LIC के पॉलिसीधारक Adani Crisis से टेंशन ना लें! अडाणी की कंपनियों में एलआईसी का निवेश 36 हजार करोड़, ये कुल संपत्ति का 1% से भी कम

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Sunil Shukla
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LIC के पॉलिसीधारक Adani Crisis से टेंशन ना लें! अडाणी की कंपनियों में एलआईसी का निवेश 36 हजार करोड़, ये कुल संपत्ति का 1% से भी कम

जयप्रकाश पाराशर, BHOPAL.भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी है। यह नेटवर्थ के मामले में भारत की सबसे अमीर कंपनी भी है। यह भारत सरकार को बड़ी आमदनी देने वाली कंपनी है। एलआईसी हाल ही में अडाणी समूह के शेयरों में आई गिरावट के बाद से चर्चा के केंद्र में है क्योंकि इसने अडाणी ग्रुप की कंपनियों में 36 हजार 474.78 करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट किया है। ये राशि एलआईसी में निवेश करने वाले करोड़ों भारतीय पॉलिसी होल्डर और इनवेस्टर्स का हिस्सा है। अडाणी ग्रुप पर हिंडनबर्ग के आरोपों से इसके शेयरों में भारी गिरावट के बाद विपक्ष ने संसद में सरकार पर निशाना साधा है कि एलआईसी की बड़ी रकम अडाणी के शेयरों में लगाई गई है। इससे एलआईसी में निवेश करने वाले आम भारतीय निवेशकों का पैसा खतरे में पड़ गया है। आइए एक्सपर्ट के माध्यम से ये समझते हैं कि अडाणी ग्रुप पर संकट से एलआईसी के आम पॉलिसी होल्डर और इन्वेस्टर्स को चिंतित होना चाहिए या नहीं।   





एलआईसी पर अडानी ग्रुप के संकट का असर



 



आइए सबसे पहले जानते हैं कि अडाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में गिरावट से एलआईसी की आर्थिक सेहत पर कितना असर पड़ा है। इन्वेस्टमेंट और पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन) के एक्सपर्ट तुहिन कांत पांडे के मुताबिक एलआईसी के शेयरों में भी गिरावट तो आई है। एलआईसी का बाजार पूंजीकरण (एम कैप) 64 हजार 500 करोड़ रुपए कम हो गया है। यह पहले 4लाख 44 हजार 141 करोड़ रुपए था जो घटकर अब 3 लाख 78 हजार 740 करोड़ रुपए रह गया है। यानी एलआईसी के शेयर में 15 फीसदी की कमी आई है। हालांकि बाजार में इससे भी ज्यादा कमी देखी गई है। एलआईसी देश की सबसे बड़ी निवेशक कंपनी भी है। इस लिहाज से यह गिरावट खतरनाक नहीं मानी जा सकती। शुक्रवार को एलआईसी के शेयर 1 रुपए की गिरावट के बाद 598.10 रुपए पर बंद हुए।  





पांडे स्पष्ट करते हैं कि एलआईसी के आम पॉलिसी होल्डर और इन्वेस्टर्स को अडानी ग्रुप पर संकट से चिंतित होने की जरूरत नहीं है। इसकी वजह एलआईसी का पोर्टफोलियो काफी विविधतापूर्ण होना है। वो दूसरी कई अग्रणी कंपनियों में भी निवेश करके रखती है। एलआईसी शेयर बाजार में लंबी अवधि की दृष्टि से ही निवेश करती है।  





अडाणी ग्रुप में कम है एलआईसी का निवेश 





एलआईसी ने अडाणी समूह की कंपनियों में कुल 35 हजार 917 करोड़ रुपए लगाए हैं। एलआईसी मैनेजमेंट के मुताबिक अडाणी समूह की सभी कंपनियों में कई वर्षों के दौरान खरीदी गई इक्विटी का कुल क्रय मूल्य 30 हजार 127 करोड़ रुपए है। अडाणी ग्रुप के बारे में हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के असर से पहले 27 जनवरी 2023 को शेयर बाजार बंद होने तक इन कंपनियों के इक्विटी मूल्य 56 हजार 142 करोड़ रुपए थे, शेयरों में गिरावट के बाद अडाणी समूह में इक्विटी का मूल्य घटकर 36 हजार 474.78 करोड़ रुपए (शुक्रवार,03 फरवरी2023 को शेयर मार्केट बंद होने पर) के स्तर पर आ गया 





शेयरों में कितना धन लगाती है एलआईसी?



  



एलआईसी अन्य वित्तीय कंपनियों या बैंकों की तरह अपना पैसा पोर्टफोलियो बनाकर इनवेस्ट करती है। हालांकि उसने कितना पैसा कहां लगाया वो इस जानकारी को रणनीति के अनुरूप सार्वजनिक नहीं करता है। उसका ज्यादातर निवेश सरकारी प्रतिभूतियों (सिक्यूरिटीज) और बांड आदि में होता है। यह निवेश जोखिम प्रबंधन के तहत यह कैलकुलेशन करके किया जाता है कि एलआईसी अपने निवेश पर होने वाली आय में कितना जोखिम ले सकती है। इसी आधार पर वो शेयर बाजार में निवेश करती है।  





एलआईसी पॉलिसीधारक को चिंता की जरूरत नहीं  





एलआईसी के किसी भी पॉलिसीधारक पर अडाणी  की कंपनियों के शेयरों में गिरावट का कोई असर नहीं होने वाला है। एलआईसी के शेयर मूल्यों में गिरावट एक अलग विषय है। शेयर बाजार में उतार चढ़ाव अन्य कारणों से भी आते हैं। दरअसल एलआईसी बहुत बड़ी कंपनी है। उसका कुल फंड 37 लाख 35 हजार करोड़ है। उसकी कुल संपत्तियां 42 लाख 30 हजार करोड़ के करीब है। जबकि अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में उसने केवल 30 हजार करोड़ रुपए तक लगाए हैं। इस लिहाज से निवेश की ये राशि एलआईसी की टोटल असेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) के 1 प्रतिशत से भी कम है।  





फिर बीमा सेक्टर के शेयरों में गिरावट क्यों?





इसकी वजह 2023 के प्रस्तावित बजट में बीमा पॉलिसी के 05 लाख रुपए से ऊपर राशि के प्रीमियम पर छूट खत्म किया जाना है। अब 05 लाख रुपए तक प्रीमियम पर ही टैक्स की छूट होगी। इसी के चलते आम बजट के बाद देश में बीमा सेक्टर के शेयरों में गिरावट देखने को मिली है। बीमा उद्योग इस सीमा को 10 लाख रुपए करने की मांग कर रहा है।





(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और आर्थिक मामलों के जानकार हैं)



 



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