NEW DELHI. मोदी सरकार जल्द ही देश में उत्पादित प्राकृतिक गैस के मूल्य की सीमा तय करने पर विचार करेगी, सरकार के इस कदम का लक्ष्य सीएनजी से लेकर उर्वरक कंपनियों के लिए उत्पादन की लागत को कम करना है। आपको बता दें कि सरकार एक साल में दो बार प्राकृतिक गैस की कीमतें तय करती है- जिसे वाहनों में उपयोग के लिए सीएनजी में और रसोई में इस्तेमाल के लिए पाइप वाली गैस (पीएनजी) में बदला जाता है।
वैश्विक स्तर पर कीमतों में उछाल
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद वैश्विक स्तर पर ऊर्जा की कीमतों में उछाल ने स्थानीय रूप से उत्पादित गैस की दरों को रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा दिया है। जिसके कारण गैस की कीमतों में उछाल लगातार आ रहा है। कई बार गैस की कीमतों में इजाफा हुआ है।
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10.7 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू तक पहुंच सकती हैं कीमतें
सूत्रों के अनुसार, पुराने क्षेत्रों से गैस की कीमतें बढ़कर 10.7 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू तक पहुंच सकती हैं। मुश्किल क्षेत्र की गैस के दाम में मामूली बदलाव होगा, गैस कीमतों में पिछले संशोधन के बाद सीएनजी और पीएनजी के दाम 70 फीसदी तक चढ़ चुके हैं। अगर एक अप्रैल से दरों में संशोधन होता है तो इसमें और बढ़ोतरी होगी।
बीते साल बनी थी समिति
सूत्रों के अनुसार, सरकार ने पिछले साल किरीट पारिख की अध्यक्षता में गैस की कीमतों में संशोधन पर एक समिति का गठन किया था। जो स्थानीय उपभोक्ता और उत्पादक दोनों हितों को संतुलित करती है और साथ ही देश को गैस आधारित अर्थव्यवस्था बनने के उद्देश्य को आगे बढ़ाती है। समिति ने अपनी सिफारिशों में पुराने क्षेत्रों से निश्चित अवधि के लिए गैस के दाम में बदलाव मौजूदा ब्रेंट कच्चे तेल के दाम का 10 फीसदी करने को कहा है।
तेजी से बढ़ी कीमतें
सीएनजी की कीमतें मार्च 2022 से अब तक 22.60 रुपये प्रति किलो के करीब बढ़ चुकी हैं। अप्रैल 2021 से सीएनजी की कीमतें 35.21 रुपये प्रति किलो यानी 80 प्रतिशत के करीब बढ़ चुकी है। जनवरी 2022 में सीएनजी की कीमत 54.31 रुपये प्रति किलो थी। इसी तरह घरेलू पीएनजी की कीमतों में अगस्त 2021 से अब तक 10वीं बार कीमतों में इजाफा किया गया है। इस दौरान पीएनजी की कीमतों में करीब 29.93 रुपये प्रति एसससीएम का इजाफा हो चुका है। यानी कीमतें करीब 91 प्रतिशत तक बढ़ी हैं।