अमेरिकी विदेश मंत्रालय और यूरोपीय यूनियन रूसी हीरों पर कड़े प्रतिबंध लगाने की तैयारी में, भारत में कारोबारियों को किया अलर्ट 

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The Sootr
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अमेरिकी विदेश मंत्रालय और यूरोपीय यूनियन रूसी हीरों पर कड़े प्रतिबंध लगाने की तैयारी में, भारत में कारोबारियों को किया अलर्ट 

NEW DELHI. अमेरिकी विदेश मंत्रालय और यूरोपीय यूनियन रूसी हीरों पर कड़े प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है। इसका असर भारत में भी हीरा के व्यापारियों पर भी पड़ेगा। क्योंकि भारत में डायमंड पॉलिश का एक बड़ा और प्रमुख बाजार है। दुनिया के लगभग 90 प्रतिशत हीरों की कटिंग और पॉलिशिंग यहीं में होती है।अंग्रेजी अखबार ET की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक सप्ताह पहले अमेरिकी विदेश मंत्रालय और यूरोपीय यूनियन के अधिकारियों ने मुंबई के प्रमुख हीरा कारोबारियों और ज्वैलर्स को अलर्ट किया है कि रूसी हीरों पर कड़े प्रतिबंध लगाने की तैयारी चल रही है। 





भारत को रूस से व्यापार करने की मिल सकती है सजा 





दरअसल, अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों की ओर से लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध के बावजूद रूस से भारी-भरकम व्यापार कर रहे भारत को अमेरिका और यूरोपीय यूनियन झटका देने की तैयारी में है। अमेरिका और पश्चिमी देश पहले ही रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगा चुके हैं। हालांकि, इसके बावजूद भी भारत रूस से भारी मात्रा में रियायती कीमतों पर तेल खरीद रहा है। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका और रूस की बीच की लड़ाई में भारत फंस गया है। 





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सूरत के कारखानों में रूसी होरी की होती है पॉलिश





रूस अभी अपने कच्चे हीरों को पॉलिश के लिए सूरत के कारखानों में भेजता है। यहां से पॉलिश होकर न्यूयार्क, पेरिस और टोक्यो के लग्जरी स्टोर डीलरों को सप्लाई किया जाता है। प्रतिबंध के बाद इस पर ग्रहण लग जाएगा। वर्तमान में बिना पॉलिश किए हुए हीरों को गुजरात के कारखानों में 4Cs (कलर, कैरेट, कट और क्लैरिटी) से गुजारा जाता है। इसके बाद देश की हीरा कंपनियां इस कटिंग और पॉलिशिंग हीरों को अमेरिका और अन्य जी-7 देशों को सप्लाई करती हैं। बिना पॉलिशिंग हीरे की पॉलिशिंग के बाद इसके हार्मोनाइज्ड सिस्टम (HS) कोड में बदलाव किया जाता है, जिससे क्रॉस-बॉर्डर ट्रेड के दौरान माल की पहचान की जा सके। 





भारत और रूस के बीच व्यापार में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज 





यूक्रेन युद्ध के बाद से ही भारत और रूस के बीच व्यापार में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले कुछ वर्षों से हीरा कंपनियां अपने आयात में विविधता लाने और अमेरिकी खनन कंपनी डीबियर्स पर निर्भरता कम करने के लिए रूसी खनन कंपनियों से कच्चा माल खरीद रही हैं। चूंकि, रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा हुआ है।  ऐसे में हीरा कंपनियां दुबई के जरिए रूसी हीरों को खरीदती हैं, क्योंकि यहां भुगतान प्रतिबंधित डॉलर के बजाय दिरहम में करना होता है।



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