव बनाया जाता रहा। लेकिन बीमा पॉलिसी मांगे जाने की बात पर बैंक मैनेजमेंट टालमटोल करता रहा। इस बीच बैंक ने अचानक सरफेसी एक्ट के तहत 27 अप्रैल 2022 को 94 लाख 53 हजार 525 रुपए का डिमांड लेटर फर्म की मृत प्रोपराइटर शांति देवी उनके गारंटर मधुसूदन त्रिवेदी एवं गवाह अंजलि त्रिवेदी (पत्नी) और शिवांश त्रिवेदी (पुत्र) के नाम जारी कर दिया।
आरोप 4 - पीएमओ में शिकायत की तो शिवांश के नाम की बीमा पॉलिसी थमाई
- एयू स्मॉल बैंक द्वारा शांति देवी के इंश्योरेंस की राशि नहीं दिए जाने पर लोन के गारंटर मधुसूदन त्रिवेदी ने 22 मई 2022 को प्रधानमंत्री कार्यालय में शिकायत की।
आरोप 5- शांतिदेवी के मृत्यु के बाद बनवाई गई बीमा पॉलिसी
कंज्यूमर फोरम में त्रिवेदी के आवेदन पर एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक ने अपने बचाव में 18 जनवरी 2023 को शिवांश के नाम पर हेल्थ डिक्लेरेशन का फॉर्म प्रस्तुत किया। लेकिन इस पर शिवांश के असली हस्ताक्षर नहीं होकर फर्जी हस्ताक्षर कर किए गए थे। एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक रतलाम ने 11 फरवरी 2017 से प्रभावी दर्शाकर बजाज आलियांज इंश्योरेंस की जो बीमा पालिसी 8 जून 2022 को जारी की गई उसमें डिजिटल सिग्नेचर 8 जून 2022 को रात 9. 52 बजे के हैं। पॉलिसी पर व्यक्ति के हस्ताक्षर हैं उसकी बीमा कंपनी में नियुक्ति भी अप्रैल 2022 में हुई। यह बीमा पॉलिसी जिस ब्रोकरेज फर्म वेलोसिटी इंश्योरेंस ब्रोकिंग सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड जयपुर (डायरेक्टर अभिषेक तिवारी) के माध्यम से हुई, उसका आईआरडीए कार्यालय में रजिस्ट्रेशन 21 मई 2021 को हुआ है। यानी ये बीमा पॉलिसी शांतिदेवी की मृत्यु होने के बाद बनवाई गई।
आरोप 6- फर्जी साइन कर शिवांश के नाम जारी की बीमा पॉलिसी
पीड़ित मदुसूदन त्रिवेदी के मुताबिक इन्कम टैक्स रिटर्न के अनुसार लोन लेने की पात्रता सिर्फ फर्म की प्रोपराइटर शांति देवी उपाध्याय को ही थी। उनकी आयकर रिटर्न के आधार पर ही एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक की रतलाम शाखा ने लोन स्वीकृत किया था। इसीलिए उसमें शिवांश त्रिवेदी और उनकी मां सह कर्जदार ( कोएप्लीकेंट) नहीं हो सकते थे। आरबीआई के नियमों के अनुसार लोन फर्म के नाम से मंजूर होने पर किसी सहआवेदक के नाम पर लोन दिया भी नहीं जा सकता था। बड़ा सवाल यह है कि बैंक ने लोन शिवांश इंटरप्राइजेज की प्रोपराइटर शांति देवी के नाम पर मंजूर किया। यह जानते हुए कि उक्त फर्म में 28 जनवरी 2017 से 11 फरवरी 2017 में शिवांश त्रिवेदी मालिक नहीं है, इसके बावजूद शांति देवी के नाम की बीमा पॉलिसी नहीं बनाई गई। उनकी मृत्यु की जानकारी देने के करीब 5 साल 3 महीने बाद फर्जी हेल्थ डिक्लेरेशन फॉर्म शिवांश त्रिवेदी के नाम पर बनाकर उस पर उनके (शिवांश) के फर्जी हस्ताक्षर किए गए। ये जालसाजी इंदौर के फोरेंसिक साइंस एक्सपर्ट राजेंद्र गौर की जांच रिपोर्ट में भी साबित हुई। दरअसल बीमा पॉलिसी 11 फरवरी 2017 को नहीं बनाकर 8 जून 2022 को डिजिटल हस्ताक्षर से जारी की गई।बीमा पालिसी जिस ब्रोकर एजेंसी (वेलोसिटी इंश्योरेंस ब्रोकिंग सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड जयपुर) से माध्यम से बनना बताई गई वो हकीकत में 11 फरवरी 2017 को अस्तित्व में ही नहीं थी। पुलिस और कंज्यूमर फोरम में की गई शिकायत में मधुसूदन त्रिवेदी ने आरोप लगाया है कि ब्रोकिंग एजेंसी और बैंक के डायरेक्टर ने आपस में मिलीभगत से फर्जीवाड़ा कर शिवांस त्रिवेदी के नाम से अवैध रूप से बीमा पॉलिसी जारी कराई है।
आरोप 7- शांति देवी के बजाय अंजलि त्रिवेदी को बताया प्रोपराइटर
