NEW DELHI. देश में बोगस फर्मों के जरिए करीब 11 हजार करोड़ रुपए की टैक्स (GST) चोरी और इनपुट टैक्स क्रेडिट घोटाला पकड़े जाने के बाद केंद्र सरकार ने व्यावसायिक संस्थानों के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन की प्रोसेस सख्त कर दी है। इस बारे में फाइनेंस मिनिस्ट्री द्वारा 14 जून को जारी की गई जीएसटी रजिस्ट्रेशन की नई गाइडलाइन के अनुसार जीएसटी नंबर के आवेदन के साथ लगाए जाने वाले दस्तावेजों की बारीकी से जांच की जाएगी। फर्म के वेरिफिकेशन से जुड़े किसी भी दस्तावेज के बारे में शंका होने पर उसे संबंधित विभाग के क्रॉसचेक कराया जाएगा। शंका का समाधान नहीं होने पर व्यक्तिगत स्पष्टीकरण के लिए शोकॉज नोटिस जारी किया जाएगा। पहले इस संबंध में आधार वेरिफिकेशन आधारित प्रोसेस होने के कारण फिजिकल वेरिफिकेशन का प्रावधान नहीं था।
जीएसटी आवेदन की रिस्क रेटिंग करेगा DGARM
जीएसटी की चोरी रोकने और फर्जी बिलों के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लेने के मामलों पर लगाम लगाने के लिए देशभर में 16 मई से शुरू किए गए दस्तावेजों की जांच के अभियान में हजारों बोगस फर्म सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने जीएसटी रजिस्ट्रेशन हासिल करने की प्रक्रिया को सख्त करने का फैसला किया है। फर्मों के दस्तावेजों की जांच के अभियान में सैंकड़ों ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें दूसरे व्यक्तियों के पैन कार्ड (PAN) और आधार (AADHAR) नंबर का मिसयूज करते हुए फोटो तक बदल दी गई थी। इसमें कम पढ़े-लिखे और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को कुछ पैसों या सरकारी योजनाओं के लाभ का लालच देकर उनके मोबाइल नंबर भी बदलवा दिए गए। दस्तावेजों में हेरफेर के ऐसे मामलों पर लगाम लगाने के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन की नई गाइडलाइन में यह तय किया गया है कि जीएसटी नंबर के आवेदन की प्रोसेसिंग से पहले डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ एनैलिटिक्स एंड रिस्क मैनेजमेंट (डीजीएआरएम) उसकी रिस्क रेटिंग करेगी। ये रेटिंग हाई, मीडियम और लो कैटेगरी के तहत की जाएगी। इसी रेटिंग के आधार पर जीएसटी आफिसर आवेदन की बारीकी से जांच करने के बाद ही आगे की प्रक्रिया शुरू करेगा।
दस्तावेजों का वेरिफिकेशन भी कराया जाएगा
जीएसटी रजिस्ट्रेशन की नई गाइडलाइन के अनुसार अब जीएसटी की वेबसाइट पर आवेदन के साथ अटैच किए जाने वाले दस्तावेजों (फर्म के पते, जमीन की रजिस्ट्री, प्रॉपर्टी टैक्स रसीद, आधार, पैन, बिजली बिल, बैंक खाते) की बेहद बारीकी से जांच की जाएगी। संबंधित सभी दस्तावेज और उन पर लिखी गई जानकारी बहुत स्पष्ट होनी चाहिए। इन दस्तावेजों का उन्हें जारी करने वाले विभाग या एजेंसी से भी वेरिफिकेशन कराया जाएगा। इसके लिए जीएसटी आफिसर डीडीएम पोर्टल से संबंधित फर्म की रिस्क रेटिंग रिपोर्ट डाउनलोड कर सकेगा। हाई रिस्क रेटिंग वाले आवेदन की जीएसटी ऑफिसर बेहद बारीकी से जांच करेगा।
आवेदन के PAN पर पहले जारी जीएसटी नंबर की भी छानबीन होगी
जीएसटी मामलों के जानकारों के मुताबिक जीएसटी आफिसर यही भी चेक करेगा कि आवेदनकर्ता के पैन पर पहले कोई जीएसटी नंबर अलाट हुआ है या नहीं। यदि पहले संबंधित पैन पर जीएसटी नंबर जारी हुए हैं तो उनमें से कितने कैंसिल या सस्पेंड हो चुके हैं। ये भी देखा जाएगा कि आवेदनकर्ता की पहले कोई एप्लीकेशन रिजेक्ट तो नहीं हुई। यदि हुई तो क्यों? यदि जीएसटी आफिसर को फर्म या फैक्टरी के स्थान के बारे में कोई भी शक लगता है तो वह फिजिकल वेरिफिकेशन कराने का निर्णय ले सकेगा।
वेरिफिकेशन की प्रोसेस टाइम बाउंड होगी
नई गाइडलाइन में स्पष्ट किया गया है कि जीएसटी के आवेदन से संबंधित दस्तावेजों का वेरिफिकेशन टाइम बाउंड प्रोसेस में होगा। यदि जीएसटी ऑफिसर किसी दस्तावेज के बारे में कोई क्लेरिफिकेशन या शोकॉज नोटिस जारी करेगा तो उसका समाधान 15 दिन में करना होगा। आवेदन पर 30 दिन के अंदर फैसला करना होगा। बता दें कि इससे पहले आधार वेरिफिकेशन होने की सूरत में फिजिकल वेरिफिकेशन का प्रावधान नहीं था।
पिछले साल 1 लाख करोड़ से ज्यादा टैक्स चोरी
देश में वित्त वर्ष 2022-23 में 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की जीएसटी चोरी होने का अनुमान है। इस दौरान डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलीजेंस (DGGI) ने 21 हजार करोड़ रुपए का टैक्स भी वसूली किया है। इसे देखते हुए सीजीएसटी और राज्यों के एसजीएसची अधिकारियों ने फर्जी रजिस्ट्रेशन पर लगाम कसने की कवायद शुरू की है। इसके लिए केंद्र एवं राज्यों के जीएसटी विभागों ने 16 मई से 15 जुलाई तक चलने वाला एक विशेष अभियान शुरू किया है। इस अभियान का मकसद फर्जी बिल, फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन और गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट (Input Tax Credit) का लाभ लेने वालों का पता लगाना है। इस दौरान संदिग्ध जीएसटी खातों की पहचान करने के साथ ही फर्जी बिलों को जीएसटी नेटवर्क से बाहर करने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। इनमें से फर्जी रजिस्ट्रेशन नंबरों की पहचान के लिए जीएसटीएन पर व्यापक डेटा विश्लेषण और रिस्क फैक्टर का सहारा लिया जा रहा है।
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अभी जीएसटी के इतने टैक्सपेयर
फर्जी रजिस्ट्रेशन की जानकारी मिलने के बाद संदिग्ध जीएसटी पहचान नंबर के वेरिफिकेशन के लिए तय अवधि में कदम उठाया जाएगा। यदि आधार बेस्ड सत्यापन प्रक्रिया के दौरान संबंधित करदाता फर्जी पाया जाता है, तो उसका जीएसटी रजिस्ट्रेशन निरस्त करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएंगे। अभी देश में जीएसटी सिस्टम के तहत करीब 1.39 करोड़ टैक्सपेयर रजिस्टर हैं। देश में एक समान अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) के तौर पर जीएसटी व्यवस्था जुलाई, 2017 में लागू की गई थी।