KORBA: कोरबा से उरगा के बीच अक्सर यात्री ट्रेने लेट हो रही हैं। इसकी बड़ी वजह सामने आ चुकी है। दरअसल इस रास्ते पर ऑटो सिग्नलिंग नहीं है। जिस वजह से इस रूट पर यात्री गाड़ियों के परिचालन में रेलवे को परेशानी आ रही है। दूसरी तरफ रेल प्रबंधन कोयला लदान को भी तवज्जो दे रहा है। जिसके चलते कोयले से लदी ६० से १५० से अधिक वैगन वाली मालगाड़ियों को पहले रवानगी दी जाती है। मालगाड़ियों को पहले भेजने के चक्कर में यात्री ट्रेनों को इंतजार में रोक दिया जाता है। उरगा या आउटर पर खड़ी यात्री ट्रेनें लेट होती हैं और यात्री इंतजार करते रहते हैं।
मालगाड़ी और पैसेंजर ट्रेन का सबसे ज्यादा दबाव एसईसीआर बिलासपुर डिविजन अंतर्गत कोरबा रेल खंड पर है। इसके बावजूद कोरबा रेल खंड में ऑटो सिग्नलिंग नहीं की गई है। यहां कोयला लदान भी जोरों पर है, लेकिन जिस लाइन पर जल्द से जल्द नया सिस्टम लगना चाहिए वहां देरी हो रही है।
उरगा से कोरबा के बीच दो ही रेल लाइन है। लेकिन ऑटो सिग्नलिंग न होने से ट्रेनों को आसानी से ग्रीन सिग्नल नहीं मिल पाता।
लॉगहॉल बनी मुसीबत
कोरबा स्टेशन में लॉगहॉल के लिए जगह नहीं है। इसके बावजूद दो मालगाड़ियों को जोड़कर लॉगहॉल का परिचालन हो रहा है। कोयले की आपूर्ति के लिए लॉगहॉल चलाई जा रही हैं। लेकिन जब तक ये गुजर नहीं जाती तब तक पैसेंटर ट्रेन को रूके रहना पड़ता है।
दो ही जगह ऑटो सिग्नल
एसईसीआर बिलासपुर डिविजन अंतर्गत में अभी तक केवल दो ही रेल लाइन पर आधुनिक सिग्नल प्रणाली शुरू हो सकी है। इसमें बिलासपुर से घुटकू तक व जयरामनगर रेलवे स्टेशन तक ही ऑटो सिग्नल लगा है।
रेलवे का आश्वासन
यात्रियों की परेशानी को देखते हुए रेल प्रशासन ने जल्द कार्रवाई का आश्वासन दिया है। रेलवे प्रबंधन के अधिकारी ने बताया कि उरगा से कोरबा रेल लाइन पर ऑटो सिग्नल लगाने के लिए जल्द काम शुरू होगा।