याज्ञवलक्य मिश्रा, KANKER. बाघ की खाल के साथ पुलिस ने दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। ये स्कॉर्पियो में बाघ की खाल लेकर आ रहे थे और कांकेर इलाके में किसी को बेचने की कवायद में थे। पुलिस इन तस्करों से विस्तार से पूछताछ कर रही है। वन विभाग ने बाघ की खाल वास्तविक होने की पुष्टि की है।
कहां हुआ शिकार, कहां से आई बाघ की खाल
वन विभाग से इस मसले पर विस्तृत रिपोर्ट तलब की गई है जिसमें यह पता चलेगा कि बाघ की खाल कितनी पुरानी है। कांकेर पुलिस बाघ की खाल के साथ पकड़े गए दोनों व्यक्तियों नरोत्तम निषाद और मदन मरकाम से पूछताछ कर रही है कि आखिर उन तक बाघ की खाल कैसे पहुंची। पुलिस यह समझने की कवायद में है कि शिकार कब और कहां किया गया।
बेशकीमती है बाघ की खाल
बाघ की खाल की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बेहद कीमत मिलती है। बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है और स्पेशिज वन कैटेगरी का पशु है। बाघ का शिकार भारत में प्रतिबंधित है। पुलिस की ओर से बाघ की खाल की अनुमानित कीमत 50 लाख रुपए बताई गई है।