एयू बैंक के खिलाफ पीड़ित त्रिवेदी का सातवां आरोप यह है कि लोन के कागजात में शिवांश की मां यानी अंजलि त्रिवेदी को 28 जनवरी 2017 की तारीख में फर्म शिवांश इंटरप्राइजेज का प्रोपराइटर बताया है। इन कागजात में किए गए हस्ताक्षर के नीचे फर्म की फर्जी सील लगाई गई है जो कि बैंक में लोन के आवेदन- दिनांक 28 जनवरी 2017- में लगाई गई फर्म की सील से अलग है जिस पर अन्य किसी के हस्ताक्षर नहीं है। मधुसूदन त्रिवेदी से गारंटर के रूप में हस्ताक्षर का बोलकर उनके नाम पर भी लोन एप्लीकेशन का फर्जी फॉर्म तैयार किया गया जबकि लोन के लिए मॉर्गेज डीड का पंजीयन 14 फरवरी 2017 को कराया गया। अंजलि त्रिवेदी हाउस वाइफ हैं और उनका फर्म से कोई लेना-देना नहीं है। 28 जनवरी 2017 को बैंक में लोन फार्म के आवेदन में आवेदक के कॉलम में सिर्फ शांति देवी के ही हस्ताक्षर हैं।
आरोप 8- लोन की वसूली के लिए गवाह शिवांश को बना दिया मूल कर्जदार
पीड़ित त्रिवेदी का आरोप है कि बैंक द्वारा फोरम में पेश किए गए 03 फरवरी 207 के डिक्लेरेशन आफ गुड हेल्थ मेंबरशिप फॉर्म में शिवांश त्रिवेदी का कद और वजन दोनों ही गलत लिखे हैं। इस फार्म पर उसके फर्जी हस्ताक्षर किए गए हैं। बैंक, बीमा ब्रोकरेज फर्म और बीमा कंपनी ने यह आपराधिक षड़यंत्र शांति देवी की मृत्यु के बाद अवैध धन हासिल करने के लिए किया है। जिससे शांति देवी की मृत्यु के बाद लोन की राशि शिवांश त्रिवेदी और उनके माता-पिता से वसूल की जा सके। इसके लिए बैंक के कर्मचारियों और अधिकारियों ने लोन के आवदेन के समय कई खाली फार्म पर कराए गए हस्ताक्षर का भी दुरुपयोग किया है। दरअसल जब भी कोई किसी बैंक से लोन लेता हैं तो बैंककर्मी आपसे कई सारे दस्तावेजों पर साइन करवाते हैं। यदि इन दस्तावेजों को ठीक तरीके से पढ़ा नहीं जाता तो कोई भी रतलाम के ब्राह्मणों का वास निवासी त्रिवेदी परिवार की तरह मुश्किल में फंस सकता है। हालांकि इस बारे में आरबीआई भी समय समय पर जनजागरूकता के लिए गाइडलाइन जारी करता रहता है।
पुलिस में शिकायत धोखाधड़ी की, लेकिन जांच पॉलिसी गायब होने की
मधुसूदन त्रिवेदी और उनके बेटे शिवांश अपने साथ हुई धोखाधड़ी की शिकायत सबसे पहले रतलाम के स्टेशन रोड थाने में इसी साल 23 मार्च को कराई थी। उन्हें उम्मीद थी कि पुलिस इस मामले में एयू बैंक और बीमा कंपनी के दस्तावेजों की पड़ताल कर संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ कर हकीकत उजागर करेगी। लेकिन थाना में उनके आवदेन पर कोई हलचल होती न देख उन्होंने 25 अप्रैल को एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा से उनके आफिस में मुलाकात कर जांच के लिए आवेदन सौंपा। एसपी ने जांच का भरोसा दिलाया लेकिन हुआ कुछ नहीं। द सूत्र संवाददाता में जब इस बारे में एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा से जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने इसके लिए स्टेशन रोड थाना प्रभारी किशोर पाटनवाल से संपर्क करने को कहा। थाने में टीआई पाटनवाल से शिवांश त्रिवेदी के आवेदन पर डेढ़ महीने में की गई कार्यवाही के बारे में सवाल करने पर उन्होंने नपा-तुला जवाब दिया कि हमें शिवांश त्रिवेदी का आवेदन मिला है। इसमें उन्होंने अपनी दादी (शांतिदेवी उपाध्याय) के नाम से जारी बीमा पॉलिसी गुम होने की शिकायत की है। इसमें मामले में जांच की जा रही है।
ग्राहक कोर्ट का फैसला आने तक इंतजार करेंः एयू बैंक
एयू बैंक खिलाफ मधुसूदन और शिवांश त्रिवेदी की शिकायत और आरोपों के बारे में द सूत्र ने बैंक के जयपुर स्थित हेडक्वार्टर पर संपर्क किया। बैंक के कार्पोरेट कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट ने इसे एक ग्राहक और बैंक के बीच साधारण विवाद बताया है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि संबंधित ग्राहक को नियामक ( रेगुलेटर) का गाइडलाइंस के अनुसार ही लोन दिया गया है। लोन एग्रीमेंट के नियमों और शर्तों पर सभी पक्षों के हस्ताक्षर के आधार पर ही नोटिस जारी किया गया है। चूंकि हम एक बैंक के रूप में हम किसी व्यक्तिगत ग्राहक से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक नहीं कर सकते हैं, इसलिए हम संबंधित ग्राहकों से अनुरोध करते हैं कि वे इस मामले में कोर्ट का फैसला आने तक इंतजार करें। यह मामला अभी कोर्ट के विचाराधीन है।
(रतलाम से रिपोर्टर आमीन हुसैन का इनपुट)