पहली अप्रैल से यूपीआई से लेन-देन हो सकता है महंगा, 2000 रु. से अधिक के पेमेंट पर एक्स्ट्रा चार्ज लगाने की तैयारी

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BP Shrivastava
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पहली अप्रैल से यूपीआई से लेन-देन हो सकता है महंगा, 2000 रु. से अधिक के पेमेंट पर एक्स्ट्रा चार्ज लगाने की तैयारी

NEW DELHI.  पहली अप्रैल 2023 से नया  वित्त वर्ष शुरू होने जा रहा है। इसकी शुरुआत के साथ ही यूपीआई से लेन-देन भी महंगा होने वाला है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया  ने यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस पेमेंट को लेकर एक सर्कुलर जारी किया है, जिसमें एक अप्रैल से यूपीआई से होने वाले मर्चेंट पेमेंट पर पीपीआई चार्ज लगाने की सिफारिश की गई है। यह चार्ज मर्चेंट ट्रांजैक्शंस यानी व्यापारियों को पेमेंट करने वाले यूजर्स को देना पड़ेगा।



लग सकता है इतना एक्स्ट्रा चार्ज



एक बिजनेस न्यूज पेपर की खबर के मुताबिक, मंगलवार, 28 मार्च को जारी किए गए इस सर्कुलर के मुताबिक, एनपीसीआई ने प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट यानी पीपीआई लगाने की तैयारी की है। ये चार्ज 0.5-1.1 फीसदी लगाए जाने की सिफारिश की गई है। सर्कुलर में यूपीआई के जरिए 2,000 रुपए से ज्यादा के ट्रांजेक्शन पर 1.1 फीसदी प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट यानी  पीपीआई लगाने का सुझाव दिया गया है। यह चार्ज मर्चेंट ट्रांजैक्शंस अर्थात व्यापारियों को पेमेंट करने वाले यूजर्स को देना पडे़गा।



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करीब 70 प्रतिशत लेनदेन 2000 रुपए से ज्यादा



एनसीपीआई के सर्कुलर से संकेत मिल रहे हैं कि 1 अप्रैल से यूपीआई पेमेंट यानी गूगल पे, फोन पे और पेटीएम जैसे डिजिटल माध्यम से अगर आप 2,000 रुपए से ज्यादा का पेमेंट करेंगें तो फिर आपको इसके लिए ज्यादा जेब ढीली करनी होगी। रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 70 फीसदी यूपीआई लेन-देन 2, 000 रुपए से अधिक के मूल्य होते हैं। ऐसे में इन पर 0.5 से लगभग 1.1 फीसदी का इंटरचेंज लगाने की तैयारी है।  



30 सितंबर से पहले की जाएगी समीक्षा



बता दें, पीपीआई में वॉलेट या कार्ड के जरिए ट्रांजैक्शन आता है। आम तौर पर इंटरचेंज फीस कार्ड भुगतान से जुड़ी हुई होती है और इसे लेन-देन को स्वीकार करने और लागत को कवर करने के लिए लागू किया जाता है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ने अपने सर्कुलर में कहा है कि इस नए नियम को 1 अप्रैल से लागू करने के बाद इसकी समीक्षा 30 सितंबर, 2023 से पहले की जाएगी।  



किस पर नहीं लगेगी इंटरचेंज फीस



नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ने अलग-अलग क्षेत्र के लिए अलग-अलग इंटरचेंज फीस निर्धारित की है। फार्मिंग और टेलीकॉम सेक्टर में सबसे कम इंटरचेंज फीस वसूली जाएगा। दरअसल, इंटरजेंज फीस मर्चेंट ट्रांजैक्शंस यानी व्यापारियों को पेमेंट करने वाले यूजर्स को ही देना पड़ेगा। इस सर्कुलर के मुताबिक बैंक अकाउंट और पीपीआई वॉलेट के बीच पीयर-टू-पीयर (P2P) और पीयर-टू-पीयर-मर्चेंट (P2PM) में किसी तरह के ट्रांजैक्शन पर कोई शुल्क नहीं देना होगा।

 


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