NEW DELHI. लगातार दूसरे महीने खुदरा महंगाई दर के आंकड़े में गिरावट आई है। मार्च 2023 में खुदरा महंगाई दर 5.66 फीसदी रही है, जो फरवरी में 6.44 फीसदी थी। जबकि जनवरी 2023 में खुदरा महंगाई दर 6.52 फीसदी रही थी। खाने-पीने के सामान के दामों में गिरावट से महंगाई घटी है। कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के बास्केट में लगभग आधी हिस्सेदारी खाद्य पदार्थों की होती है।
खाद्य उत्पादों की मुद्रास्फीति मार्च में 4.79 प्रतिशत रही
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार खाद्य उत्पादों की मुद्रास्फीति मार्च में 4.79 प्रतिशत रही। यह आंकड़ा फरवरी में 5.95 प्रतिशत और एक साल पहले इसी अवधि में 7.68 प्रतिशत था। अनाज, दूध और फलों की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर 2022 में 5.7 प्रतिशत से बढ़कर फरवरी 2023 में 6.4 प्रतिशत हो गई थी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 2023-24 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के 5.2 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया है।
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300 सामानों की कीमतों से रिटेल महंगाई का रेट होता है तय
कच्चे तेल, कमोडिटी की कीमतों, मैन्युफैक्चर्ड कॉस्ट के अलावा कई अन्य चीजें भी होती हैं, जिनकी रिटेल महंगाई दर तय करने में अहम भूमिका होती है। करीब 300 सामान ऐसे हैं, जिनकी कीमतों के आधार पर रिटेल महंगाई का रेट तय होता है।
महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है
महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है। उदाहरण के लिए, यदि महंगाई दर 7% है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 93 रुपए होगा। इसलिए महंगाई को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। नहीं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी।
RBI कैसे कंट्रोल करती है महंगाई?
महंगाई कम करने के लिए बाजार में पैसों के बहाव (लिक्विडिटी) को कम किया जाता है। इसके लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) रेपो रेट बढ़ाता है। जैसे आरबीआई ने 6 अप्रैल को रेपो रेट में इजाफा न करने का फैसला किया था। इससे पहले आरबीआई ने रेपो रेट में लगातार 6 बार इजाफा किया था। आरबीआई ने महंगाई के अनुमान में भी कटौती की थी।
प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करती है महंगाई
महंगाई का बढ़ना और घटना प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। अगर लोगों के पास पैसे ज्यादा होंगे तो वह ज्यादा चीजें खरीदेंगे। ज्यादा चीजें खरीदने से चीजों की डिमांड बढ़ेगी और डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं होने पर इन चीजों की कीमत बढ़ेगी। इस तरह बाजार महंगाई की चपेट में आ जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो बाजार में पैसों का अत्यधिक बहाव या चीजों की शॉर्टेज महंगाई का कारण बनता है। वहीं अगर डिमांड कम होगी और सप्लाई ज्यादा तो महंगाई कम होगी।